एप कम करेगी टीचर-स्टूडेंट का गैप
चेंज इन लाइफ, चेंज इन सोसायटी की थीम पर टेक्निकल फील्ड में बहुत सी गर्ल्स वर्क कर रही हैं। इन्हें प्रमोट भी किया जा रहा है। हाल ही में द इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी ने एजुकेशन से रिलेटेड स्पेशल एजुकेशनल एप बनाने के लिए एनआईटी हमीरपुर की सिद्घा गंजू को सम्मानित किया है..
एजुकेशन का रियल मीनिंग यही है कि हम अपने विजन को ब्रॉड करें और कुछ ऐसा क्रिएटिव करें, जो सोसायटी के लिए भी यूज फुल हो। हम जब ऐसा करेंगे, तभी हमारी सोसायटी में एक अलग पहचान बनेगी। कुछ ऐसी ही सोच लेकर इंजीनियरिंग की स्टूडेंट सिद्धा गंजू आगे बढ रही हैं। उन्होंने एक ऐसी मोबाइल एप्लीकेशन डेवलप की है, जो टीचर और स्टूडेंट के बीच के गैप को तो कम करेगी ही, साथ ही दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी काफी यूजफुल होगी। सिद्धा के इस इनोवेशन का नाम है एजुकेट ऑल, जो उन्होंने विंडोज फोन 8 के लिए डेवलप की है। इस इनोवेशन के लिए उन्हें आईईटी ने नेशनल लेवल पर सम्मानित भी किया है।
इन डिमांड प्रोजेक्ट
सिद्धा गंजू कहती हैं कि आज कई ऑर्गेनाइजेशन सोसायटी में चेंज ला सकने वाले एप डेवलपर्स को प्रमोट कर रही हैं। आईईटी के कॉम्पिटिशन में मैंने भी अपने एप से रिलेटेड यह आइडिया रखा। मैंने उन्हें बताया किजब एजुकेशन बेटर होगी, तभी सोसायटी में चेंज आएगा। एक्सपर्ट्स ने मेरे आइडिया को एक्सेप्ट किया। उन्हें महसूस हुआ कि इससे सोसायटी में चेंज आ सकता है। मुझे इस कॉम्पिटिशन में वूमन वर्ग में फर्स्ट प्राइज दिया गया, क्योंकि मेरा यह एप एजुकेशन सेक्टर में टीचर और स्टूडेंट के बीच के गैप को कम कर सकता है।
प्रॉब्लम कहां है?
सिद्धा मानती हैं कि इंडियन एजुकेशन सिस्टम के सामने कई तरह के चैलेंजेज हैं। इनमें सबसे बडा चैलेंज है बच्चों का स्कूल तक पहुंचना। आज भी देश में बहुत से लोग इनफ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते। वहीं, उत्तराखंड जैसी जगहों पर तो नेचुरल डिजास्टर के चलते कई-कई महीनों तक बच्चों की एजुकेशन प्रभावित होती है। प्राकृतिक आपदाओं से स्कूल बंद हो जाते हैं और स्टूडेंट का टीचर से कॉन्टैक्ट टूट जाता है। मैं ऐसे बच्चों से मिली और उनकी प्रॉब्लम्स को समझा। मन में आया, क्यों न एक ऐसी एप्लीकेशन डेवलप की जाए, जो इस गैप को कम करे। इस दिशा में काम शुरू किया और आज जो कुछ भी आपके सामने आया है, उसी का रिजल्ट है। मेरी यह एप्लीकेशन अभी शुरुआती दौर में है और इसमें अभी बहुत कुछ डेवलप किया जाना बाकी है। इस पर काम किया जा रहा है।
मां का सपोर्ट
सिद्धा बताती हैं, मेरे इस ड्रीम को पूरा करने में इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी ने मेजर रोल प्ले किया है। वह अपने आइडिया, नॉलेज और एक्सपीरियंस से इसे और डेवलप करने में हेल्पफुल होंगे। मेरी मां का आशीर्वाद मेरे साथ है, इसलिए कोई चिंता नहीं है।
अबाउट एप
यह विंडोज फोन पर चलने वाली एप्लीकेशन है, जो 5वीं से हायर सेकंडरी तक के स्टूडेंट्स के लिए यूजफुल है। अपना अकाउंट जेनरेट करने के बाद लॉग-इन करने पर सबसे पहले आईसीएसई और सीबीएसई का ऑप्शन मिलता है, इनमें से किसी एक को सेलेक्ट करने के बाद मोबाइल स्क्रीन पर पांचवींसे दसवींक्लास तक के ऑप्शंस दिखाई देते हैं। इनमें से जरूरत के अनुसार क्लास सेलेक्ट करने के बाद सामने सब्जेक्ट की विंडो खुल जाएगी। सब्जेक्ट को सेलेक्ट करने के बाद स्टडी शुरू की जा सकती है। इस एप्लीकेशन में हर सब्जेक्ट से रिलेटेड मैटर भी काफी क्वॉन्टिटी में मौजूद है।
बोरिंग पैटर्न से आजादी
छोटी उम्र के स्टूडेंट में सिलेबस के सब्जेक्ट्स को लेकर बोरिंग अप्रोच होती है। इसलिए उसमें उनका मन ही नहीं लगता। इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने की कोशिश भी इस एप में की गई है। इसमें पिक्चर्स और वीडियोज के जरिए भी स्टूडेंट तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की गई है। सिद्धा कहती हैं, हमारा टारगेट तो स्टूडेंट ही हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि जो लोग किसी रीजन से स्टडी नहीं कर पाते, वे भी इस एप का फायदा उठाकर खुद को एजुकेट करने की कोशिश कर सकते हैं।
अपकमिंग चैलेंजेज
सिद्धा के मुताबिक, आने वाले टाइम में एजुकेट ऑल एप में कई नई चीजें देखने को मिलेंगी। क्लास और सब्जेक्ट्स की संख्या भी इसमें बढाने की कोशिश की जा रही है, साथ ही इसे दिलचस्प बनाने के लिए कई तरह की नई इन्फॉर्मेशन्स भी स्टूडेंट्स के लिए मुहैया कराने का काम जारी है। यह सब हम लोगों की फ्यूचर प्लॉनिंग पर डिपेंड करता है। वह कहती हैं कि उनकी कोशिश होगी कि यह एप स्टूडेंट्स को एजुकेशन से रिलेटेड नई इन्फॉर्मेशन लगातार देती रहे।
इंटरैक्शन : शरद अग्निहोत्री