सुहागिनों ने बरगद पेड़ के नीचे सुनी वट सावित्री कथा, मांगा आशीर्वाद
पति की लंबी उम्र और संतान के कुशल भविष्य के लिए सुहागिन महिलाओं ने शुक्रवार को वट सावित्री का पूजन पूरी आस्था के साथ की। सुहागिनों ने पहले स्थान तय कर पूजा की पूरी तैयारी की।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : पति की लंबी उम्र और संतान के कुशल भविष्य के लिए सुहागिन महिलाओं ने शुक्रवार को वट सावित्री का पूजन पूरी आस्था के साथ की। सुहागिनों ने पहले स्थान तय कर पूजा की पूरी तैयारी की। इसके बाद पूजा की डलिया सजाकर वट वृक्ष की ओर निकल गईं। चाईबासा शहर के गांधीटोला स्थित करणी मंदिर के ठीक बगल में बरगद के पेड़ के नीचे सुबह पांच बजे से ही पंडित अखिलेश पाठक कथा सुनाने के लिए बेदी पर बैठ गए थे। यहां पर सुहागिन महिलाएं आती रहीं और पूजा-अर्चना कर बरगद पेड़ में घूमकर कच्चा सूता लपेटते हुए परिक्रमा पूरी की। इसके बाद कुछ महिलाओं ने कथा सुनी और कुछ पूजा करके अपने घर वापस आ गई। इसी तरह पोस्ट ऑफिस चौक के पास दुर्गा मंदिर में भी सुहागिन महिलाओं ने पूजा-अर्चना की। पंडित प्रमोद कुमार मिश्र ने वट सावित्री पूजन के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि सावित्री ने अपने पति के जीवन के लिए बरगद के पेड़ के नीचे तपस्या की थी, इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाने लगा। इस दिन वट वृक्ष को जल से सींचकर उसमें हल्दी लगा कच्चा सूता लपेटते हुए उसकी परिक्रमा की जाती है। साथ ही वस्तुएं भी अर्पित की जाती हैं। व्रत का पालन कर रही बड़ा नीमडीह की गुड़िया महतो, सुमन व सविता देवी ने बताया कि वह व्रत का पारण पूजन के बाद करेंगी। इस बार यह व्रत घर पर ही हम महिलाएं साथ कर रही हैं। कथा सुनाने के लिए पंडित जी आए हैं। बता दें कि लॉकडाउन रहने के कारण ऐसा लग रहा था कि बरगद पेड़ के नीचे इस बार सुहागिन महिलाओं की संख्या ज्यादा नहीं रहेगी, लेकिन आस्था को देखते हुए महिलाओं में पूजा करने का पूरा जोश दिखाया।