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HOW TO CHOOSE कोर्स AND कॉलेज?

बोर्ड एग्जाम्स के रिजल्ट का जिस बेसब्री से स्टूडेंट्स इंतजार कर रहे हैं, उनमें उतनी ही कुलबुलाहट या बेचैनी इस बात को लेकर भी है कि रिजल्ट के बाद आगे क्या? हर स्ट्रीम के स्टूडेंट अपने तरीके से सोच रहे होंगे। इनमें कुछ का विजन क्लियर होगा और टारगेट फिक्स,

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 14 May 2015 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 14 May 2015 12:06 PM (IST)
HOW TO CHOOSE  कोर्स  AND  कॉलेज?

बोर्ड एग्जाम्स के रिजल्ट का जिस बेसब्री से स्टूडेंट्स इंतजार कर रहे हैं, उनमें उतनी ही कुलबुलाहट या बेचैनी इस बात को लेकर भी है कि रिजल्ट के बाद आगे क्या? हर स्ट्रीम के स्टूडेंट अपने तरीके से सोच रहे होंगे। इनमें कुछ का विजन क्लियर होगा और टारगेट फिक्स, जबकि कई इस उधेड़बुन में होंगे कि कौन-सा कोर्स सलेक्ट करूं, जिसमें पढ़ाई के बाद जॉब की गारंटी हो। दोस्त कुछ कह रहे होंगे तो पैरेंट्स कुछ और राय दे रहे होंगे। लेकिन पढ़ाई आपको करनी है, इसलिए फैसला भी आप ही करें। गेंद आपके पाले में है। खुद को तलाशें, परखें और मजबूती से बढ़ाएं कदम...

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आगरा के विपुल और अमल दोनों ने साथ-साथ 12वीं किया। अमल ने स्कूल में ही तय कर लिया था कि वह फैशन डिजाइनिंग में करियर बनाएंगे। इसलिए उन्होंने रिजल्ट आने से पहले ही निफ्ट और दूसरे प्रतिष्ठित फैशन इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन के लिए तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने फील्ड के कुछेक एक्सपट्र्स, फैशन डिजाइनर्स और सीनियर्स से इस बाबत जानकारी भी हासिल की। इससे काफी फायदा हुआ। अमल ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग का एंट्रेंस एग्जाम क्वालिफाई किया। आज वह मुंबई में एक मशहूर डिजाइनर के अंडर में काम कर रहे हैं। वहीं, विपुल ने दोस्तों की देखा-देखी इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम्स दिए। इंजीनियर पिता भी चाहते थे कि बेटा उनके पेशे से जुड़े। लेकिन विपुल को सक्सेस नहीं मिली, वह निराश हो गए। किसी तरह इंजीनियरिंग के डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया, लेकिन वहां भी उनका मन नहीं रमा। उन्होंने डिस्टेंस एजुकेशन से बीए किया। जॉब फिर भी नहीं लगी, तो एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट से एमबीए की डिग्री हासिल की। काफी मशक्कत के बाद एक निजी कंपनी में जॉब लगी। इन दोनों उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि जब आपका टारगेट क्लियर होता है, तो आप सही दिशा में आगे बढ़कर प्रयास करते हैं। वहीं, कंफ्यूजन आपको दिशाहीन कर देता है। इस बारे में बीएचयू के वाइस चांसलर गिरीश त्रिपाठी का कहना है कि इस समय देश में जिस तरह से नए-नए इंस्टीटऌ्यूट्स खुल रहे हैं, वहां पढऩे वालों की तादाद बढ़ रही है, उसके मुताबिक शिक्षा का स्तर नहींबढ़ा है। इसलिए हर साल कॉलेजों से हजारों की तादाद में टेक्निकल या नॉन-टेक्निकल ग्रेजुएट्स के निकलने के बाद भी नौकरियां नहींमिलती हैं। जहां तक सही कोर्स चुनने का सवाल है, तो स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा एम्प्लॉयबिलिटी फैक्टर का ध्यान रखना होगा।

