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एजुकेशन फॉर नॉलेज नॉट फॉर जॉब

इंडियन यूथ में टैलेंट है, लेकिन थॉट्स नहीं। यहां ज्यादातर स्टूडेंट्स जॉब के लिए पढ़ाई करते हैं, जबकि उन्हें कुछ क्रिएटिव करने की कोशिश करनी चाहिए। बता रहे हैं द ंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु के डायरेक्टर शेखर सान्याल..

By Edited By: Published: Wed, 04 Sep 2013 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2013 12:00 AM (IST)
एजुकेशन फॉर नॉलेज नॉट फॉर जॉब

प्रमोट रिसर्च वर्क

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इंडिया में टैलेंट की कमी नहीं है। यहां के यूथ दुनिया भर की बडी-बडी मल्टीनेशनल कंपनीज में वर्क कर रहे हैं। फिर भी दुख की बात है कि अपने देश के इंस्टीट्यूट्स व‌र्ल्ड के टॉप इंस्टीट्यूट्स की लिस्ट में बेटर पोजीशन नहीं बना पा रहे हैं। इसके पीछे कई रीजन्स हैं। इस सिचुएशन में अगर चेंज लाना है, तो अपने एजुकेशन सिस्टम में रिसर्च वर्क को प्रमोट करना पडेगा। इंस्टीट्यूट्स अगर स्टूडेंट्स के थॉट्स को प्रॉपर तरीके से जज करने के बाद उसे एक्सपर्ट की हेल्प से ग्राउंड पर डेवलप करने का काम करेंगे, तो यह प्रॉब्लम अपने आप ही सॉल्व हो सकती है। हमारे यहां सोसायटी में नए क्रिएशन की थिंकिंग अभी कम है।

दूसरों की टेक्नोलॉजी में चेंज कर उसे डेवलप करना तो आसान है, लेकिन खुद के कॉन्सेप्ट पर नई चीज डेवलप करना मुश्किल है। अपने यहां इस चीज की बहुत कमी है। इस तरह की सोच को स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी सभी लेवल पर प्रमोट किया जाना चाहिए। अमेरिका, यूरोपीय देश, चीन, जापान, साउथ कोरिया आदि देशों की प्रोग्रेस के पीछे यही रीजन है।

ऑलवेज क्रिएटिव

इंडियन यूथ में एक बडी कमी यह भी दिखाई देती है कि वह एजुकेशन जॉब के लिए हासिल करता है। मतलब नॉलेज का ऐम यहां जॉब से कहीं पीछे छूट जाता है। स्टूडेंट कॉम्पिटिशन देता है, सलेक्ट होता है और फिर जॉब पाकर सेटिस्फाइड हो जाता है। जॉब मिलने के बाद ज्यादातर यूथ अपने क्रिएशन्स बंद कर देते हैं। जब नया क्रिएशन ही नहीं होगा, तो फिर भला हम नई चीजों को डेवलप कैसे करेंगे? क्योंकि डेवलपमेंट न रुकने वाला प्रॉसेस है। आप किसी भी फील्ड में जा रहे हों, उसमें कुछ ऐसा करने की कोशिश करें, जो अभी तक न किया गया हो। इंस्टीट्यूट्स भी इसमें स्टूडेंट्स की हेल्प कर सकते हैं। अपने साथ एजुकेशन ले रहे लोगों को जोडें। सब्जेक्ट पर उनके साथ डिस्कशन करें। एक-दूसरे की प्रॉब्लम्स को समझें और सुलझाएं।

टैलेंट सर्च

इंडिया में बेसिक प्रॉब्लम यह है कि टैलेंट को तलाशकर सामने कैसे लाया जाए? हालांकि अब यह काम शुरू हो चुका है। बहुत सी ऑर्गेनाइजेशन्स इसमें लगी हैं। मैं खुद भी इस पर काम कर रहा हूं। अपने एक्सपीरियंस से यह कह सकता हूं किइंडिया में क्वॉलिटी में कहीं कोई कमी नहीं है, बस जरूरत है तो पुरानी सोच को बदलने की।

कंट्री में टैलेंट सर्च के लिए ऑनलाइन प्रॉसेस बेस्ट है। इसमें किसी तरह की हेराफेरी नहीं की जा सकती है। हम इसी बेस पर काम करते हैं। टैलेंट जज करने वाली अच्छी ज्यूरी होगी, तो टैलेंट भी अच्छा ही निकलकर सामने आएगा। कंट्री की जरूरत को देखते हुए यह बेहद जरूरी हो गया है।

प्रमोट ग‌र्ल्स टैलेंट

अगर हम इंजीनियरिंग फील्ड की बात करें, तो यहां एक और हैरान करने वाली बात दिखाई देती है। इंडिया में पहले जहां ग‌र्ल्स इंजीनियरिंग की पढाई में बहुत कम इंट्रेस्ट लेती थीं, उसमें चेंज आ गया है। इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स में ग‌र्ल्स की संख्या लगातार बढ रही है, लेकिन जब जॉब की बात आती है, तो बहुत सी ग‌र्ल्स इससे पीछे हट जाती हैं। वे एजुकेशन तो लेती हैं, कोर्स करती हैं लेकिन जॉब नहीं। इसके पीछे भी हमारे सोशल रीजन्स हैं। हमें इन्हें भी चेंज करना होगा। टेक्निकल फील्ड में ग‌र्ल्स टैलेंट को प्रमोट करके इस सीन को बदला जा सकता है। लेकिन अब कुछ हद तक चेंजेज दिखाई देने शुरू हो गए हैं।

स्किल्स इज इंपॉर्र्टेट

कोर्स कंप्लीट करने के बाद जॉब तो मिल जाती है, लेकिन इसमें ग्रोथ के लिए उस फील्ड से रिलेटेड स्किल्स भी तो आप में होनी चाहिए। जॉब पीरियड में कंपनीज आप में टैलेंट और स्किल्स की ही तलाश करेंगी। बाकी चीजें इनसे बहुत पीछे रह जाएंगी। यूथ अपनी स्किल्स को जॉब के दौरान भी हमेशा डेवलप करते रहें। सही मायने में इंजीनियरिंग की जॉब चार साल वर्क करने के बाद ही शुरू होती है। आपके पास नई चीजें करने के लिए प्रॉपर एक्सपीरियंस आ जाएगा, साथ ही नए तरह के थॉट्स भी मन में होंगे। अपनी फील्ड में कुछ नया करके दिखाएंगे, तो आपका भी नाम होगा और देश का भी। यही आज हम सबकी सबसे बडी आवश्यकता है।

इंटरैक्शन : शरद अग्निहोत्री


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