रोबोटिक्स: फ्यूचर का ब्राइट फील्ड
रोबोट का मतलब है मशीनी मानव। इंसानों की तरह काम करने वाली, लेकिन इंसानों से कई गुना ताकतवर मशीन। रोबोटिक्स में इसी के एेप्लीकेशन का काम होता है। दुनिया भर में करीब 10 लाख से ज्यादा रोबोट हैं। इनमें से आधे से भी ज्यादा अकेले जापान में हैं। 15 फीसदी
रोबोट का मतलब है मशीनी मानव। इंसानों की तरह काम करने वाली, लेकिन इंसानों से कई गुना ताकतवर मशीन। रोबोटिक्स में इसी के एेप्लीकेशन का काम होता है। दुनिया भर में करीब 10 लाख से ज्यादा रोबोट हैं। इनमें से आधे से भी ज्यादा अकेले जापान में हैं। 15 फीसदी अमेरिका में और बाकी 30-35 फीसदी विकसित देशों में हैं। एक दशक पहले तक करीब 90 फीसदी रोबोट्स से केवल कार मैन्युफैक्चरिंग में ही काम लिया जाता था, लेकिन अब इस फील्ड में केवल 50 फीसदी रोबोट से ही काम कराया जाता है।
दूसरे नये-नये फील्ड्स में भी रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इसीलिए इन्हें बनाने और हैंडल करने वालों की भी जरूरत तेजी से बढ़ रही है।
रोबोट से होने लगा है काम
रोबोट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल आजकल खुदाई और उत्खनन जैसी मुश्किल और इंसानों के लिए अनुपयुक्त जगहों पर ज्यादा किया जा रहा है। इसके अलावा, खेती और माल-ढुलाई जैसे और परिश्रम वाले कामों में भी रोबोट बखूबी काम कर रहे हैं। यहां तक कि चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में भी रोबोट अपना असर दिखा रहा है। अब तो इन्हें मानवरहित हवाई यानों को उड़ाने के लिए भी प्रशिक्षित किया जा रहा है।
भारत में रोबोट
रोबोट का इस्तेमाल मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ न्यूक्लियर साइंस, सी-एक्सप्लोरेशन, हॉर्ट-सर्जरी, कार असेम्बलिंग, लैंडमाइंस, बायोमेडिकल आदि क्षेत्र में खूब हो रहा है। भारत में
रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट, ऑटोमोटिव इंडस्ट्री, एयरोस्पेस, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, आईआईटीज, ग्लास, रिलायंस, एलऐंडटी, स्टील इंडस्ट्री, मेडिकल, शीट टेस्टिंग आदि में रोबोट का इस्तेमाल होने लगा है। इसके अलावा, मेडिकल फील्ड में अपोलो, चेन्नई और एचसीजी, बेंलगुरु में कैंसर के इलाज में भी रोबोट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।
कहां हैं अवसर
रोबोटिक साइंस में एमई की डिग्री हासिल कर चुके स्टूडेंट्स को स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो में नौकरी मिल सकती है। इसके अलावा, माइक्रो-चिप इंडस्ट्री में भी रोबोटिक्स से जुड़े स्टूडेंट्स की काफी डिमांड होती है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी में भी रिचर्स वर्क के लिए रोबोटिक इंजीनियर्स की जरूरत होती है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में फेलोशिप ऑफर करती है। विदेश में भी इनके लिए रोजगार के बेहतर मौके हैं। अमेरिकी कंपनी प्लासटेक में रोबोटिक्स इंजीनियर के लिए काम करने का बेहतरीन मौका है। इसके अलावा, इंटेल जैसी कंपनी इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट को माइक्रो-चिप मैन्युफैक्चरिंग के लिए हायर करती है। रोबोटिक्स इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नॉर्थ अमेरिका में रोबोटिक मैन्युफैक्चरिंग और मेंटिनेंस सिस्टम के लिए हायर करती है। नासा रोबोटिक्स इंजीनियर के लिए जॉब का सबसे बड़ा डेस्टिनेशन है।
एलिजिबिलिटी
रोबोटिक्स फील्ड में करियर बनाने के लिए इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और कंप्यूटर साइंस की अच्छी नॉलेज या डिग्री होनी चाहिए। आमतौर पर मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन, कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएशन कर चुके स्टूडेंट्स इस कोर्स के लिए योग्य माने जाते हैं।
कोर्स
रोबोटिक एक्सपर्ट दिवाकर वैश्य के अनुसार, रोबोटिक साइंस एक तरह से लॉन्ग टर्म रिसर्च ओरिएंटेड कोर्स है। इस क्षेत्र से जुड़े कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्स भी कर सकते हैं, जैसे-ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, एडवांस्ड रोबोटिक्स सिस्टम आदि। इस तरह के कोर्स आईआईटीज के अलावा, कई इंजीनियरिंग कॉलेज भी ऑफर कर रहे हैं। स्पेशलाइजेशन के लिए पोस्ट ग्रेजुएट लेवल कोर्स भी कर सकते हैं।
क्या-क्या पढ़ाया जाता है?
-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
-कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग
-कंप्यूटेशनल जियोमेट्री
-रोबोट मोशन प्लानिंग
-डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड माइक्रो-प्रोसेसर
-रोबोट मैनिपुलेटर
सैलरी पैकेज
रोबोटिक इंडस्ट्री में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के लोगों को ही हायर किया जाता है। इनकी शुरुआती सैलरी कम से कम 25 से 30 हजार रुपये के करीब होती है।
जागरण फीचर