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रिहैबिलिटेशन थेरेपी : हेल्थकेयर का नया अट्रैक्शन

आज इंडिया में जिस तरह से स्पो‌र्ट्स इंजरीज, आर्थराइटिस, स्ट्रोक, सेरिब्रल पाल्सी, ट्रॉमेटिक ब्रेन सर्जरी, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी आदि के मामले बढ़ रहे हैं, उन्हें देखते हुए हेल्थकेयर सेक्टर में एक्सप‌र्ट्स या स्पेशलिस्ट मेडिकल प्रोफेशनल्स की मांग में भी तेजी आई है, मसलन-फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनलिस्ट आदि। लेकिन इनमें

By Edited By: Published: Mon, 15 Sep 2014 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 15 Sep 2014 04:22 PM (IST)
रिहैबिलिटेशन थेरेपी : हेल्थकेयर का नया अट्रैक्शन

आज इंडिया में जिस तरह से स्पो‌र्ट्स इंजरीज, आर्थराइटिस, स्ट्रोक, सेरिब्रल पाल्सी, ट्रॉमेटिक ब्रेन सर्जरी, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी आदि के मामले बढ़ रहे हैं, उन्हें देखते हुए हेल्थकेयर सेक्टर में एक्सप‌र्ट्स या स्पेशलिस्ट मेडिकल प्रोफेशनल्स की मांग में भी तेजी आई है, मसलन-फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनलिस्ट आदि। लेकिन इनमें अगर रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट की बात करें, तो वह मरीजों को संपूर्ण रूप से किसी भी तरह के ट्रॉमा से निकालने में मददगार साबित होते हैं। ऐसे में जो लोग मेडिकल फील्ड में करियर बनाने के साथ-साथ समाज के लिए भी कुछ करना चाहते हैं, वे रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट के रूप में इस सफर की शुरुआत कर सकते हैं।

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क्या है रिहैबिलिटेशन थेरेपी?

हादसों के बाद अक्सर लोगों को गंभीर शारीरिक चोटों के अलावा भी कई तरह की मानसिक और दूसरी परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है। इससे उबरने के लिए उन्हें फिजिकल के साथ-साथ ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत पड़ती है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी जहां मरीज को उसके सामान्य दिनचर्या में लौटने में मदद करती है, वहीं फिजियोथेरेपी (एक्सरसाइज) शारीरिक रूप से सशक्त बनाती है। लेकिन रिहैबिलिटेशन थेरेपी को इन दोनों का मिश्रण कहा जा सकता है। इसमें मरीज की शारीरिक, मानसिक या कॉग्निटिव दिक्कतों पर एक साथ फोकस किया जाता है। इसके कई सारे ब्रांच हैं, जैसे-स्पेशल एजुकेशन, क्लीनिकल या साइकोलॉजिकल रिहैबिलिटेशन।

बेसिक स्किल्स

एक सक्सेसफुल रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट बनने के लिए युवाओं के पास धैर्य के साथ-साथ अच्छी कम्युनिकेशन और एनालिटिकल स्किल होनी जरूरी है। इसके अलावा, एकेडमिक और रिसर्च बैकग्राउंड भी स्ट्रॉन्ग होना चाहिए। कैंडिडेट को मोटिवेटेड भी होना होगा। उन्हें स्पीच थेरेपिस्ट, रिहैबिलिटेशन काउंसलर आदि से तालमेल रखना आना चाहिए।

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट बनने के लिए इस फील्ड में बैचलर्स या मास्टर्स डिग्री जरूरी होती है। बैचलर्स कोर्स करने के लिए साइंस स्ट्रीम के साथ हायर सेकंडरी जरूरी है। ज्यादातर इंस्टीट्यूट्स या यूनिवर्सिटीज में एंट्रेंस एग्जाम के जरिए एडमिशन दिया जाता है। इसके अलावा, कई इंस्टीट्यूट रिहैबिलिटेशन थेरेपी में मास्टर्स भी ऑफर करते हैं। आप चाहें, तो रिहैबिलिटेशन थेरेपी में बीएससी या डिप्लोमा कर सकते हैं।

वर्क स्कोप

रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट हॉस्पिटल, साइकाइएट्रिक इंस्टीट्यूट्स से लेकर हेल्थ सेंटर में काम कर सकते हैं। इसके अलावा, स्पेशल स्कूल्स, कम्युनिटी मेंटल हेल्थ सेंटर या स्पो‌र्ट्स टीम के साथ जुड़कर भी काम किया जा सकता है। अगर कोई समाजसेवा के क्षेत्र में जाना चाहे, तो बुजुर्गो, बच्चों या फिजिकली डिसएबल लोगों के लिए काम करने वाली संस्था के साथ भी काम कर सकता है।

फाइनेंशियल ग्रोथ

रिहैबिलिटेशन थेरेपिस्ट के पास फुलटाइम के अलावा पार्टटाइम काम करने के विकल्प हैं। रिहैबिलिटेशन थेरेपी या इससे संबंधित पेशे से जुड़े प्रोफेशनल्स शुरुआत में हर माह कम से कम 10 से 15 हजार रुपये आसानी से कमा सकते हैं। ट्रेनिंग और एक्सपीरियंस बढ़ने के साथ सैलरी 50 हजार रुपये महीने या उससे अधिक जा सकती है। रिहैबिलिटेशन फिजिशियन की सैलरी एलाइड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से ज्यादा होती है।

टीम वर्क है रिहैबिलिटेशन

रिहैबिलिटेशन थेरेपी में टीम अप्रोच से काम होता है। इसमें फिजियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट आदि की एक पूरी टीम होती है, जो ऑर्थोपेडिक्स, न्यूरोलॉजिस्ट्स, न्यूरोसर्जन्स आदि के साथ मिलकर काम करती है। इनके अलावा रिहैबिलिटेशन फिजिशियन बर्थ डिफेक्ट, सेरिब्रल पाल्सी, स्ट्रोक से ग्रसित मरीजों को देखते हैं। ये एमबीबीएस डिग्री धारी और दूसरे मेडिकल स्पेशलिस्ट्स से भिन्न होते हैं।

डॉ. दीपक शरण

कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स ऐंड रिहैबिलिटेशन, आरइसीओयूपी, बेंगलुरु

टॉप इंस्टीट्यूट्स

4 नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर मेंटली हैंडिकैप्ड, सिकंदराबाद www.nimhindia.org

4इंस्टीट्यूट फॉर द फिजिकली हैंडिकैप्ड, दिल्ली www.iphne2delhi.in

4ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली www.aiims.edu

4इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर, दिल्ली

www.isiconline.org

4ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल मेडिसिन ऐंड रिहैबिलिटेशन, मुंबई,

www.aiipmr.go1.in

इंटरैक्शन : अंशु सिंह


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