सिलीगुड़ी की सोनम महापात्रा को आर्किटेक्चर पढऩा था, इसलिए कोलकाता के एक कॉलेज में बिना जांचे-परखे दाखिला ले लिया। आज उन्हें पछतावा हो रहा है, क्योंकि न तो कॉलेज मान्यताप्राप्त है और न ही वहां रेगुलर फैकल्टी है। सोनम को नहीं मालूम कि कोर्स होने में कितने साल लग जाएंगे। इसके बाद भी आगे जॉब मिलने की कोई गारंटी नहीं है। दरअसल, आज संस्थान तो बहुत खुल गए हैं, लेकिन ज्यादातर कॉलेजों द्वारा न तो क्वालिटी फैकल्टी उपलब्ध कराई जाती है और न ही इंडस्ट्री के साथ इंटरैक्शन होता है। प्लेसमेंट की तो खैर पूछिए ही मत। लिहाजा, कोर्स कंप्लीट करने के बाद स्टूडेंट्स नौकरी के लिए भटकते रहते हैं।?आपके साथ ऐसा न हो, इसलिए समय रहते फैसला कर लें कि करियर की लिहाज से कौन-सा कोर्स और कॉलेज सलेक्ट करना बेहतर होगा...

ऐसे करें कोर्स का सलेक्शन

आज तमाम छोटे-बड़े, गवर्नमेंट और प्राइवेट इंस्टीट्यूशंस में विभिन्न तरह के कोर्सेज अवेलेबल हैं। लेकिन 12वीं के बाद कोई खास कोर्स चुनना एक स्टूडेंट के इंट्रेस्ट और ऑप्शन पर डिपेंड करता है। अगर आप आर्टिस्टिक या क्रिएटिव हैं, तो एडवर्टाइजिंग, डिजाइन, फैशन जैसे कोर्सेज चुन सकते हैं। वहीं, जो एनालिटिकली सोचते हैं, उनके लिए इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी के क्षेत्र हैं। यहां बहुत सारे स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी हैं, जिन्हें करने के बाद करियर में ऊंची उड़ान भर सकते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स जब भी किसी खास कोर्स या प्रोग्राम में एनरोल कराने जाएं, तो एक बात क्लियर

रखें कि उस प्रोग्राम को सलेक्ट करने का उनका मकसद या पर्पज क्या है? फिर भी अगर कंफ्यूजन बना रहे, तो अपना प्रोफाइलिंग टेस्ट कराएं। इससे आपको अपनी स्ट्रेंथ का पता लग सकेगा और आप उसके मुताबिक कोर्स सलेक्ट कर सकेंगे। कोर्स का सलेक्शन करते समय इन खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है...

पसंदीदा कोर्स चुनें

दिल्ली के अंबेडकर कॉलेज के प्रोफेसर प्रदीप सिंह के अनुसार, स्टूडेंट्स को हमेशा कॉलेज से पहले कोर्स को प्रिफरेंस देना चाहिए। अगर कोई स्टूडेंट बिना इंट्रेस्ट के सब्जेक्ट सलेक्ट कर लेता है, तो उसका परफॉर्मेंस प्रभावित होता है। जब अच्छे ग्रेड्स ही नहीं आएंगे, तो करियर के विकल्प भी सीमित हो जाएंगे। इसलिए अपने पसंदीदा सब्जेक्ट को देखते हुए ही कोर्स चुनें। दूसरों की नकल से बचें, क्योंकि हर स्टूडेंट का लक्ष्य, टैलेंट, वैल्यू और इंट्रेस्ट अलग होता है। जरूरी नहीं कि कंप्यूटर साइंस, इकोनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट्स ही ऑप्ट किए जाएं। आट्र्स, फाइन आट्र्स, डिजाइनिंग, वेब डेवलपमेंट जैसे कोर्सेज भी बेहतर हैं।

