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क्वीन ऑफ स्काई

टीनएज में क्लियर विजन के साथ आयशा ने अपना गोल डिसाइड किया कि उन्हें आकाश को छूना है और प्लेन उड़ाना है। हार्ड वर्क के साथ तैयारी की और स्टूडेंट पायलट लाइसेंस हासिल करके सिर्फ 17 साल की उम्र में बन गई पायलट..

By Edited By: Published: Wed, 16 Oct 2013 10:53 AM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2013 12:00 AM (IST)
क्वीन ऑफ स्काई

आयशा अजीज कोई आम लडकी नहीं हैं। 17 साल की उम्र में वह एक उडनपरी बन चुकी हैं। आसमान में उडती हैं और अपने ड्रीम को अचीव करने के लिए बुलंद इरादे रखती हैं। जिस एज में बाकी यंगस्टर्स फ्यूचर की प्लानिंग करने में लगे होते हैं, आयशा ने महज पंद्रह साल की उम्र में बॉम्बे फ्लाइंग क्लब से स्टूडेंट पायलट लाइसेंस हासिल कर लिया था। आज इनके पास फ्लाइट रेडियो टेलीफोन ऑपरेटर का भी लाइसेंस है। ये इंडियन वूमन पायलट एसोसिएशन की मेंबर हैं और कमर्शियल पायलट बनने के लिए कडी मेहनत कर रही हैं।

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ड्रीम ऑफ फ्लाइंग

आयशा का जन्म भले ही मुंबई में हुआ, लेकिन कश्मीर से उनका एक खास कनेक्शन रहा है। इनकी मां कश्मीर के बारामूला की रहने वाली थीं। जिस कारण आज भी अक्सर इनका कश्मीर आना-जाना होता है। आयशा कहती हैं, जब भी मैं मुंबई से कश्मीर जाती थी, तो मुझे आसमान में प्लेन को उडते देखना, एयरपोर्ट पर एरोप्लेंस को आते-जाते देखना फैसिनेट करता था। धीरे-धीरे ये फीलिंग एक पैशन बन गया और मैंने डिसाइड कर लिया कि पायलट ही बनना है। आयशा ने बताया कि वे 8वीं क्लास में थीं, तभी उनका विजन क्लियर था कि आगे क्या करना है। इसलिए फोकस होकर तैयारी की। स्टडीज इंपॉर्र्टेट थी, सो स्कूल में पढाई करते हुए बॉम्बे फ्लाइंग क्लब में 4 महीने की ट्रेनिंग शुरू कर दी। क्लब में आयशा सबसे कम उम्र (15 साल के करीब) की पायलट थीं, इसलिए सभी उनकी काफी हौसलाअफजाई करते थे। इस तरह वे आगे बढती गईं।

स्कूलिंग के साथ ट्रेनिंग

आयशा ने 2013 में मुंबई के क्राइस्ट चर्च स्कूल से हायर सेकंडरी किया है, लेकिन नवंबर 2011 में ही इन्होंने स्टूडेंट पायलट लाइसेंस का एग्जाम पास कर लिया था। इसके बाद आयशा ने दूसरा एग्जाम भी क्लियर किया और बॉम्बे फ्लाइंग क्लब से एफआरटीओएल का लाइसेंस हासिल किया। आयशा अब तक 30 घंटे से ज्यादा समय तक सेसना 172-आर प्लेन उडा चुकी हैं।

नासा में लाइफ टाइम एक्सपीरियंस

आयशा को सिर्फ विमान उडाने का क्रेडिट नहीं जाता है, बल्कि 16 साल की उम्र में वे नासा में ट्रेनिंग कर चुकी हैं। जब वे स्कूल में थीं, तो नासा के स्पेस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए सेलेक्शन हुआ था। आयशा कहती हैं, इट वाज वंस इन अ लाइफ टाइम एक्सपीरियंस। आयशा ने नासा के स्पेस एकेडमी हंट्सविल के स्पेस शटल मिशन में दो महीने माइक्रोग्रैवेटी, मैन मनूवियरिंग यूनिट, मल्टी एक्सिस ट्रेनिंग, एक्स्ट्रा वेहिक्यूलर एक्टिविटी, स्कूबा डाइविंग, मून वॉक, स्पेस शॉट की ट्रेनिंग ली है, लेकिन उनका सबसे मेमोरेबल मोमेंट सुनीता विलियम्स से मिलना रहा। आयशा कहती हैं, इट वाज अ ड्रीम कम ट्रु। मैंने उनसे एविएशन और स्पेस में करियर से रिलेटेड टिप्स लिए। उन्होंने मेरा काफी हौसला बढाया और कहा कि छोटी उम्र में मैंने बहुत अच्छा काम किया है, जो दूसरी ग‌र्ल्स के लिए मिसाल है।

करियर इन एविएशन

आयशा एविएशन सेक्टर में काम करना चाहती हैं। इसीलिए बॉम्बे फ्लाइंग क्लब से एविएशन में बीएससी कर रही हैं। इसके अलावा, कमर्शियल पायलट लाइसेंस के एग्जाम की तैयारी भी पूरे जोर-शोर से चल रही है। इसमें आयशा को उनकी फैमिली, मां खालिदा अजीज और इंडस्ट्रियलिस्ट पिता अब्दुल अजीज का पूरा सपोर्ट मिलता है। इतनी छोटी सी उम्र में इतना कुछ हासिल करने वाली आयशा का सपना खुद से प्लेन उडाकर मक्का जाना है। वे कश्मीर भी जाना चाहती हैं।

फॉलो करें ड्रीम

आयशा कहती हैं, आज कश्मीर में लोगों को गर्व महसूस होता है कि उनके यहां की किसी लडकी ने इतना सब कुछ हासिल किया है क्योंकि वहां आज भी जितने पायलट्स हैं, उनमें कोई लडकी नहीं है। आयशा कहती हैं कि मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे ट्रेडिशनल फील्ड्स में करियर बनाने के अलावा एविएशन सेक्टर में लडकियों के लिए काफी ऑप्शंस हैं। वे यंगस्टर्स से अपील करती हैं कि वे अपने ड्रीम को फॉलो करें और अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश करें।

इंटरैक्शन : अंशु सिंह


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