एस्थेटिशियन मेक योर स्किन परफेक्ट
वेलनेस इंडस्ट्री में अपनी एक खास पहचान बनानी है, तो बतौर स्किन केयर स्पेशलिस्ट यानी एस्थेटिशियन, करियर को नया आयाम दे सकते हैं.. पर्सनल ग्रूमिंग को लेकर इंडियंस काफी कांशस हो चुके हैं। यही वजह है कि बीते सालों में स्पा, सैलोंस की ग्रोथ रेट करीब 35 परसेंट रही है। वहीं, कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट कराने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़
वेलनेस इंडस्ट्री में अपनी एक खास पहचान बनानी है, तो बतौर स्किन केयर स्पेशलिस्ट यानी एस्थेटिशियन, करियर को नया आयाम दे सकते हैं..
पर्सनल ग्रूमिंग को लेकर इंडियंस काफी कांशस हो चुके हैं। यही वजह है कि बीते सालों में स्पा, सैलोंस की ग्रोथ रेट करीब 35 परसेंट रही है। वहीं, कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट कराने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। फिक्की और ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, 2015 तक इंडियन वेलनेस इंडस्ट्री में तीन मिलियन से ज्यादा जॉब्स क्रिएट होंगे। ऐसे में अगर आप भी इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनने चाहते हैं, तो बतौर एस्थेटिशियन इस फील्ड में कदम रख सकते हैं।
क्या होते हैं एस्थेटिशियन?
ऐसे प्रोफेशनल्स जो कस्टमर्स की जरूरत के हिसाब से स्किन केयर ट्रीटमेंट करते हैं, उन्हें एस्थेटिशियन कहा जाता है। ये लोग डर्मेटोलॉजिस्ट के सहयोग से या स्वतंत्र रूप से नाखून से लेकर बालों तक को ट्रीट करने में दक्षता रखते हैं। सर्जिकल ऑपरेशंस, रेडिएशन के बाद मरीजों को किस तरह के स्किन ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, उनके लिए कौन-सा ब्यूटी केयर प्रोडक्ट अच्छा रहेगा, यह सुझाव भी एस्थेटिशियन ही देते हैं। यानी किसी भी शख्स के पर्सनल अपीयरेंस की ग्रूमिंग की जिम्मेदारी इनकी ही होती है। यह लोगों को यंग दिखने में मदद करते हैं।
जरूरी क्वालिफिकेशन
इस सेक्टर में आने के इच्छुक स्टूडेंट्स के पास कॉस्मेटोलॉजी, फैशन स्टाइलिंग और ब्यूटी केयर की ग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए। वैसे हायर सेकंडरी के बाद डिप्लोमा करके भी इस फील्ड में करियर बनाने के पूरे मौके हैं। इंडिया में कई प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स हैं, जहां से स्किन एस्थेटिक्स में डिप्लोमा या डिग्री कोर्स किया जा सकता है। कुछ इंस्टीट्यूट्स सीआईडीइएससीओ (सिडेस्को) सर्टिफाइड इंटरनेशनल डिप्लोमा इन ब्यूटी कॉस्मेटोलॉजी कोर्स भी कराते हैं, जिसकी मार्केट में अच्छी डिमांड है।
ग्रोथ के लिए स्किल्स
जिन यंगस्टर्स के पास एक्सीलेंट कम्युनिकेशन स्किल है, उन्हें इस फील्ड में प्रिफरेंस मिलती है। यानी कॉन्फिडेंस और अपनी बात को मजबूती के साथ रखने का हुनर हो, तो अच्छा रहेगा। इसके अलावा उन्हें क्लाइंट्स की जरूरतों का ध्यान रखना, उनके प्रति संवेदनशील रुख रखना आना चाहिए। सैनिटेशन स्किल के साथ इस फील्ड में लंबे समय तक टिके रहने के लिए टाइम का पंक्चुअल होना भी जरूरी है।
जॉब अपॉच्र्युनिटीज
कॉरपोरेट या सर्विस सेक्टर में जिस तरह से मेकओवर या पर्सनल ग्रूमिंग का ट्रेंड बढ़ रहा है, उसे देखते हुए इसमें बेहतरीन करियर की संभावनाएं हैं। शुरुआत में कैंडिडेट्स सैलोन, फिटनेस क्लब, स्पा, रिजॉर्ट आदि में काम का अनुभव हासिल कर सकते हैं। इसके बाद वे किसी भी प्राइवेट फर्म में बतौर एस्थेटिशियन काम कर सकते हैं। फ्रीलांसर के रूप में या फिर खुद का स्किन या कॉस्मेटोलॉजी क्लीनिक शुरू कर मार्केट में स्टैब्लिश हो सकते हैं। एस्थेटिशियन के लिए हेल्थ के साथ-साथ ब्यूटी इंडस्ट्री में अच्छी अपॉच्र्युनिटीज हैं।
इंटरैक्शन : अंशु सिंह