क्रिएटिविटी से बनेगी पहचान
समय बदल रहा है। लोग पारंपरिक पेशे को चुनने की बजाय उन क्षेत्रों में करियर बनाने में दिलचस्पी ले रहे हैं, जिनसे उन्हें गहरा लगाव है। यूं कहें कि नया जेनरेशन पैशन को फॉलो करने में विश्वास कर रहा है। यूथ वही कर रहे हैं, जिसमें उसका मन और दिल रमता है, जैसे- कोई इंजी
समय बदल रहा है। लोग पारंपरिक पेशे को चुनने की बजाय उन क्षेत्रों में करियर बनाने में दिलचस्पी ले रहे हैं, जिनसे उन्हें गहरा लगाव है। यूं कहें कि नया जेनरेशन पैशन को फॉलो करने में विश्वास कर रहा है।
यूथ वही कर रहे हैं, जिसमें उसका मन और दिल रमता है, जैसे- कोई इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बावजूद पेंटिंग कर रहा है, तो कोई बैंकिंग सेक्टर में काम करने के बाद एक लेखक के तौर पर अपने सपने को साकार कर रहा है यानी करियर का मतलब आज सिर्फ पैसा कमाना नहीं, बल्कि खुशी और आत्मसंतुष्टि हासिल करना भी हो गया है।
अब अगर आपके भी कुछ शौक हैं, पेड़-पौधों या फूलों के बगीचे में रुचि है, तो गार्डन डिजाइनिंग एक बेहतर करियर विकल्प हो सकता है।
वक़ प्रोफाइल
किसी भी गार्डन या लैंडस्केप की आर्ट डिजाइनिंग को गार्डन डिजाइनिंग कहते हैं। इसके लिए किसी औपचारिक डिग्री की जरूरत नहीं होती है, बल्कि अनुभव होना अधिक महत्व रखता है। आप जितना काम करेंगे, उससे फायदा होगा। यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें क्रिएटिविटी सबसे अहम होती है। बेसिक स्किल्स गार्डन डिजाइनिंग में क्रिएटिविटी के साथ-साथ मेहनत की दरकार होती है। इसके लिए आपको प्रकृति से प्रेम या लगाव होना आवश्यक है, क्योंकि इसमें ज्यादा समय प्रकृति के बीच ही व्यतीत करना होता है। गार्डन डिजाइनिंग में धैर्य की बहुत जरूरत होती है।
इसमें आपको शारीरिक रूप से भी सक्षम होना होगा, क्योंकि आठ से दस घंटे फील्ड में काम करना पड़ सकता है। इसके अलावा, अपने कस्टमर से स्ट्रॉन्ग रिलेशन और बॉन्डिंग होनी चाहिए, ताकि वे बार-बार आपकी सेवा ले सकें।
एजुकेशन क्वालिफिकेशन
गार्डन डिजाइनिंग का कोई स्पेशल कोर्स नहीं है। अधिकांश वे लोग ही इस पेशे में आते हैं, जिनके पास लैंडस्केप आर्किटेक्चर, हॉर्टीकल्चर, गार्डेनिंग आदि में डिग्री होती है। भारत में कुछ इंस्टीट्यूट्स गार्डेनिंग और लैंडस्केपिंग में शॉर्ट ऑर लॉन्ग टर्म कोर्स संचालित करते हैं। आप फ्लोरीकल्चर और लैंडस्केप गार्डेनिंग में
सर्टिफिकेट कोर्स करने के अलावा लैंडस्केपिंग में मास्टर्स कर सकते हैं। सर्टिफिकेट कोर्स लिए स्टूडेंट्स का हायर सेकंडरी, जबकि मास्टर्स के लिए आर्किटेक्चर में ग्रेजुएट होना जरूरी है।
ग्रोथ ऐंड स्कोप
भारत में एक गार्डन डिजाइनर डेढ़ से 4 लाख रुपये के बीच आसानी से कमा सकता है। एक्सपीरियंस्ड कंसल्टेंट्स की तो और भी अट्रैक्टिव कमाई होती है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया या ब्रिटेन जैसे देशों में इससे ज्यादा पैकेज पर काम करने के विकल्प होते हैं, जबकि इंडिया में इसका मार्केट अभी विकसित हो रहा है। यानी धीरे-धीरे ही सही, लोग अपने घर या ऑफिस के लॉन या पार्क के अलावा रीक्रिएशनल सेंटर्स को डेवलप करने में लगे हैं। कॉरपोरेट कंपनीज भी वर्किंग प्लेस को एनवॉयर्नमेंट फ्रेंडली बनाने पर जोर देनी लगी हैं। गार्डन डिजाइनर्स लैंडस्केप कॉन्ट्रैक्टिंग, गार्डन कंसल्टेंसी, गार्डन राइटिंग और रिटेल नर्सरी जैसे सेक्टर्स में काम कर सकते हैं।
(जागरण फीचर)