करियर के रंग
सही समय पर सही शुरुआत करने से मंजिल पर पहुंचना आसान हो जाता है। 12वींके बाद स्टूडेंट करियर के उस गोल चक्कर पर खड़े होते हैं, जहां बहुत से रास्ते होते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स को यह समझ में नहीं आता कि वे किस रास्ते पर आगे बढ़ें, जो उनके मन
सही समय पर सही शुरुआत करने से मंजिल पर पहुंचना आसान हो जाता है। 12वींके बाद स्टूडेंट करियर के उस गोल चक्कर पर खड़े होते हैं, जहां बहुत से रास्ते होते हैं। अक्सर स्टूडेंट्स को यह समझ में नहीं आता कि वे किस रास्ते पर आगे बढ़ें, जो उनके मन का हो, जिसमें पहचान के साथ अच्छे पैसे भी मिलें। इस समय सही जानकारी मिल जाए, तो कन्फ्यूजन आसानी से दूर हो जाता है। इस बार स्पेशल स्टोरी में पेश हैं करियर के 10 ऐसे हॉट सेक्टर्स, जिनमें से आप अपना पसंदीदा क्षेत्र चुनकर आगे की राह आसान बना सकते हैं। आगामी अंकों में इनमें से हर एक के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी, ताकि आप अपने इंट्रेस्ट के क्षेत्र में ब्राइट करियर की दिशा में आगे बढ़ सकें...
1. मेडिकल में फ्यूचर
डॉ. विजय कुमार, सीनियर रेजिड़ेंट,
जेपी हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा
मैंने सातवीं कक्षा में ही फैसला कर लिया था कि डॉक्टर बनकर राष्ट्र की सेवा करनी है। इसलिए 12वीं के बाद ही एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी में जुट गया। सेल्फ स्टडी के अलावा कोचिंग से भी मदद ली। पहली बार में नाकाम रहा, लेकिन 2004 में दूसरे अटेम्प्ट में ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट क्लियर कर लिया। इसके बाद रोहतक के पीबीडीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और मेडिकल ऑनकोलॉजी में एक साल का डिप्लोमा। इसके बाद दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल में कुछ समय अपनी सेवाएं दीं। इंडिया में आज भी डॉक्टरों की बड़ी डिमांड है। एमबीबीएस के अलावा दूसरे विकल्प आ गए हैं।
अन्य ऑप्शंस क्या हैं
-नर्सिंग
-फिजियोथेरेपी
-ऑक्यूपेशनल थेरेपी
-फार्मास्युटिकल
-मेडिकल लैब टेक्निशियन
-ऑप्टोमेट्री
एलिजिबिलिटी
एमबीबीएस में एडमिशन के लिए आप स्टेट लेवल के अलावा ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट, एम्स, एएफएमसी आदि की प्रवेश परीक्षा दे सकते हैं। सीबीएसई द्वारा नेशनल लेवल पर एआइपीएमटी का आयोजन किया जाता है। इनके अलावा, कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज अपनी प्रवेश परीक्षा लेते हैं। इसमें शामिल होने के लिए कैंडिडेट को बायोलॉजी से 12वीं उत्तीर्ण करना होगा।
2. इंजीनियंिरंग का पैशन
विवेक विश्वकर्मा
सीनियर सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल, इक्विफैक्स, अटलांटा
