Pathalgadi in Jharkhand: बंदगांव क्षेत्र में फिर सक्रिय हुए पत्थलगड़ी समर्थक, ग्रामीणों में भय
झारखंड के खूंटी से सटे पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव में पत्थलगड़ी समर्थक दुबारा सक्रिय हो गए हैं। वे लोगों को भड़का रहे हैं और आधार कार्ड एवं राशन कार्ड जमा ले रहे हैं।
चक्रधरपुर, जागरण संवाददाता। पत्थलगड़ी समर्थक एक बार फिर क्षेत्र में सक्रिय हो रहे हैं। खूंटी जिला से सटे पश्चिमी सिंहभूम के बंदगांव प्रखंड के सुदूरवर्ती गांवों में समर्थक घूम-घूमकर ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। पत्थलगड़ी समर्थकों के गांवों में धमकने से ग्रामीणों में भय समाया हुआ है।
ग्रामीण सूत्रों के मुताबिक पत्थलगड़ी का नामजद आरोपित खूंटी निवासी जोसेफ पूर्ति अपने साथी दाउबेड़ा निवासी बिरसा ओड़ेया के साथ जलासार क्षेत्र में छिपा हुआ है। यहां रहकर वह लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का रहा है। साथ ही, ग्रामीणों को सरकारी सुविधाओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर कर रहा है।
राशन और आधार कार्ड कर रहे जमा
ग्रामीणों के अनुसार जोसेफ पुरती गांवों में घूम-घूमकर ग्रामीणों का आधार कार्ड और राशन कार्ड यह कह कर ले रहा है कि इसे राज्यपाल के पास जमा करना है। ग्रामीणों को सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजने का भी दबाव बना रहा है। जोसेफ के इस तुगलकी फरमान से ग्रामीण डरे हुए हैं। ग्रामीणों को मतदान का बहिष्कार करने के लिए भी कहा गया था।
हटाये जा रहे मुंडा
ग्रामीणों ने बताया कि लोकसभा चुनाव में वोट देने वाले ग्रामीण मुंडा को हटाकर वोट नहीं देने वाले व्यक्ति को मुंडा बना रहा है। अब तक करीब 13 गांव के ग्रामीणों का राशन कार्ड और आधार कार्ड जोसेफ ने ले लिया है। सूत्रों ने बताया कि जोसेफ और बिरसा डरा-धमका कर ग्रामीणों को अपने पक्ष में कर रहे हैं।
पत्थलगड़ी समर्थकों का है ड्रेस कोड
बंदगांव क्षेत्र में हाल के दिनों में सक्रिय हुए पत्थलगड़ी समर्थकों ने ड्रेस कोड अपनाया हुआ है। सूत्र बताते हैं कि समर्थक सफेद वस्त्र धारण कर क्षेत्र में भ्रमण करते हैं। धोती और सिर में सफेद गमछा तथा लकड़ी का चप्पल पहने रहते हैं।
छह माह से हैं क्षेत्र में, गुजरात जाकर लिया प्रशिक्षण
जानकारी के मुताबिक बंदगांव के तीन पंचायत जलासर, चम्पाबा व मेरामगुटू क्षेत्र में पत्थलगड़ी समर्थक छह माह से सक्रिय हैं। मानकी-मुंडाओं ने इसकी जानकारी पदाधिकारियों को दी है। 10-12 पत्थलगड़ी समर्थक पिछले दिनों गुजरात जाकर ट्रेनिंग में शामिल भी हुए। पत्थलगड़ी समर्थक बंदगांव के कारला, कारू, हेसाडीह, लोटा, बुनुमउली, कुंदरूगुटू, सुईहोलोंग, चम्पाबा, कुकरूबारू, टोकाद हातु, आरकोड़ा आदि गांवों में तेजी से काम कर रहे हैं और ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ पेंशन, राशन, स्कूल आदि से दूर रहने की हिदायत दे रहे हैं।
आदिवासियों की पुरानी परंपरा
पत्थलगड़ी आदिवासियों की पुरानी परंपरा है। इसमें एक पत्थर लगाये जाते हैं जिसपर मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। इसके अलावा वंशावली, पुरखे तथा मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों–दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीरों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।
नई परंपरा में संविधान को चुनौती
पिछले दिनों जो पत्थलगड़ी आंदोलन शुरू हुआ और जो पत्थर लगाए जा रहे हैं उन पर आदिवासियों के स्वशासन और नियंत्रण क्षेत्र में गैररूढ़ी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं होने की बात लिखी जाती है। पत्थरों पर लिखा जाता कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में संसद या विधानमंडल का कोई भी सामान्य कानून लागू नहीं है। साथ ही, अनुच्छेद 15 (पारा 1-5) के तहत ऐसे लोग जिनके गांव में आने से यहां की सुशासन शक्ति भंग होने की संभावना है, तो उनका आना-जाना, घूमना-फिरना वर्जित है। पत्थलगड़ी में वोटर कार्ड और आधार कार्ड को आदिवासी विरोधी दस्तावेज बताया जाता है। यह उल्लेख किया जाता है कि आदिवासी लोग भारत देश के मालिक हैं, आम आदमी या नागरिक नहीं। संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क के तहत रूढ़ि और प्रथा ही विधि का बल यानी संविधान की शक्ति है।
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