इंजीनियर से फूड सेलिब्रिटी
कुकिंग के पैशन ने बनाया ऋषिकेश देसाई को ऑस्ट्रेलियन मास्टर शेफ (2013) का फाइनलिस्ट..
मुंबई के कोल्हापुर के मूल निवासी और अब ऑस्ट्रेलिया में जा बसे ऋषिकेश उर्फ ऋषि देसाई ऐसे पहले इंडियन हैं, जिन्होंने ऑस्ट्रेलियन मास्टर शेफ कॉन्टेस्ट 2013 (सीजन फाइव) के फाइनल फाइव में अपनी जगह बनाई। हेस्टन ब्लूमेंथल और मां को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले ऋषि ने पुणे से पॉलिमर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन और मैटीरियल साइंस ऐंड इंजीनियरिंग में पोस्टग्रेजुएशन किया है। लेकिन कुकिंग का पैशन कुछ ऐसा था कि उन्होंने जॉब में रहते हुए कॉम्पिटिशन की तैयारी की और आज वह शेफ के तौर पर ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ इंडिया में भी काफी लोकप्रिय हो चुके हैं।
साइंस को किया अप्लाई
ऋषि कहते हैं कि मैंने फूड को साइंस की तरह लिया है, इसलिए कुकिंग में ट्रांजिशन बिल्कुल भी मुश्किल नहीं रहा। मैं खाने को टाइम, टेंपरेचर, प्रेशर और रेशियो के रूप में देखता हूं। इस तरह इंजीनियरिंग में जो कुछ सीखा, उसे कुकिंग में अप्लाई किया। ऋषि साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया माइग्रेट कर गए थे। उसी दौरान वहां ऑस्ट्रेलियन मास्टर शेफ का पहला सीजन टेलीकास्ट हो रहा था। वह उसे फॉलो करने लगे। कुछ सालों बाद पत्नी ने उन्हें शो में हिस्सा लेने का सुझाव दिया। साथ ही, कुछ नसीहतें भी दीं। उन सभी बातों का ख्याल रखते हुए ऋषि ने कुकिंग टेक्निक्स की बेसिक प्रैक्टिस की, शो का ऑडिशन दिया। ऑडिशन में उनकी कोकोनट मिल्क के साथ बनाई गई ट्रेडिशनल कोल्हापुरी फिश करी का जादू चल गया और वे शो के लिए सेलेक्ट कर लिए गए। फिर शुरू हुआ एक चैलेंजिंग सफर।
जादू इंडियन रेसिपीज का
मास्टर शेफ कॉम्पिटिशन के दौरान ऋषि पर इंडियन फैन्स और खुद की ओर से बेहतर करने का काफी दबाव था, लेकिन उन्होंने इस चैलेंज को बखूबी स्वीकार किया। ड्रीम्स वीक के दौरान पहले एलिमिनेशन राउंड में उन्होंने अपने खास अंदाज में पालक पनीर बनाई। दूसरा राउंड एक तरह का प्रेशर टेस्ट था, जिसमें डैरेन परचेजेज रुबार्ब, चॉकलेट रेसिपी बनाई और उनका फाइनल राउंड के लिए सेलेक्शन हो गया। ऋषि कहते हैं कि शो के जजेज के अलावा, जॉर्ज कोलैंबरिस, गैरी मेहिगन और मैट प्रेस्टन जैसे प्रोफेशनल शेफ से काफी कुछ सीखने को मिला। मैंने ओपन और पॉजिटिव माइंड से कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया था, इसलिए कभी हारने का गम नहीं रहा।
मां से मिली इंस्पिरेशन
ऋषि फिलहाल ऑस्ट्रेलियन सरकार के आईपी (ऑस्ट्रेलियन पेटेंट) डिपार्टमेंट के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन जब भी खाली समय मिलता है वक्त किचन में ही गुजरता है। कहते हैं कि खाना बनाने का शौक और इसमें दिलचस्पी बचपन से ही रही है। जब पांच साल का था, तो मां को खाना बनाते देखकर कुकिंग से प्यार हो गया। किचन में काफी एक्सपेरिमेंट करता। एक बार कोई रेसिपी बनते देखने के बाद उसे फौरन बना लेता था। इसके अलावा, ट्रैवलिंग के शौक के कारण अलग-अलग जगहों के व्यंजनों के बारे में जानने का मौका मिला।
लक्ष्य और भी हैं
मास्टर शेफ ऑस्ट्रेलिया का फाइनलिस्ट बनने के बाद ऋषि सेलिब्रिटी बन चुके हैं। फेसबुक पर फैन्स की तादाद दिनों दिन बढ रही है। आगे की प्लानिंग के बारे में वे कहते हैं कि सबसे पहले अपनी कुक बुक खत्म करनी है। एक रेस्टोरेंट खोलना है। कुछ दूसरे छोटे लक्ष्य भी हैं, जिसमें पूरा भारत घूमना भी है। ऋषि की मानें तो इंडिया में हर सौ किलोमीटर पर जैसे भाषा बदलती है, उसी तरह रेसिपी भी। इसीलिए उन यूनीक फ्लेवर्स की मदद से वे भविष्य में इनोवेटिव और मॉडर्न रेसिपी तैयार करना चाहते हैं।
इंटरैक्शन : अंशु सिंह