कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ
शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ शनिवार से शुरू हो गया है। इस बाद मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रहीं हैं। इसके लिए भक्त भी सभी तैयारियां पहले कर चुके थे। भक्तों ने शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना की। सुबह से ही शुभ मुहूर्त बना हुआ था। कलश स्थापना के साथ ही दुर्गा पूजा का पावन पर्व नवरात्रि का विधिवत प्रारंभ शुरू हो गया..
जासं, चाईबासा : शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ शनिवार से शुरू हो गया है। इस बाद मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रहीं हैं। इसके लिए भक्त भी सभी तैयारियां पहले कर चुके थे। भक्तों ने शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना की। सुबह से ही शुभ मुहूर्त बना हुआ था। कलश स्थापना के साथ ही दुर्गा पूजा का पावन पर्व नवरात्रि का विधिवत प्रारंभ शुरू हो गया। हिदी पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को प्रारंभ होती है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की गई। विधि-विधान से कलश स्थापना के बाद भक्तों ने नवरात्रि व्रत एवं पूजा का संकल्प लिया।
चाईबासा के पंडित प्रमोद मिश्रा ने बताया कि मां दुर्गा की प्रथम स्वरूप देवी शैत्रपुत्री माता पार्वती को ही कहते हैं। वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। हिमराज और मैना देवी ने कठोर तप किया था, जिससे प्रसन्न हो मां दुर्गा कन्या स्वरूप में उनके घर पर प्रकट हुई थीं। मां शैलपुत्री की पूजा करने से शांति और उत्साह के साथ ही धन, विद्या, यश और कीर्ति तो मिलती ही है। व्यक्ति को मोक्ष भी मिलता है। नवरात्रि व्रत एवं पूजा का संकल्प लेने के बाद माता रानी को अक्षत, धूप, गंध, सिदूर, पुष्प आदि भक्तों ने अर्पित किया। फिर दिए गए मंत्रों का उच्चारण भक्तों ने किया। पूजा के समय दुर्गा चालीसा तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कई घरों में भक्तों ने किया। इसके बाद मां दुर्गा की आरती भक्तों ने किया। इस दौरान भक्तों ने शंख और घंटी बजाकर मां दुर्गा से आशीर्वाद मांगा।