जॉब के साथ स्टडी संभव
टीनएज के अपने सपने को पूरा करने के लिए जलज शर्मा ने छोटे-छोटे लक्ष्यों का मोह छोड़ दिया और अंतत: हासिल कर ली मंजिल.. माता-पिता दोनों ही हरियाणा सरकार के मुलाजिम थे। घर पर ब्यूरोक्रेट्स का आना-जाना लगा रहता था, इसलिए टीनएज से ही मुझे सिविल सर्विस का क्रेज हो गया था। सिविल सर्वेट के रूप में ग्राउंड लेवल पर आम जनता के ब
टीनएज के अपने सपने को पूरा करने के लिए जलज शर्मा ने छोटे-छोटे लक्ष्यों का मोह छोड़ दिया और अंतत: हासिल कर ली मंजिल..
माता-पिता दोनों ही हरियाणा सरकार के मुलाजिम थे। घर पर ब्यूरोक्रेट्स का आना-जाना लगा रहता था, इसलिए टीनएज से ही मुझे सिविल सर्विस का क्रेज हो गया था। सिविल सर्वेट के रूप में ग्राउंड लेवल पर आम जनता के बीच जाने का मौका मिलता है और हाइएस्ट लेवल पर पॉलिसी मेकिंग का भी। इस दिशा में मेरे चाचा ने मेरा भरपूर उत्साह बढ़ाया और मार्गदर्शन किया।
इंजीनियरिंग क्यों नहीं
इंजीनियरिंग में मेरा इंट्रेस्ट था। इंजीनियरिंग मैंने वैसे ही की, जैसे दूसरे स्टूडेंट्स आर्ट्स या साइंस में ग्रेजुएशन करते हैं। लेकिन मेरा लक्ष्य आइएएस बनना ही था। इंजीनियरिंग के साथ अच्छी बात यह है कि अगर मेरा सिविल सर्विस में सेलेक्शन नहीं होता, तो इसमें भी मैं अच्छा करियर बना सकता था।
लक्ष्य पर हो नजर
मैंने ग्रेजुएशन के दौरान ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। न्यूजपेपर, मैगजींस, न्यूज चैनल्स और इंटरनेट के जरिए नॉलेज गेन करना शुरू कर दिया था। ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद ही मेरा सलेक्शन सीएसआइआर में सेक्शन ऑफिसर और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पीओ पद पर हो गया। मैंने सीएसआइआर ज्वाइन किया, क्योंकि यह काम मेरे इंट्रेस्ट का था। लेकिन अब भी मेरा ध्यान अपने लक्ष्य पर ही था। आठ महीने तक जॉब किया, लेकिन उसके बाद जॉब छोड़कर पूरी तरह से तैयारी में लग गया।
खुद के लिए ईमानदार बनें
आप ईमानदारी की बात तो करते हैं, लेकिन खुद के लिए कितने ईमानदार हैं, यह सिर्फ आप ही जानते हैं। आप अपने और अपने लक्ष्य के लिए जितना ईमानदार रहेंगे, सफल होने की प्रतिशतता उसी रेशियों में बढ़ती जाएगी। इसलिए जरूरी नहीं कि आप 24 में से 14 घंटे किताबों से ही चिपके रहें। जरूरी यह है कि आप अपनी नॉलेज कितनी बढ़ाते हैं। बुक्स हों, न्यूजपेपर्स हों या इंटरनेट.., इंपॉर्टेट यह है कि आप उनसे ग्रहण कितना करते हैं।
कैसे लिखें अच्छा आंसर
सिविल सेवा परीक्षा में आपसे टु-द-प्वाइंट आंसर की उम्मीद की जाती है। आंसर आप कहां से लिखते हैं, यह मायने नहीं रखता, बस वह प्रामाणिक होना चाहिए और जितना पूछा गया, आपके आंसर में उससे संबंधित पूरी बात आ जाए। आजकल मेन्स एग्जाम में किसी भी क्वैश्चन का आंसर लिखने के लिए शब्द सीमा तय होती है। उसी जगह में आपको बेस्ट आंसर लिखना होता है। सटीक आंसर लिखने वाले को ही अच्छे मार्क्स मिलते हैं। इसलिए आपको दो काम करने होंगे। पहला, ज्यादा से ज्यादा नॉलेज गेन करना होगा, ताकि किसी भी टॉपिक पर क्वैश्चन पूछा जाए, तो आप अपनी नॉलेज से उसका जवाब दे सकें और दूसरे, आपको आंसर लिखने की प्रैक्टिस करनी होगी, ताकि लिमिटेड शब्दों में सटीक आंसर लिख सकें।
इंटरव्यू के लिए बनें एनालिटिकल
इंटरव्यू में मुझसे कई तरह के सवाल किए गए। इनमें से ज्यादातर मेरे टेक्निकल बैकग्राउंड को लेकर थे। कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग पर सवाल पूछे गए। इसके अलावा, कुछ सिचुएशन बेस्ड सवाल भी पूछे गए, जैसे- महिलाओं के प्रति काफी अपराध सामने आ रहे हैं, अगर आप आइपीएस बने, तो यह समस्या कैसे सुलझाएंगे। ऐसे क्वैश्चंस के लिए आपको मानसिक रूप से तैयार रहना होगा।
जॉब के साथ की पढ़ाई
अमने मन में कभी भी यह निगेटिव सोच न लाएं कि जॉब के साथ-साथ आप पढ़ाई नहीं कर सकते। आइआरएस में सलेक्शन के बाद मैं मैसूर में जॉब कर रहा था। 2013 के सिविल सर्विसेज एग्जाम के लिए मैंने उसी दौरान पढ़ाई की।
जलज शर्मा
आइएएस टॉपर 2013, रैंक-43
Profile @?Glance
-उम्र : 26 साल
-पिता : पूर्व एडिशनल डायरेक्टर, हरियाणा पब्लिक रिलेशंस डिपार्टमेंट
-मां : असिस्टेंट आर्किटेक्ट, हरियाणा आर्किटेक्चरल डिपार्टमेंट
-जन्म : करनाल (हरियाणा)
-10वीं : सेंट एनी कान्वेंट स्कूल, चंडीगढ़।
-12वीं : द्दरूस्स्स्-स्द्गष्ह्लश्रह्म 37 चंडीगढ़।
-बीटेक इन कंप्यूटर साइंस ऐंड इंजीनियरिंग : कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी।
-फर्स्ट प्लेसमेंट: ओरेकल (ज्वाइन नहीं किया)।
-फर्स्ट जॉब: सेक्शन ऑफिसर, सीएसआइआर।
-सेकेंड जॉब ऑफर : पीओ, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (ज्वाइन नहीं किया)।
-सिविल सर्विस में फर्स्ट अटेम्प्ट : मई 2010, 410वीं रैंक, आइआरएस में सेलेक्टेड
-सेकंड अटेम्प्ट: 2011, मेन्स क्वालिफाइ नहीं कर पाए।
-थर्ड अटेम्प्ट: 2013, 856 मार्क्स के साथ 43वीं रैंक।
इंटरैक्शन: मिथिलेश श्रीवास्तव