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करूंगा गुड गवर्नेस में कंट्रीब्यूशन

झारखंड के डाल्टनगंज के रचित राज को कभी पढ़ाई के लिए डांट नहीं पड़ी, फिर भी सही दिशा में मेहनत से पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में तीसरा स्थान लाकर उन्होंने हर किसी को चौंका दिया. बचपन का सपना था सोसायटी के लिए कुछ करना। देश को गुड गवर्नेस के जरिए प्रगति की राह पर ले जाना। बस इसी चाहत को पूरा करने के लिए ि

By Edited By: Published: Tue, 01 Jul 2014 03:11 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jul 2014 03:11 PM (IST)
करूंगा गुड गवर्नेस में कंट्रीब्यूशन

झारखंड के डाल्टनगंज के रचित राज को कभी पढ़ाई के लिए डांट नहीं पड़ी, फिर भी सही दिशा में मेहनत से पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में तीसरा स्थान लाकर उन्होंने हर किसी को चौंका दिया.

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बचपन का सपना था सोसायटी के लिए कुछ करना। देश को गुड गवर्नेस के जरिए प्रगति की राह पर ले जाना। बस इसी चाहत को पूरा करने के लिए सिविल सर्विसेज को चुनने वाले रचित राज ने आखिरकार अपनी मंजिल पा ही ली। यह अलग बात है कि उन्हें कतई इस सफलता की उम्मीद नहीं थी। इसलिए तीसरा रैंक लाना किसी सरप्राइज की तरह था। वे खुश हैं कि उनकी ईमानदार मेहनत रंग लाई।

देश सेवा का प्लेटफॉर्म

बीआइटी, वेल्लोर से बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक करने वाले रचित कहते हैं, यूथ नेशन बिल्डिंग में अपनी भागीदारी निभाना चाहते हैं। सिविल सर्विसेज देश सेवा से जुड़ने का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। मैं गुड गवनर्ेंस के साथ सोसायटी में डेवलपमेंट लाना चाहता हूं। गरीब तबके और समाज के पिछड़े लोगों के विकास के लिए काम करना चाहता हूं , क्योंकि उनकी हालत देखकर मुझे काफी अफसोस होता है। इसलिए बचपन में ही तय कर लिया था कि जब भी देश सेवा का मौका मिलेगा, उसे हाथ से नहीं जाने दूंगा। मुझे कभी भी किसी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने का क्रेज नहीं था। अब के बाद मेरी पहली कोशिश सीधे लोगों से कनेक्ट करने की होगी। स्थानीय समस्याओं को दूर करने के प्रयास के साथ ही ब्यूरोक्रेसी को टेक्नोलॉजी फ्रेंडली, पुलिस को और विजिलेंट बनाना प्राथमिकता होगी। महिलाओं की सुरक्षा आज एक बड़ा मुद्दा है। इसके लिए 2-37 हेल्पलाइन नंबर शुरू करने का इरादा है।

ब्यूरोक्रेट्स से अपेक्षाएं

एक सफल ब्यूरोक्रेट वही है, जो लोगों से जुड़कर विकास और प्रशासन की जिम्मेदारी संभाले। क्योंकि जब कलेक्टिव तरीके से काम होगा, तभी समाज में बदलाव आएगा। इसके अलावा, सिविल सर्वेट का नम्र होना भी जरूरी है। हां, नम्रता का मतलब यह नहीं है कि वह निर्णय लेने में लचर हो। उन्हें देश हित में अपना निर्णय लेना होगा। यह सही है कि ब्यूरोक्रेसी में हमेशा से राजनीतिक हस्तक्षेप रहा है। लेकिन यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह नेशनल एजेंडे के लिए किस चीज को सही मानता है और फिर उसके अनुसार लोगों को कनविंस करता है। पहले की तुलना में ब्यूरोक्रेसी में काफी चेंज आए हैं और आगे भी बदलाव होने की उम्मीद है।

सीक्रेट ऑफ सक्सेस

सिविल सर्विसेज में कामयाबी का कोई फिक्स्ड फॉर्मूला नहीं है, कहते हैं रचित। जो भी स्टूडेंट ईमानदारी के साथ पांच से छह महीने, रोजाना 4 से 5 घंटे फोकस्ड होकर स्टडी करता है, उसे सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। जहां तक इंटरव्यू की बात है, उसमें कैंडिडेट की पूरी पर्सनैलिटी, प्रेजेंटेबल स्किल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव केस स्टडी के जरिए प्रेशर हैंडल करने की क्षमता, लोगों से डील करने का हुनर, ऑनेस्टी और इंटिग्रिटी परखी जाती है। इसमें जो खरा उतरता है, वही सक्सेस पाता है।

प्लानिंग के साथ शुरुआत

मैंने दिसंबर 2012 में एक प्लानिंग के तहत सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की थी। स्टडी मैटीरियल के रेगुलर रिवीजन के साथ राइटिंग एबिलिटी पर वर्क किया। ज्यादा से ज्यादा क्वैश्चंस की प्रैक्टिस की। हां, इंटरव्यू से पहले थोड़ा नर्वस था कि क्या होगा? लेकिन मैं खुशकिस्मत रहा कि मुझसे पूछे गए करीब 99 परसेंट सवाल ओपिनियन बेस्ड थे, जिसके जवाब मैंने पूरे विश्वास के साथ दिए।

रचित राज (डाल्टनगंज)

आइएएस टॉपर, रैंक-3

Profile @ Glance

- सेक्रेड हार्ट स्कूल, डाल्टनगंज

(हजारीबाग) से दसवीं किया

- पिलानी के बिड़ला सीनियर

सेकंडरी स्कूल से 12वीं किया

- बीआइटी, वेल्लोर से

बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक

- इंडियन फॉरेस्ट सर्विस एग्जाम

(2013) में 23वींरैंक

- पिता बैंक में जॉब करते हैं, मां

हाउसवाइफ हैं

- बड़े भाई ऋषभ इंजीनियर हैं

इंटरैक्शन : अंशु सिंह


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