मेरे पिताजी अक्सर मुझसे कहा करते थे, काम कोई भी करो, लेकिन सच्चाई से करो और अपना बेस्ट परफॉर्र्मेंस दो। मैंने हमेशा इसे फॉलो किया। 2003 में इलाहाबाद के जेके इंस्टीट्यूट से बीटेक करने के बाद मैंने रिलायंस इंफोकॉम में प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में ज्वाइन किया। ब्रिटेन की कंपनी एयरकॉम में भी काम किया। इस दौरान मैंने बहुत कुछ सीखा। इंजीनियरिंग की हर स्ट्रीम लाजवाब है, बशर्ते आप इसे जी सकेें। सपने देख सकें। स्टडी वह सबसे आसान तरीका है, जिससे सब कुछ पा सकते है। इसलिए स्मार्टली हार्ड वर्क करें और तब तक न रुकेें, जब तक आप अपने सपने को साकार न कर लेें।
ऑप्शंस क्या हैं
-सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
-केमिकल इंजीनियरिंग
-एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
-ऑटोमेशन ऐंड रोबोटिक्स
-ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग
-एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग
-जेनेटिक इंजीनियरिंग
-सेरेमिक इंजीनियरिंग
एलिजिबिलिटी
-मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ कम से कम 12वीं पास।
स्किल्स
-टेक्निकल, साइंटिफिक ऐंड इनवेस्टिगेटिव अप्रोच
-एक्यूरेसी, ऑब्जर्वेशन ऐंड एनालिसिस की क्षमता
-लगातार सीखने की चाहत
-इनोवेटिव ऐंड क्रिएटिव अप्रोच
3. कॉमर्स में फेम
पूनम मदान, फैकल्टी सुपर प्रॉफ, बेंगलुरु
मुझे साइंस में इंट्रेस्ट था। लेकिन कॉमर्स चैलेंजिंग लगता था, इसलिए 12वीं के बाद ही सीए बनने का फैसला कर लिया। दिल्ली के वेंकटेश्वर कॉलेज से बीकॉम करने के अलावा सीए की तैयारी की और 2003 में 21 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में सीए क्वालिफाई कर लिया। मैं अपने खानदान की पहली लड़की थी, जो सीए बनी। मैंने होंडा, डीसीएम श्रीराम जैसी कंपनीज के साथ काम किया और फिर टीचिंग में रुचि के कारण सुपरप्रोफ की फैकल्टी बन गई। सीए बनना उतना मुश्किल नहीं है, जैसी आम धारणा है। अगर आप मेहनत के साथ सही टाइम मैनेजमेंट कर लेते हैं, तो इसे आसानी से क्रैक किया जा सकता है। यह एक कंप्लीट पैकेज है, जिसमें आगे बढऩे के कई सारे स्कोप हैं।
ऑप्शंस क्या हैं
-कंपनी सेक्रेटरी
-कॉस्ट ऐंड वर्क एकाउंटेंट
-चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट
-बैंकिंग
-इनवेस्टमेंट
-इंश्योरेंस
एलिजिबिलिटी
कॉमर्स फील्ड में करियर के लिए बीकॉम काफी है। लेकिन आप अगर हायर पोजिशंस पर काम
करना चाहते हैं, तो एमकॉम करना सही रहेगा। बीकॉम में दाखिले के लिए कॉमर्स के साथ 12वीं करना होता है। वैसे, आप बीबीए, एमबीए करके भी इसमें प्रवेश कर सकते हैं। कॉमर्स में सबसे अधिक डिमांड सीए की होती है। वह एकाउंटिंग, ऑडिटिंग औऱ टैक्सेशन तीनों में स्पेशलाइजेशन रखता है।
4. लॉ हुआ अट्रैक्टिव
जतिन्द्र सिंह सलूजा एसोसिएट, एजेडबी, नोएडा
