कुजू नदी में बालू का धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन
जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिम ¨सहभूम व सरायकेला जिले में थाना, खनन विभाग व संगठित अवैध बाल
जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिम ¨सहभूम व सरायकेला जिले में थाना, खनन विभाग व संगठित अवैध बालू कारोबारियों की सांठ-गांठ से धड़ल्ले से अवैध बालू खनन का कारोबार चल रहा है। सरायकेला व चाईबासा में लगभग 20 से अधिक बालू घाट हैं, यहां खनन की जिम्मेदारी कई लोगों को दी गई थी लेकिन पिछले दो वर्षों से सरकार ने खनन नियमावली बदलते हुए जेएसएमडीसीएल (झारखंड स्टेट मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) को राज्य भर में बालू खनन की जिम्मेदारी देने का प्रावधान लाया है जिसे अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। यही कारण है कि पिछले दो वर्षों से बालू खनन कर रहे ठेकेदारों का लाइसेंस नवीनीकरण नहीं किया गया है। जेएसएमडीसीएल दिसंबर से काम शुरू कर सकता है। लेकिन इससे पहले अवैध बालू कारोबारी खनन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी व पुलिस के सहयोग से दोनों जिलों में जमकर बालू का अवैध खनन करने में दिन-रात एक किए हुए हैं। चाईबासा एवं सरायकेला जिले को बांटने वाली कुजू नदी पर बने पुल के नीचे अवैध खनन का कार्य धड़ल्ले से चल रहा है जहां समय-समय पर कार्यवाही के नाम पर खनन विभाग के द्वारा सड़क पर एक या दो ट्रैक्टरों को पकड़कर अपनी छापेमारी की औपचारिकता पूरी कर लेते हैं लेकिन आंकड़ों को देखा जाए तो रोजाना सरकार को प्रतिदिन 10 लाख से भी ज्यादा रुपये की राजस्व की क्षति हो रही है। एनजीटी के दिशा-निर्देश का नही हो रहा पालन
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का साफ तौर पर खनन विभाग को निर्देश दिया गया है कि पुल-पुलिया के 500 मीटर की दूरी में बालू का खनन का कार्य नहीं होना चाहिए। परंतु एनजीटी के दिशा निर्देशों का पालन करना तो दूर की बात यहां पुलिस-प्रशासन और खनन विभाग की नाक के नीचे अवैध रूप से बालू का खनन दिन-रात धड़ल्ले से जारी है। जिसके चलते पुलिया ध्वस्त होने की कगार पर है। यहां यह बताना आवश्यक है कि सरायकेला जिले के कांड्रा-चांडिल सड़क मार्ग पर स्थित माणिककुई पुलिया इसी अवैध खनन के कारण धंस गई थी। ट्रैक्टर मालिकों की हड़ताल के बाद अवैध खनन की बात आई थी सामने
हाल ही में हुए ट्रैक्टर मालिकों की हड़ताल के बाद यह बात भी सामने आई थी। जिसमें निखिल अग्रवाल के द्वारा अवैध खनन के सहारे रात में बालू स्टॉक करने के आरोप लगे थे। यही कारण है कि अवैध बालू कारोबारियों के भंडारण क्षमता में कमी ना आना इस बात की ओर इशारा भी करती है। 15 सौ रुपये प्रति ट्रैक्टर बालू की चार हजार रुपये में बिक्री
जिला मुख्यालय में 1500 रुपये प्रति ट्रैक्टर की बालू की 4000 रुपये में बिक्री हो रही है। इसके साथ ही निबंधित स्टॉक होल्डर के द्वारा कुछ खास लोगों के ट्रैक्टरों के द्वारा शहर में बालू की कालाबाजारी धड़ल्ले से की जा रही है। बालू की ढुलाई करने वाले ट्रैक्टरों के पास एक ही चालान रहता है। जिस पर ट्रैक्टर और के द्वारा लगभग दिन भर ट्रैक्टर चालक ढुलाई का कार्य करते हैं।
अवैध खनन पर रोक के लिए जिले में मात्र दो निरीक्षक
जिले के खनन पदाधिकारी संजीव कुमार ने इस बारे में पूछे जाने पर जांच दल का गठन कर कार्यवाही करने की बात कही। उन्होंने इस बात से इंकार नहीं किया कि क्षेत्र में बालू की अवैध खनन व ढुलाई का कार्य चल रहा है। उन्होंने अपने विभाग में कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि विभाग में मात्र दो निरीक्षक दिए गए हैं। जिनके कंधों पर जिले भर की बालू घाटों की जिम्मेवारी और निगरानी रखने का कार्य दिया गया है। ऐसे में मात्र 2 निरीक्षक जिले भर के बालू घाटों पर कैसे निगरानी रख सकते है।