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अब पैरा मेडिकल में बना सकते है ब्राइट फ्यूचर

भारत में पैरा मेडिकल का क्षेत्र तेजी से ग्रोथ कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, 2020 तक इस क्षेत्र में 90 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। आप बायोलॉजी के स्टूडेंट्स हैं और इस ग्रोइंग फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपका फ्यूचर ब्राइट हो सकता है? आज भारत हेल्थकेयर सेक्टर में हॉट डेस्टिन्

By Edited By: Published: Wed, 12 Mar 2014 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 12 Mar 2014 11:58 AM (IST)
अब पैरा मेडिकल में बना सकते है ब्राइट फ्यूचर

भारत में पैरा मेडिकल का क्षेत्र तेजी से ग्रोथ कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, 2020 तक इस क्षेत्र में 90 लाख प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। आप बायोलॉजी के स्टूडेंट्स हैं और इस ग्रोइंग फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपका फ्यूचर ब्राइट हो सकता है?

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आज भारत हेल्थकेयर सेक्टर में हॉट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। दुनियाभर से लोग यहां मेडिकल चेकअप और इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इस कारण जिस रफ्तार से हॉस्पिटल्स और लैब्स की संख्या बढ़ रही है, उसी अनुपात में पैरा मेडिकल प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में वर्ष 2015 तक 60 लाख से अधिक और वर्ष 2020 तक 90 लाख पैरा मेडिकल प्रोफेशनल्स की जरूरत पड़ेगी। योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को लगभग 10 लाख नर्सो और बड़ी संख्या में पैरा मेडिकल प्रोफेशनल्स की कमी झेलनी पड़ रही है। हालांकि पैरा मेडिकल के तहत बहुत सारे प्रोफेशन आते हैं, लेकिन इसमें मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी को काफी हॉट प्रोफेशन माना जा रहा है। आज मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट की डिमांड निजी क्षेत्र के हॉस्पिटल्स के साथ-साथ सरकारी क्षेत्र के हॉस्पिटल्स में भी खूब हैं।

कैसे होगी एंट्री?

आज लैब टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में करियर बनाने के लिए कई रास्ते खुल गए हैं। आप चाहें, तो इससे संबंधित कोर्स, जैसे- सर्टिफिकेट इन मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी (सीएमएलटी), बीएससी मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी (बीएससी एमएलटी), डिप्लोमा इन मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी (डीएमएलटी) जैसे कोर्स कर सकते हैं। इस बारे में दिल्ली पैरा मेडिकल ऐंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट की प्रिंसिपल अरुणा सिंह का कहना है कि मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजी कोर्स के तहत स्टूडेंट्स को ब्लड, यूरिन आदि के अलावा शरीर के तमाम फ्लूइड्स की जांच में ट्रेंड किया जाता है। आमतौर पर इस तरह के कोर्स 12वीं के बाद किए जा सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं में बॉयोलॉजी सब्जेक्ट का होना जरूरी है। डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो वर्ष की होती है। वैसे, इस फील्ड में जॉब तो बीएससी या डिप्लोमा करने के बाद भी मिल जाती है, लेकिन पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के बाद आपकी डिमांड विशेषज्ञ के रूप होने लगती है।