मैं जब 11वीं में था, तो अक्सर लीगल वर्कशॉप और सेमिनार में जाया करता था। मुझे यह प्रोफेशन अपनी ओर खींचने लगा। 12वीं के बाद मैंने सीधे पांच साल के बीए-एलएलबी कोर्स में एडमिशन ले लिया। पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद कई लॉ फम्र्स में काम किया। इस प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस से काफी फायदा हुआ। आज मैं देश के टॉप तीन में शामिल लॉ फर्म के साथ काम कर रहा हूं। आज लॉ का कॉन्सेप्ट पूरी तरह चेंज हो चुका है। अब सिर्फ कोर्ट में वकील के रूप में काम करना ही ऑप्शन नहीं रहा। आप लिटिगेशन के अलावा किसी कंपनी या एनजीओ के लीगल एडवाइजर, इन-हाउस काउंसलर आदि का रोल भी निभा सकते हैं। इसमें शुरू में ही अच्छे क्लाइंट्स से संपर्क होता है और बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
ऑप्शंस क्या हैं
-क्रिमिनल लॉयर
-कॉरपोरेट लॉयर
-लीगल एनालिस्ट
-लीगल एडवाइजर
-सिविल लिटिगेशन लॉयर
एलिजिबिलिटी
लॉ में करियर बनाने के लिए 12वीं के बाद पांच साल का बीए-एलएलबी कोर्स किया जा सकता है, जबकि ग्रेजुएशन के बाद तीन साल का एलएलबी कोर्स होता है। देश की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज में कंबाइंड लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के जरिए दाखिला मिलता है। आट्र्स के अलावा बीबीए, बीकॉम, बीएससी ग्रेजुएट भी लॉ में करियर बना सकते हैं। लॉ में पीजी डिप्लोमा और शॉर्ट टर्म कोर्स अवेलेबल है। आप ऑनलाइन कोर्स भी कर सकते हैं।
5. सिनेमा ग्लैमर वाला
हेमंत पांडे अभिनेता
रामलीला में एक्टिंग से शुरुआत की। धीरे-धीरे एक्टिंग मेरा पैशन बन गया। 18 साल की उम्र में दिल्ली आया।?नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक्टर्स की एक्टिंग दूर से देखा करता था। कई साल तक कोई खास काम नहीं मिल पाया। आखिर में महिलाओं के लिए काम करने वाले एक एनजीओ जनमाध्यम में ब्रेक मिला। फिर 1996 में बैंडिट क्वीन में अशोकचंद के रोल से फिल्मों में श्रीगणेश हुआ। मुझे असल पहचान मिली 2000 में ऑफिस-ऑफिस सीरियल से। उसके बाद से मुझे कुछ कहना है, रहना है तेरे दिल में, कृष आदि कई फिल्मों में काम करता चला आया। दरअसल, सिनेमा ऐसा फील्ड है, जिसमें आने से पहले आपको यह जान लेना होगा कि इसमें आपकी असफलता की गारंटी है और सफलता की केवल
संभावना है।
ऑप्शंस क्या हैं
-एक्टर -डायरेक्टर -स्क्रिप्ट राइटर -वीडियो एडिटर -सिंगर
-म्यूजिक डायरेक्टर -एक्शन डायरेक्टर
स्किल्स
-लगातार किसी हालत में काम करने की क्षमता
-अपने हर हाव-भाव पर पूरा कंट्रोल
-साइकोलॉजिकली स्ट्रॉन्ग होना चाहिए
प्रमुख इंस्टीट्यूट्स
-नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली
-एफटीआइआइ, पुणे
-सत्यजीत रे फिल्म इंस्टीट्यूट, कोलकाता
6. प्रशासन रुतबा
भारत जोशी डिप्टी एजुकेशन ऑफिसर