सेल्फ असेसमेंट करें

स्टूडेंट्स को कोई भी कोर्स सलेक्ट करने से पहले यह असेस करना चाहिए कि वे किस काम को एंजॉय करते हैं। आप उन करियर ऑप्शंस की लिस्ट बनाएं, जिनमें खुद को प्रूव कर सकते हैं। अगर कोई प्रॉब्लम आ रही हो, तो किसी टीचर, काउंसलर की सलाह लें।

ऑन- लाइन करियर असेसमेंट टेस्ट या पर्सनैलिटी टेस्ट भी दे सकते हैं।

ऑप्शंस एक्सप्लोर करें

जानी-मानी करियर काउंसलर परवीन मल्होत्रा का कहना है कि अब वह दौर नहीं रहा, जब साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के पास सिर्फ मेडिकल या इंजीनियरिंग के ऑप्शन हों। अगर आप किसी कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी की बजाय डायरेक्ट प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं, तो अपने पैशन को देखते हुए बायोटेक्नोलॉजी, बायोइंजीनियरिंग, फिजियोथेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन जैसे कोर्सेज कर सकते हैं। इसी तरह आट्र्स से ऌ12वीं करने वाले बिजनेस या होटल मैनेजमेंट कोर्स कर रिटेलिंग, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म इंडस्ट्री का हिस्सा बन सकते हैं। जो लोग क्रिएटिव हैं, वे फैशन डिजाइनिंग, मर्चेंडाइजिंग, स्टाइलिंग का कोर्स कर सकते हैं। इसके लिए आप फील्ड के एक्सपट्र्स या प्रोफेशनल्स से बात करें। उनसे जॉब, एम्प्लॉयमेंट आउटलुक, प्रमोशन अपॉच्र्युनिटीज की जानकारी लें।

कॉलेज का सलेक्शन

स्टूडेंट्स जब भी किसी कॉलेज या इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने की सोचें, उन्हें पहले यह पता कर लेना चाहिए कि उस संस्थान को समुचित रेगुलेटरी अथॉरिटी से मान्यता हासिल है या नहीं। जैसे टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स को ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन से मान्यता लेनी होती है। इसी तरह यूजीसी, एमसीआई आदि भी रेगुलेटरी बॉडीज हैं। अगर प्राइवेट कॉलेज में दाखिला लेने जा रहे हैं, तो इन बातों का विशेष ध्यान रखें :?

1. क्वालिटी ऑफ फैकल्टी

2. फैकल्टी रिसर्च 3. प्रोफेसर, लेक्चरर और असिस्टेंट प्रोफेसर का रेशियो

4. करिकुलम डाइवर्सिटी ऐंड अपडेशन

5. प्लेसमेंट

फैकल्टी की क्वालिटी

कॉलेज में पढ़ाई की क्वालिटी का अंदाजा वहां की फैकल्टी से लगाया जा सकता है। अगर कंप्यूटर साइंस कोर्स करना चाहते हैं, तो यह देखना जरूरी है कि उक्त संस्थान में कितनी क्वालिफाइड फैकल्टी यानी एमसीए या एमटेक होल्डर्स हैं? यह जानकारी वेबसाइट की बजाय कॉलेज जाकर या वहां के स्टूडेंट्स से बात कर हासिल की जा सकती है। जैसे- क्या फैकल्टी वहां रेगुलर एम्प्लॉई हैं या गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम कर रहे हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर देखेें

स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को अपनी ओर खींचने के लिए कॉलेजेज के ब्रोशर काफी अट्रैक्टिव बनाए जाते हैं। उनमें लाइब्रेरी, लैब, स्पोट्र्स फैसिलिटीज, क्लासरूम के बारे में बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन कई बार दाखिले के बाद वहां की सच्चाई पता चलती है और तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इसलिए एडमिशन से पहले इन सबके बारे में पूरी जांच-पड़ताल कर लें। कभी सिर्फ ब्रांड पर न जाएं।

