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सांप डरपोक प्रजाति का जीव, डरने पर छोड़ देता है खाना-पीना : एनके सिंह

चाईबासा स्थित वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय में सांपों को बचाने व पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए शनिवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में 12 वन प्रमंडलों के 35 उप परिसर पदाधिकारी व अन्य लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 07:24 PM (IST)
सांप डरपोक प्रजाति का जीव, डरने पर छोड़ देता है खाना-पीना : एनके सिंह
सांप डरपोक प्रजाति का जीव, डरने पर छोड़ देता है खाना-पीना : एनके सिंह

जागरण संवाददाता, चाईबासा : चाईबासा स्थित वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय में सांपों को बचाने व पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए शनिवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में 12 वन प्रमंडलों के 35 उप परिसर पदाधिकारी व अन्य लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। सांपों को बचाने व सुरक्षित स्थान पर छोड़ने का प्रशिक्षण प्रसिद्ध सांप विशेषज्ञ जमशेदपुर निवासी एनके सिंह ने दिया। सिंह ने सांपो को नुकसान नहीं पहुंचाने व पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने के लिए बहुत सारी तकनीक बताई। कहा कि सांपों को किसी भी चिमटा जैसी वस्तुओं से नहीं पकड़े क्योंकि चिमटा जैसी वस्तुओं से सांप के शरीर में चोट लग सकती है। अगर चिमटा से सांप को पकड़ा जाए तो सांप काफी डर जाता है और डरने के बाद सब खाना पीना छोड़ देता है। उसके उपरांत वह कुछ दिनों के बाद मर जाता है। ज्यादातर लोग सांप पकड़ने के बाद उसे छोड़ देते हैं। उसके बाद की स्थिति का पता किसी को नहीं चल पाता है। उन्होंने बताया कि सांप डरपोक प्रजाति का जानवर है। सांपों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करें। सांपों की संख्या ज्यादा होने से पर्यावरण संतुलित रहता है।

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सांप नहीं पीता दूध

उन्होंने बताया कि कुछ लोगों में यह धारणा रहती है कि सांप दूध पीते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि सांप की जीभ काफी पतली होती है। वह दूध नहीं पी पाता है। सांपों के साथ सेल्फी ना ले। सांप का फोटो लें जिससे भविष्य में उन्हें पहचानने में मदद मिलेगी।

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सांप काटने पर चीरा हुआ निशान दिखाई दे तो समझ लें शरीर में नहीं गया विष

पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र में चित्ती सांप की संख्या बहुत है। वे हेमोटॉक्सिन होते हैं। उसके काटने के दो छोटा बिदु के समान काला निशान पड़ जाते हैं। इसके काटने पर व्यक्ति की मृत्यु जल्दी हो सकती है, वहीं कोबरा जो न्यूरोटोक्सीन होते हैं उसके काटने पर नीला निशान पड़ जाता है। अगर सांप के काटने पर चीरा हुआ निशान दिखाई देता है तो सांप ने उसे खाने वाले दांत से काटा है जिससे सांप का विष मनुष्य में प्रवेश नहीं किया है और व्यक्ति सुरक्षित है।

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वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील बनें : डीएफओ

सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए रेस्क्यू किए गए सांपों को लाया गया। प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वन और वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील बनें। सांपों को देखने के बाद डरे नहीं उन्हें जाने का रास्ता दे, सांपों को मारे नहीं। जब तक पता ना हो कि सांप को किस तरह का से पकड़ा जाए तब तक उन्हें ना पकड़े।

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सरकार को रेस्क्यू सेंटर बनाने का सुझाव

सर्प विशेषज्ञ एनके सिंह ने बताया कि सरकार को रेस्क्यू सेंटर बनाना होगा जहां रेस्क्यू किए गए सांपों को उनके स्वस्थ होने तक रखा जाए। स्वस्थ होने के उपरांत उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाए। इस प्रशिक्षण में सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा, संलग्न पदाधिकारी प्रजेश जेना, ससंगदा वन क्षेत्र पदाधिकारी राजेश्वर प्रसाद व अन्य लोग मौजूद थे।


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