ऊधमंिसंह नगर के एक छोटे से गांव से निकलकर?इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और वहां के एएनझा हॉस्टल पहुंचा। सपने को सही दिशा मिली। सीनियर्स के गाइडेंस और माहौल से काफी कुछ सीखा। सिलेबस के हिसाब से एग्जाम ओरिएंटेड पढ़ाई की। नतीजा सामने है। पहले एसएससी क्वालिफाई किया, फिर यूपीपीसीएस, अब आइएएस के लिए प्रिपरेशन कर रहा हूं।
ऑप्शंस क्या हैं
-एसएससी यानी स्टाफ सलेक्शन कमीशन के जरिए सरकारी विभागों में इंस्पेक्टर जैसे ऑफिसर्स की भर्ती होती है।
-सेंट्रल लेवल पर यूपीएससी और स्टेट लेवल पर पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिए क्लास वन ऑफिसर्स की भर्ती होती है।
एलिजिबिलिटी
-पोस्ट की जरूरत के मुताबिक संबंधित सब्जेक्ट या स्ट्रीम में ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन।
स्किल्स
-विपरीत परिस्थितियों में भी संयम और धैर्य बनाए रखना
-इनिशिएट करने और लीडरशिप की प्रवृत्ति
-मास लेवल पर पब्लिक को सुनने-समझने और टैकल करने की क्षमता
7. स्पोट्र्स पैशन
दीपशिखा त्रिपाठी हॉकी प्लेयर
बचपन से ही सुनती आई थी, पढ़ोगे लिखोगे तो तुम बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब। मुझे यह बात पूरी तरह सही नहींलगती थी। मुझे हर तरह के खेल अच्छे लगते थे, लेकिन फैमिली और सोसायटी से सपोर्ट न मिलने की वजह से आगे नहींबढ़ पाई। चोरी-छिपे खेलती रही।?फिर ग्रेजुएशन के बाद मुझे हॉकी टीम में खेलने का मौका मिला। मैंने दिन-रात एक कर प्रैक्टिस की। मेरा सलेक्शन स्टेट लेवल पर हो गया। अब मैं नेशनल और फिर इंटरनेशनल के लिए तैयारी कर रही हूं।
ऑप्शंस क्या-क्या हैं
-क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, हॉकी, शतरंज, बॉक्सिंग, कुश्ती...
कौन-कौन से रोल
-प्लेयर -कोच-अंपायर या रेफरी -कमेंटेटर
-वीडियो एनालिस्ट
-ब्रांड एक्सपर्ट
-प्रमोशनल मैनेजर
-स्पोट्र्स जर्नलिस्ट
-फिजियोथेरेपिस्ट
स्किल्स
-बिना थके लगातार काम करने
की क्षमता
-टारगेट पर पैनी नजर
-हार से न हारने की प्रवृत्ति
-फिटनेस पर ध्यान
8. एंटरप्रेन्योरशिप टैलेंट
मसरूर लोदी डायरेक्टर, टीइएस, गुडग़ांव
मैंने आठ साल कॉरपोरेट वल्र्ड में बिताए हैं। यूनीलीवर, इंडिया टुडे जैसे ग्रुप्स में मैनेजमेंट रोल में काम किया है। लेकिन जॉब में वह सटिस्फैक्शन नहींमिल पा रहा था, जिसकी मुझे तलाश थी। मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी। जॉब छोड़ा और एंटरप्रेन्योरशिप का कोर्स करने यूके (ब्रिटेन) रवाना हो गया। वहां क्रैमफील्ड यूनिवर्सिटी से एंटरप्रेन्योरशिप का कोर्स कंप्लीट कर मैंने एक वेंचर लॉन्च किया, लेकिन वह फेल हो गया। मैं वापस इंडिया लौट आया। शुरू में कुछ जगहों पर कंसल्टिंग की। फिर संजीव शिवेस के साथ मिलकर 2013 में गुडग़ांव में द एंटरप्रेन्योर स्कूल की शुरुआत की। यह इंडिया का पहला एंटरप्रेन्योर स्कूल है, जहां ऐसे एंटरप्रेन्योर्स तैयार किए जाते हैं, जो आगे चलकर अपना स्टार्ट-अप लॉन्च कर सकेें।