इंडस्ट्री कनेक्ट

इन दिनों अक्सर यह शिकायत सुनने को मिलती है कि कॉलेज की पढ़ाई से इंटरव्यू में सक्सेस नहीं मिलती। इंडस्ट्री की जो डिमांड है, उस पर स्टूडेंट्स खरे नहीं उतरते। इसलिए किसी भी कॉलेज को चुनने से पहले यह मालूम करें कि उनका इंडस्ट्री के साथ टाई-अप है या नहीं? आज अधिकांश इंस्टीट्यूट्स या कॉलेजेज में इंस्टीट्यूशन-इंडस्ट्री में कनेक्शन को लेकर कोई मैकेनिज्म नहीं है, जबकि मार्केट और इंडस्ट्री की जरूरतों को देखते हुए कॉरपोरेट मेंटरशिप जैसे प्रोग्राम्स होने चाहिए। वैसे, कंपनीज इंटर्नशिप प्रोग्राम्स के जरिए स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देती हैं। लेकिन यह काम कॉलेज से शुरू हो जाना चाहिए, जैसे आइआइएम, आइआइटी या दूसरे बड़े संस्थानों में होता है।

प्लेसमेंट चेक करें

अमूमन कोई भी प्रोफेशनल कोर्स करने के पीछे स्टूडेंट्स का मकसद सही जगह पर प्लेसमेंट हासिल करना होता है। कॉलेज प्लेसमेंट सेल होने का तो दावा करते हैं, लेकिन आइआइटी, आइआइएम जैसे कुछेक बड़े संस्थानों को छोड़कर अधिकांश का प्लेसमेंट रिकॉर्ड अच्छा नहीं होता। इसलिए कोर्स और कॉलेज चुनने से पहले यह मालूम करें कि किस कोर्स के स्टूडेंट्स का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा रहा है। प्लेसमेंट के दौरान कौन-सी कंपनीज ने पार्टिसिपेट किया, इसकी जानकारी भी आपके पास होनी चाहिए।

प्लान करें करियर

अगर पसंद का कॉलेज या कोर्स न मिले, तो परेशान नहींहोना चाहिए। आज हर जगह कॉम्पि- टिशन बढ़ गया है। प्रोफेशनल कोर्सेज में सीट्स लिमिटेड होती हैं, स्टूडेंट्स की संख्या ज्यादा। बेशक आपमें सारा टैलेंट या क्षमता हो, मेरिट हो, लेकिन मुमकिन है कि पसंद के कोर्स या कॉलेज में दाखिला न मिले। इसके लिए जरूरी है कि एक ऑल्टरनेट एक्शन प्लान तैयार रहे। ऑप्शंस के लिए करियर काउंसलर, टीचर्स, पैरेंट्स, सीनियर्स किसी की भी मदद ली जा सकती है। आप जर्नलिज्म में जाना चाहते हैं, लेकिन आइआइएमसी में एडमिशन नहींमिला, तो दूसरे इंस्टीट्यूट्स और विकल्पों से इस फील्ड में प्रवेश कर सकते हैं।

नेचुरल टैलेंट को पहचानना जरूरी

स्टूडेंट्स को अपनी काबिलियत की पहचान करना जरूरी है। इस टैलेंट की पहचान स्कूल में ही होनी चाहिए। चाहें तो पाठ्यक्रम में शामिल करके या काउंसलिंग के जरिए बच्चों के नेचुरल टैलेंट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्रो. गिरीश त्रिपाठी, वाइस चांसलर, बीएचयू

कैसे चुनें

इंजीनियरिंग ब्रांच?

आपको 12वीं में चाहे कितने ही अच्छे अंक क्यों न मिले हों, लेकिन अगर आइआइटी या एनआइटी में दाखिला नहीं मिल पाता, तो सही इंजीनियरिंग कॉलेज का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि मार्केट में आए दिन नए प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजेज खुल रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप पहले खुद को काउंसलिंग के लिए तैयार करें। रैंक के अनुसार, अपनी प्रॉयरिटीज तय कर लें। आइआइटी में स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के दौरान ही इंजीनियरिंग के विभिन्न ब्रांचेज की जानकारी दे दी जाती है। इसके बाद स्टूडेंट्स पर निर्भर करता है कि वह अपने एप्टीट्यूड, एम्प्लॉयमेंट अपॉच्र्युनिटीज और इंडस्ट्री की डिमांड को देखते हुए कोई

