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शिप के इंजीनियर

आज समुद्र के रास्ते शिप के जरिए पूरी दुनिया में खूब कारोबार हो रहा है। ऐसे में नेवल आर्किटेक्ट या नेवल इंजीनियर्स की डिमांड भी बढ़ने लगी हैं। आज इस फील्ड में भरपूर जॉब्स हैं। कैसे बनाएं इस फील्ड में करियर.. पहले समुद्र के रास्ते व्यापार छोटे-छोटे शिप के माध्यम से हुआ करता था, लेकिन अब इनकी जगह विशालकाय पोतों ने ले ली

By Edited By: Published: Wed, 12 Feb 2014 01:04 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2014 01:04 PM (IST)
शिप के इंजीनियर

आज समुद्र के रास्ते शिप के जरिए पूरी दुनिया में खूब कारोबार हो रहा है। ऐसे में नेवल आर्किटेक्ट या नेवल इंजीनियर्स की डिमांड भी बढ़ने लगी हैं। आज इस फील्ड में भरपूर जॉब्स हैं। कैसे बनाएं इस फील्ड में करियर..

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पहले समुद्र के रास्ते व्यापार छोटे-छोटे शिप के माध्यम से हुआ करता था, लेकिन अब इनकी जगह विशालकाय पोतों ने ले ली है। समय के साथ शिप्स के बढ़ते आकार की तरह इस क्षेत्र में जॉब्स में भी वृद्धि हुई है। यदि आपमें चुनौतियों से जूझने का जज्बा और देश-विदेश घूमने का शौक है, तो नेवल आर्किटेक्चर के रूप में करियर को कई नॉटिकल माइल्स की रफ्तार दे सकते हैं। इस फील्ड में प्रोफेशनल्स शिप ऑपरेशंस, तकनीकी रखरखाव आदि कार्यो से जुड़े होते हैं।

नेचर ऑफ वर्क

हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ नॉटिकल साइंस ऐंड इंजीनियरिंग के डायरेक्टर संजीव कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, यह इंजीनियरिंग की एक खास ब्रांच है। नेवल आर्किटेक्चर, शिप बिल्डिंग और शिपिंग टेक्नोलॉजी के तहत शिप डिजाइनिंग, कंस्ट्रक्शन, मेंटिनेंस और समुद्री मार्ग पर यातायात आदि में इस्तेमाल होने वाले साधनों, मसलन जहाजों और पनडुब्बियों की मरम्मत का कार्य सिखाया जाता है। नेवल इंजीनियरिंग के क्त्रेज का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इससे संबंधित कोर्स करने वाले प्रोफेशनल्स कभी खाली नहीं बैठते हैं। वर्तमान में नेवल इंजीनियर्स की डिमांड देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी खूब है।

कोर्स ऐंड क्वालिफिकेशन

नेवल आर्किटेक्ट या शिप टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर करियर बनाने के लिए नेवल आर्किटेक्चर, शिप बिल्डिंग या समुद्री इंजीनियरिंग में बी.टेक, बीई, बीएससी इन शिप बिल्डिंग ऐंड रिपेयरिंग जैसे कोर्स कर सकते हैं।

इंडियन मरीटाइम यूनिवर्सिटी, कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (सीयूओसएटी) के अलावा, हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ नॉटिकल साइंस ऐंड इंजीनियरिंग से शिप बिल्डिंग ऐंड रिपेयरिंग का कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ इंस्टीट्यूट में शिप बिल्डिंग में बी.टेक कोर्स भी उपलब्ध है, जैसे-आईआईटी मद्रास द्वारा नेवल आर्किटेक्चर और समुद्री इंजीनियरिंग में बी.टेक कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स में दाखिले के लिए सीईटी (कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) आयोजित किया जाता है, जिसे आईएमयू (इंडियन मरीटाइम यूनिवर्सिटी)कंडक्ट करता है। एडमिशन लेने के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ में कम से कम 55 फीसदी मा‌र्क्स जरूरी है। इसके अलावा, 10वीं और 12वीं में अंग्रेजी में 50 फीसदी मा‌र्क्स होना चाहिए। इसमें उन्हीं स्टूडेंट्स को आवेदन करने का मौका मिलता है, जो सीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं। एडमिशन के लिए लिखित परीक्षा में 180 ऑब्जेक्टिव टाइप सवाल होते हैं, जो पीसीएम/इंग्लिश/जनरल नॉलेज और रीजनिंग पर आधारित होते हैं। बीएससी इन शिप बिल्डिंग ऐंड रिपेयरिंग बिल्कुल नया कोर्स है। कोर्स के बाद प्लेसमेंट की अच्छी गुंजाइश होती है।

जॉब ऑपर्चुनिटीज

कोर्स के बाद शिपयार्ड, जहाज, मालवाहक जहाज और मर्चेंट नेवी में जॉब तलाश सकते हैं। शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री, नेवल डॉकयार्ड और शिपिंग कंपनियों में भी आजकल नेवल आर्किटेक्ट और शिप टेक्नोलॉजी से जुड़े लोगों की काफी डिमांड है। इस फील्ड में बेहतर प्रदर्शन करने पर प्रमोशन के भी अच्छे अवसर मिलते हैं।

सैलरी

इस फील्ड में जैस-जैसे आपकी योग्यता बढ़ेगी, तरक्की की राह आसान होगी और सैलरी में भी इजाफा होता चला जाएगा। तरक्की की कोई सीमा नहीं है। असिस्टेंट मैनेजर की सैलरी 30 हजार रुपये से शुरू होती है और सीईओ तक लाखों में पहुंच जाती है। जागरण फीचर

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