ऑप्शंस क्या हैं
-अपने आइडिया को बिजनेस का रूप दें
-किसी फ्रैंचाइजी को खरीद कर आगे बढ़ें
-किसी बिजनेस वेंचर को टेक ओवर करें
-अपनी कंसल्टिंग फर्म शुरू करें
-वर्क फ्रॉम होम से बिजनेस को स्केल करें
स्किल्स
एंटरप्रेन्योर बनने के लिए सबसे जरूरी है पैशन। इसके बाद एक यूनीक आइडिया का होना जरूरी है। किसी भी नए बिजनेस की शुरुआत में बहुत सारी चुनौतियां और फेल्योर्स तक आते हैं, इसलिए उसके लिए हमेशा तैयार रहना होगा। फील्ड में सक्सेस के लिए एक मेंटर का होना भी बेहद जरूरी है। एंटरप्रेन्योरशिप एटीट्यूड का खेल है, न कि टैलेंट का, क्योंकि कई बार टैलेेंट भी फेल हो जाता है।
9. डिफेेंस जुनून
इंडियन आर्मी ने कैंडिडेट्स को आर्मी ज्वाइन करने के लिए इनविटेशन स्लोगन रखा है, है आपमें वो जोश और जुनून। दरअसल, ये दो एबिलिटीज अगर आपमें हैं, तो आप डिफेंस सर्विसेज के बारे में भी सोच सकते हैं।
अलग-अलग विंग्स
-आर्मी-नेवी -एयरफोर्स
-पैरा मिलिट्री फोर्सेज -आर्डिनेंस फैक्ट्री
कौन-कौन से रोल
-सैनिक-ऑफिसर
-इंजीनियर-डॉक्टर
-धर्म शिक्षक-लाइट्समैन
एंट्री के तरीके
-10वींके बाद सैनिकों की सीधी
भर्ती
-12वींके बाद एनडीए एग्जाम के जरिए ऑफिसर्स की भर्ती
-ग्रेजुएशन के बाद सीडीएस एग्जाम से ऑफिसर्स की भर्ती
-मिलिट्री इंजीनियरिंग कॉलेजों से बीटेक करके मिलिट्री इंजीनियर बन सकते हैं
-एएफएमसी में एडमिशन के जरिए आम्र्ड फोर्सेज के डॉक्टर बन सकते हैं
-महिलाओं के लिए अलग सीधे एसएसबी इंटरव्यू होता है।
स्किल्स
-फिजिकली और मेंटली फिट
होना चाहिए
-बेहद कठिन हालात से भी
जूझने का हौसला होना चाहिए
10. मीडिया चौथा खंभा
अजय मिश्रा सीनियर कॉरेस्पॉन्डेंट, डीडी न्यूज
चुनौतियों से हर रोज खेलने का शौक है, तो यह फील्ड आपके लिए है। 12वींके बाद ही मैंने तय कर लिया था कि मुझे जर्नलिस्ट बनना है। शुरुआत में थोड़ा डेविएट जरूर हुआ। सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगा, लेकिन फिर गोल क्लियर था। भले ही मुझे फाइनेंशियल जरूरतों के लिए ट्यूशन पढ़ाकर सर्वाइव करना पड़ा, लेकिन उसी वक्त मैंने चुनौतियों से लडऩा और उन्हें हराना सीखा। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद आइआइएमसी से जर्नलिज्म की पढ़ाई की और आज दूरदर्शन में बिजनेस एंकर हूं और सीनियर कॉरेस्पॉन्डेंट भी।
ऑप्शंस क्या हैं
-अखबार -न्यूज टीवी चैनल
-न्यूज वेबसाइट -रेडियो
-मैगजीन
कौन-कौन से रोल
-रिपोर्टर -कॉपीराइटर
-एंकर -बुलेटिन प्रोड्यूसर
-कैमरामैन -लाइट्समैन
-स्क्रिप्ट एडिटर -वीडियो एडिटर
-ग्राफिक्स डिजाइनर -कॉर्टूनिस्ट
स्किल्स
-बिना थके लगातार काम करने की क्षमता
-ऑब्जर्वेशन ऐंड एनालिसिस पावर
-पब्लिक रिलेशंस और कम्युनिकेशन
कैपेसिटी
-रेगुलर एक्सरसाइज
-हर रोज सीखने की चाहत
-टाइमिंग ऐंड एक्यूरेसी
कॉन्सेप्ट ऐंड इनपुट :
अंशु सिंह, मिथिलेश श्रीवास्तव