स्ट्रीम चुनें।

चेक करें दावे

इंस्टीट्यूट/फैकल्टी की क्वालिटी

क्क जहां एडमिशन लेने जा रहे हैं, वहां संचालित कोर्स एआइसीटीई या संबंधित रेगुलेटरी बॉडी से मान्यताप्राप्त है या नहीं? अगर मान्यताप्राप्त है, तो उसकी अवधि कब तक है? इस बारे में रेगुलेटरी बॉडी की साइट पर जाकर चेक कर सकते हैं।

क्क संस्था और डिपार्टमेंट की वेबसाइट है कि नहीं? अगर नहीं है या उस पर पूरी इंफॉर्मेशन नहीं दी गई है, तो वहां एडमिशन लेने का रिस्क न लें।

क्क वहां फैकल्टी का लेवल क्या है? फुलटाइम फैकल्टी मेंबर्स की संख्या का पता करें। स्टूडेंट-फैकल्टी रेशियो की जानकारी भी जरूर हासिल करें। यह भी देखें कि फैकल्टी कितनी अपडेटेड है और उसका इंडस्ट्री से कितना इंटरैक्शन होता है?

क्क फैकल्टी की क्वालिफिकेशन के बारे में जानकारी रखें। कितने एमटेक या पीएचडी हैं? उन्होंने पीएचडी कहां से की है, यह जानना अच्छा रहेगा। ज्यादातर अच्छे संस्थानों में पीएचडी होल्डर ही फैकल्टी मेंबर होते हैं।

क्क अगर किसी कॉलेज में फैकल्टी मेंबर की क्वालिफिकेशन बीटेक या एमसीए से ज्यादा नहीं है, तो वहां जाना सही नहीं रहेगा। वैसे अधिकांश प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स में वहींसे पासआउट स्टूडेंट्स को ही पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। इसके बारे में जरूर पता कर लें।

क्क कॉलेज के कितने स्टूडेंट्स हायर टेक्निकल स्टडीज के लिए जाते हैं, इसकी भी जानकारी रखें।

क्क हरेक डिपार्टमेंट के रिसर्च आउटपुट और इंडस्ट्री इंटरैक्शन पर भी ध्यान दें।

कैसे चुनें

ऌमैनेजमेंट कोर्स ?

हर स्टूडेंट पढ़ाई के बाद अच्छी सैलरी, अच्छा पे-पैकेज चाहता है। मैनेजमेंट कोर्स करने के बाद उसे अपने सपने पूरे होते दिखाई देते हैं। लेकिन जरूरी है कि आपका मैथ्स, कॉमर्स

और इकोनॉमिक्स जैसे सब्जेक्ट्स में इंट्रेस्ट हो। इसके बाद ही कॉलेज सलेक्ट करें, क्योंकि इंडिया में मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट्स की बाढ़-सी आई हुई है। इसलिए कहीं भी एडमिशन से पहले उसकी विश्वसनीयता परख लें कि वह एआइसीटीई या यूजीसी से मान्यताप्राप्त है या नहीं। फैकल्टी के बारे में फस्र्ट हैंड इंफॉर्मेशन वहां के स्टूडेंट्स से हासिल करें। उनसे इंटर्नशिप और प्लेसमेंट की जानकारी भी लें। आंख मूंद कर सिर्फ कॉलेज की वेबसाइट पर भरोसा न करें।

कमिटमेंट के साथ आएं

किसी भी ऑर्गेनाइजेशन के लिए सबसे पहले कमिटमेंट मैटर करता है। इसी को सबसे ज्यादा वैल्यू दी जाती है। इसलिए स्टूडेंट्स पूरे डेडिकेशन और पैशन के साथ एजुकेशन या हायर एजुकेशन कंप्लीट कर ही जॉब में आएं। स्मृति सैनी, एचआर मैनेजर, मुंबई

