कारो ब्रिज के पास रेलवे ने नहीं लगाया था डेटोनेटर
चक्रधरपुर के पोसैता और गोईलकेरा के बीच कारो रेल ब्रिज के पास हुए रेलवे के कथित डेटोनेटर ब्लास्ट मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ। रेलवे के इंजीनियरिग विभाग ने कहा है की विभाग के किसी भी कर्मचारी के द्वारा कारो ब्रिज के पास कोई भी डेटोनेटर नहीं लगाया गया था।
जागरण संवाददाता, चक्रधरपुर :
चक्रधरपुर के पोसैता और गोईलकेरा के बीच कारो रेल ब्रिज के पास हुए रेलवे के कथित डेटोनेटर ब्लास्ट मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ। रेलवे के इंजीनियरिग विभाग ने कहा है की विभाग के किसी भी कर्मचारी के द्वारा कारो ब्रिज के पास कोई भी डेटोनेटर नहीं लगाया गया था। इस जानकारी से पूरे रेल मंडल में हडकंप है। क्योंकि डेटोनेटर ब्लास्ट के बाद चक्रधरपुर स्टेशन मास्टर को मेमो लांग हाल मालगाड़ी के चालक और उत्कल एक्सप्रेस के चालक ने लिखित दिया है। लिखित मेमो के अनुसार शनिवार की शाम डेटोनेटर ब्लास्ट के बाद वहां पर लाल झंडा भी देखा गया था। उत्कल एक्सप्रेस के चालक ने तो यह भी बताया है की लाल झंडा लेकर एक शख्स ने घटना स्थल पर ट्रेन भी रुकवा दी थी और बताया था की आगे डेटोनेटर लगाया गया है। उसने खुद को इंजीनियरिग विभाग का कर्मचारी भी बताया था। मेमो के बाद जब पूरे मामले की जांच की गई है तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आया है। इंजीनियरिग विभाग के किसी भी कर्मचारी ने पटरी पर डेटोनेटर नहीं लगाया गया है।
कोहरा व रेल लाइन फ्रेक्चर नहीं था :
डेटोनेटर लगाना किसी भी कर्मचारी के लिए आसान नहीं है। डेटोनेटर पटरी पर लगाने से पहले या लगाने के बाद ट्रैकमेन अपने आइओडब्लू को बकायदे जानकारी देता है। यह भी जानकारी मिली है की जिस जगह डेटोनेटर लगाया गया था वहां कोहरा भी ज्यादा नहीं था, और ना ही पटरी पर कोई फ्रेक्चर था या फिर पटरी पर कोई खतरे वाली बात थी। ऐसे में वहां किसी इंजीनियरिग विभाग के रेलकर्मी द्वारा डेटोनेटर लगाया जाना समझ से परे है। रेलकर्मियों ने नहीं लगाया डेटोनेटर :
इंजीनियरिग विभाग के रेलकर्मियों ने रेल लाइन में डेटोनेटर नहीं लगाने की जानकारी देने के बाद सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है। इस घटना के बाद कई तरह की आशंकाएं अब सुरक्षा एजेंसियों व खुफिया विभाग को परेशान करने लगी है। मालूम रहे की जिस कारो रेल ब्रिज के पास यह घटना घटी है वह इलाका काफी संवेदनशील व नक्सग्रस्त इलाका है। बताया जाता है की इन दिनों नक्सली उसी क्षेत्र में सक्रिय है।
ये सवाल चौकाने वाले हैं :
अब कई तरह के सवाल लोगों के मन में कौंधने लगे हैं।
क्या नक्सलियों ने ही रेल पटरी पर रेलवे का डेटोनेटर लगाया?
रेलकर्मी बनकर उत्कल एक्सप्रेस को रोकने वाला अनजान शख्स कौन था?
वह कौन था जो घटना स्थल पर लाल झंडा लेकर लोको पायलटों को दिखाई दिया?
डेटोनेटर ब्लास्ट कर ट्रेन रोकने के पीछे इन अनजान लोगों का मकसद क्या था?
क्या उत्कल एक्सप्रेस से किसी को उतारने चढ़ाने के लिए ये साजिश रची गई थी?
क्या नक्सली इस घटना को अंजाम देकर टेस्ट कर रहे थे की ट्रेन रूकती है या नहीं?
अगर इसके पीछे नक्सली का हाथ है तो नक्सलियों का अगला प्लान क्या है?
अगर रेलवे के डेटोनेटर लगाकर नक्सली ट्रेन रोक रहे हैं तो ये एक बड़ा खतरा है?