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कृषि जमीन मालिकों को नौकरी एवं मुआवजा की मांग को लेकर महासभा ने किया धरना-प्रदर्शन

थर्ड और फोर्थ रेल लाइन विस्तार के दौरान ली गई कृषि भूमि के जमीन मालिकों को नौकरी मुआवजा तथा निर्माण एवं मरम्मत कार्य में लगे मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी देने की मांग करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा मंगलवार को चक्रधरपुर रेल मंडल के प्रबंधक कार्यालय के समीप एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 09:25 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:17 AM (IST)
कृषि जमीन मालिकों को नौकरी एवं मुआवजा की मांग को लेकर महासभा ने किया धरना-प्रदर्शन
कृषि जमीन मालिकों को नौकरी एवं मुआवजा की मांग को लेकर महासभा ने किया धरना-प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर : थर्ड और फोर्थ रेल लाइन विस्तार के दौरान ली गई कृषि भूमि के जमीन मालिकों को नौकरी, मुआवजा तथा निर्माण एवं मरम्मत कार्य में लगे मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी देने की मांग करते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा मंगलवार को चक्रधरपुर रेल मंडल के प्रबंधक कार्यालय के समीप एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। तत्पश्चात अपनी मांगों को लेकर रेल प्रबंधक को एक मांग पत्र सौंपा। धरना प्रदर्शन झारखंड जनरल कामगार यूनियन के अध्यक्ष जॉन मिरन मुंडा की अध्यक्षता में हुई। जिसमें उन्होंने कहा है कि देश के विकास के लिए रेल लाइन विस्तारीकरण आवश्यक है। इसके लिए महासभा इसका समर्थन करती है, लेकिन दुख इस बात का है कि हमारे जिले में देश का विकास के लिए वर्षों से आदिवासियों ने अपनी कृषि भूमि तक को अंग्रेजों के समय से देते हुए आ रहे हैं। अंग्रेजों के समय से रेल लाइन का निर्माण होने के पश्चात ही टाटा, रुंगटा, उषा मार्टिन, सेल, एसीसी जैसे सरकारी, गैर सरकारी सभी कंपनियों ने अपना व्यापार को आसमान तक पहुंचा दिया और मुनाफा कमा रहे हैं। लेकिन दुख इस बात का है कि जो आदिवासी अपना कृषि भूमि को देश का विकास के लिए दिया, वह आज दो वक्त की रोटी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। आजादी के 70 साल बाद भी उनका हालचाल पूछने वाला कोई नहीं है। पूरे भारत देश में पश्चिम सिंहभूम ही एकमात्र ऐसा जिला है, जहां दो लाइन के अलावा तीन और चार रेल लाइन का विस्तारीकरण हो रहा है। मतलब साफ है कि देश का आर्थिक विकास और तेजी से होगा। ऐसी परिस्थिति में महासभा पहले से ही जमीन मालिक को न्याय दिलाने के लिए कई बार आपसे मांग किए हैं। यह मांग वर्तमान में कोरोना महामारी के दौरान पश्चिम सिंहभूम में पलायन को रोकने के लिए और महत्वपूर्ण हो गया है।

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ये है मांगें:

भारत रेल लाइन विस्तारीकरण में जितने भी आदिवासियों का ली गई जमीन मालिकों को उनके परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी एवं मुआवजा प्रति डिसमिल दस लाख दिया जाए।

थर्ड और फोर्थ रेल लाइन विस्तारीकरण के साथ मरम्मती में लगे मजदूरों को डेढ़ सौ से ढाई सौ रुपये तक मजदूरी दी जा रही है, जो केंद्र सरकार का नियम न्यूनतम मजदूरी से काफी कम है। इसके लिए हमारा यूनियन रजिस्ट्रेशन नंबर 144/07 के माध्यम से आपको अवगत कराया जा रहा है, इसीलिए इन मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी 433 रुपये भुगतान की गारंटी, पहचान पत्र, वेजेज स्लिप दिया जाए।

धरना प्रदर्शन में यह थे मौजूद : प्रेमनाथ मुंडा, साधो मुंडा, घासीराम सिकु, हरदेव सिकु, लादूरा तिरिया, नरसिंह सुरेन, रामचंद्र सुरेन, सुरेंद्र नाथ पूर्ति, राम पुरती, जरमन बालमुचू, टीपू बालमुचू, सुखराम बालमुचू, अभिमन्यु बोबंगा, मीना बोबंगा, कृष्णा चंद्र बोबंगा, मंगल सिंह चातोंबा, उदय चातोंबा, तुरी लागुरी, सोनू महाकुंड, सुबिदार लागुरी, सोनू लागुरी, गंगाराम लागुरी आदि मौजूद थे।


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