प्लेसमेंट के लिए तैयार

आइआइटी में प्लेसमेंट पर विशेष ध्यान दिया जाता है। स्टूडेंट्स को एकेडमिक्स के साथ-साथ इंडस्ट्री की रिक्वॉयरमेंट के अनुसार ट्रेन किया जाता है। उनके सॉफ्ट स्किल्स को डेवलप किया जाता है।

प्रो.सुधीर बरई, चेयरमैन, सीडीसी, आइआइटी, खडग़पुर

बिजनेस स्कूल्स

को बदलना होगा

बिजनेस स्कूल्स के सामने इंडस्ट्री के मुताबिक अपने करिकुलम को अपग्रेड और स्ट्रॉन्ग करने का बड़ा चैलेंज है। इन स्कूल्स को लाइव प्रोजेक्ट्स, केस स्टडीज, रिसर्च, इंडस्ट्री इंटरैक्शन, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल जैसे एरियाज पर फोकस करना होगा। कॉरपोरेट टाई-अप्स और स्किल डेवलपमेंट कोर्सेज तैयार करने होंगे, जिससे कि इंडस्ट्री के साथ इंटरैक्शन बढ़े। इसके अलावा, अगर ग्लोबल और डोमेस्टिक स्टैंडड्र्स को मैच करना है, तो इंटरनेशनल यूनिवर्सिटीज और एसोसिएशंस के साथ कोलेबोरेशन एवं फैकल्टी एक्सचेंज जैसे प्रोग्राम्स चलाने होंगे।

प्रो. लक्ष्मी मोहन,

डिप्टी डायरेक्टर, आइटीएम

कैसे करें सलेक्शन

आमतौर पर 12वींमें स्टूडेंट्स साइंस, कॉमर्स या आट्र्स, जो भी स्ट्रीम सलेक्ट करते हैं, उससे उनके आगे का करियर तय होता है। इसी आधार पर वे मेडिकल, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, सीए, सीएस, एमबीए, होटल मैनेजमेंट, फैशन डिजाइनिंग आदि कोर्सेज में दाखिले की तैयारी करते हैं। यहींस्टूडेेंट्स को यह बताना और समझाना जरूरी हो जाता है कि वे किस बेसिस पर अमुक कोर्स या कॉलेज का सलेक्शन करें।

पैशन को पहचानेें

आपका पैशन क्या है? आप क्या पढऩा चाहते हैं? किन सब्जेक्ट्स में रुचि है? इन सब पर ध्यान देते हुए ही करियर का चुनाव करें। पैशन को पहचानने का सही समय 10वींसे 12वींतक होता है। समय पर निर्णय लेंगे, स्ट्रेटेजी, प्लानिंग के साथ आगे बढ़ेेंगे, तो ऑप्शंस की कमी नहींरहेगी।

दूर करें कंफ्यूजन

कभी भी करियर का फैसला आखिरी समय में न लें। इससे गलतियां होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर कंफ्यूजन है, तो अपने टीचर, पैरेंट्स या सीनियर्स से मार्गदर्शन लें। डिस्कस करने से प्रॉब्लम्स का सॉल्यूशन निकलता है।

दोस्तों को कॉपी न करें

हर स्टूडेंट का इंट्रेस्ट और पोटेंशियल अलग होता है। किसी को मैथ्स अच्छा लगता है, किसी को पेटिंग में मजा आता है, तो कोई डांसर बनना चाहता है। लेकिन जरूरी नहींकि जो दूसरे कर रहे हों, आप भी वैसा ही करें। जबरन इंजीनियरिंग या मेडिकल की तैयारी में वक्त बर्बाद न करें।

लर्न विद फन

लाइफ में कामयाब होने के लिए हमेशा अपडेट रहना जरूरी है। इसलिए जहां से हो सके, सीखें। अलग-अलग फील्ड्स के एक्सपर्ट से मिलें। न्यूजपेपर्स, मैगजीन्स पढ़ेें। इससे संतुलित राय बनाना आसान होगा।

परवीन मल्होत्रा

सीनियर काउंसलर

कॉन्सेप्ट ऐंड इनपुट: अंशु सिंह


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