वर्क प्रोफाइल

इस फील्ड में दो तरह के प्रोफेशनल्स काम करते हैं-एक मेडिकल लेबोरेट्री टेक्निशियन और दूसरे मेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट। दोनों का वर्क प्रोफाइल अलग-अलग होता है। मुख्य रूप से मेडिकल टेक्निशियन का कार्य सैंपल को टेस्ट करना होता है। यह काफी जिम्मेदारी भरा कार्य होता है। जांच के दौरान थोड़ी-सी गलती किसी के लिए जानलेवा साबित हो सकती है, क्योंकि डॉक्टर लैब रिपोर्ट के आधार पर ही इलाज और दवा लिखते हैं। टेक्निशियन के काम को तीन हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है- नमूना तैयार करना, जांच की मशीनों को ऑपरेट करना एवं उनका रखरखाव और जांच की रिपोर्ट तैयार करना। टेक्निशियन नमूना तैयार करने के बाद मशीनों के सहारे इसे टेस्ट करते हैं और एनालिसिस के आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हैं। स्पेशलाइज्ड उपकरणों और तकनीक का इस्तेमाल कर टेक्निशियन सारे टेस्ट करते हैं। वहींमेडिकल लेबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट रोगी के खून की जांच, टीशू, माइक्रोआर्गनिज्म स्क्रीनिंग, केमिकल एनालिसिस और सेल काउंट से जुड़े परीक्षण करते हैं। टेक्नोलॉजिस्ट का काम भी जिम्मेदारी भरा होता है। ये ब्लड बैंकिंग, क्लिनिकल केमिस्ट्री, इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में काम करते हैं। इसके अलावा, टेक्नोलॉजिस्ट साइटोटेक्नोलॉजी, फेलबोटॉमी, यूरिन एनालिसिस, कॉग्यूलेशन, पैरासीटोलॉजी और सेरोलॉजी से संबंधित परीक्षण भी करते हैं। वर्क एक्सपीरियंस के साथ टेक्नोलॉजिस्ट लैब या हॉस्पिटल में सुपरवाइजर या मैनेजमेंट की पोस्ट तक पहुंच सकते हैं। ट्रेंड टेक्नोलॉजिस्ट लेबोरेट्री मैनेजर, कंसल्टेंट, सुपरवाइजर, हेल्थकेयर ऐडमिनिस्ट्रेशन, हॉस्पिटल आउटरीच कॉर्डिनेशन, लेबोरेट्री इंफॉर्मेशन सिस्टम एनालिस्ट, कंसल्टेंट, एजुकेशनल कंसल्टेंट, कोऑर्डिनेटर, हेल्थ ऐंड सेफ्टी ऑफिसर के तौर पर भी काम कर सकते हैं।

ग्रोइंग फील्ड

भारत मेडिकल टूरिज्म का ग्लोबल हब बन चुका है। यहां पड़ोसी देशों के अलावा, अमेरिका और यूरोपीय देशों के लोग भी सस्ते इलाज के लिए आते हैं। उदारीकरण ने हेल्थकेयर इंडस्ट्री और खासकर मेडिकल टूरिज्म की तरक्की और फलने-फूलने की राह को व्यापक बना दिया है। यह फील्ड 15 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही है। वर्ष 2012 में यह इंडस्ट्री 78.6 बिलियन डॉलर की थी, जिसे वर्ष 2017 तक 158.2

बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। इस फील्ड में गवर्नमेंट सेक्टर में जॉब वैकेंसीज का इंतजार करना पड़ सकता है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में ऐसी बात नहीं है। अगर आप चाहें, तो शुरुआत में प्राइवेट लैब के साथ जुड़ कर काम शुरू कर सकते हैं। अगर बीएससी मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट हैं, तो अपना लैब भी खोल सकते हैं। क्वालिफिकेशन और एक्सपीरियंस के बाद टेक्निशियन भी टेक्नोलॉजिस्ट के तौर पर भी काम करना शुरू कर सकते हैं।

पैरा मेडिकल का दायरा

पैरा मेडिकल फील्ड में नसिर्ग के अलावा, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, ऑपरेशन थियेटर टेक्नोलॉजी, फिजियोथेरेपी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी, कार्डियक टेक्नोलॉजी, डायलिसिस/ रेनल डायलिसिस टेक्नोलॉजी, ऑर्थोटिक और प्रोस्थेटिक टेक्नोलॉजी, ऑप्टोमेट्री, फार्मेसी, रेडियोग्राफी/रेडियोथेरेपी, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन / मैनेजमेंट, मेडिकल रिकॉर्ड संचालन, ऑडियोलॉजी ऐंड स्पीच थेरेपी, डेंटल हाइजिन ऐंड डेंटल मैकेनिक, डेंटल सेरामिक टेक्नोलॉजी आदि आते हैं।

सैलरी पैकेज

इस फील्ड में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की शुरुआती सैलरी 12-20 हजार रुपये प्रतिमाह होती है। अनुभव के बाद सैलरी बढ़ने के साथ-साथ आप अपना लैब भी खोल सकते हैं।

(जागरण फीचर)


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