जोश ब्लॉग
मैं जोश प्लस कई सालों से पढ़ रहा हूं। मैंने इस मैगजीन के माध्यम से बहुत कुछ सीखा और जाना है। जोश प्लस पढऩे के बाद ही सिविल सर्विसेज में जाने का मन बनाया और आज आइपीएस की तैयारी कर रहा हूं। कवर स्टोरी रही शानदार
जोश ने किया प्रेरित
कुमार कन्हैया
मैं जोश प्लस कई सालों से पढ़ रहा हूं। मैंने इस मैगजीन के माध्यम से बहुत कुछ सीखा और जाना है। जोश प्लस पढऩे के बाद ही सिविल सर्विसेज में जाने का मन बनाया और आज आइपीएस की तैयारी कर रहा हूं।
कवर स्टोरी रही शानदार
धर्मवीर दिवाकर
जोश प्लस की 29 अप्रैल की कवर स्टोरी पढ़कर हृदय में सचमुच जोश भर गया। यह मैगजीन खुद को तराशने का संकल्प लेने को प्रेरित करती है। इसलिए इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। जोश टीम को इस तरह की शानदार मैगजीन निकालने
के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
रखती है अपडेट
मानवेन्द्र
यह मैगजीन कम शब्दों में बहुत कुछ बयां कर देती है। जोश प्लस में करेंट अफेयर्स, टॉपर्स टॉक , तैयारी जैसे कॉलम्स से खुद को अपडेट रखने में मदद मिलती है। वहीं, टेक्नोलॉजी के पन्ने पर भी बहुत सारे लेटेस्ट गैजेट्स, ऐप्स के बारे में पता चलता है।
जीवन को तराशती है
संतोष
जोश प्लस जिंदगी संवारने का जो तरीका और जज्बा दिखाती है, वह काबिले तारीफ है। खासकर टॉपर्स टॉक, सक्सेस मंत्रा, गुरुकूल जैसे नियमित कॉलम हमें काफी मोटिवेट करते हैं। ये सभी बताते हैं कि जीवन में कैसे आगे बढ़ा जा सकता है।
मन को तसल्ली
अनिल कुमार
जोश प्लस पढ़कर ऐसा लगता है मानो मैं कोई मैगजीन नहींपढ़ रहा, बल्कि कोई मुझे पढ़ा रहा है। मुझे जगा रहा है। इसे पढऩे के बाद मन को तसल्ली मिलती है। खासकर काउंसलर कॉर्नर और ज्ञानकोश जैसे कॉलम दिमाग की बत्तियां जला देते हैं।
प्रोफेशनल कोर्सेज में इंडस्ट्री से जुड़ी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर जोर दिया जाना चाहिए?
सबसे ज्यादा जोर तो इंडस्ट्री की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर ही दिया जाना चाहिए। चाहें तो थ्योरी के कुछ पाट्र्स को कम या हटा सकते हैं। इस तरह की ट्रेनिंग से स्टूडेंट को मार्केट के ट्रेेंड, स्किल डिमांड के बारे में पता चल सकेगा।
विकास कुमार
मेरा भी यही मानना है कि प्रोफेशनल कोर्सेज में इंडस्ट्री के साथ इंटरैक्शन होना चाहिए। यह पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए, ताकि जब हम कॉलेज से बाहर निकलें तो नौकरी मिलने में मुश्किल न आए। इंडस्ट्री में जगह मिल सके।
नरेन्द्र पालीवाल
प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बेशक जरूरी है, क्योंकि कुछ बड़े इंस्टीट्यूट्स को छोड़कर शेष कॉलेजों या यूनिवर्सिटीज में थ्योरिटिकल स्टडी पर फोकस होता है। इससे जॉब तलाशने के दौरान काफी मुश्किल आती है। इंटरव्यू में सलेक्शन नहींहो पाता है।
महावीर जैन
विदेशों में थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर जोर दिया जाता है। वहां स्टूडेंट्स एक्सपीरियंस से काफी कुछ सीखते हैं। इंडिया में भी प्रोफेशनल कोर्सेज में इंडस्ट्री की डिमांड को देखते हुए ट्रेनिंग या स्किल डेवलपमेंट होना चाहिए।
शांभवी गुप्ता
कमेंट्स
एक रुपये में नॉलेज बैंक
-दीपक कुमार
एंडलेस एनर्जी
-अभिषेक गुप्ता
जोश प्लस शान है करियर की
-वसीम अकरम
ईस्ट और वेस्ट, इट इज द बेस्ट
-हर्षित केसरी
इट इज लाइट ऑफ लाइफ
अंकित शुक्ला
जोश प्लस किसी ज्ञान की पोटली की तरह है, जिसके हर पन्ने से ऊर्जा का संचार होता है।
धीरज कुमार
स्टूडेंट्स का सच्चा मार्गदर्शक है जोश प्लस।
दीपक राजपूत
जोश प्लस किसी गागर में सागर की तरह है।
रोहित कुमार
जोश प्लस का सबसे बड़ा फैन हूं।
कुमार रवि राज
रीडर्स फोरम
प्रोफेशनल-प्रैक्टिकल नॉलेज बढ़ाने के लिए खुद की पहल कितनी जरूरी?
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जोश प्लस, दैनिक जागरण,
डी-210-211, सेक्टर-63, नोएडा (यूपी)-201301