नहाय खाय के साथ भगवान भास्कर की पूजा शुरू, खरना आज
चाईबासा समेत पूरे पश्चिम ¨सहभूम में 'नहाय-खाय' के साथ चार दिवसीय लोक आस्था अैर सूर्य उपासना का महापर्व छठ प्रारंभ हो गया। पहले दिन छठ व्रत करने वाले पुरुषों और महिलाओं ने अंत:करण की शुद्धि के लिए नदियों, तालाबों और विभिन्न जलाशयों में स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी के रूप में प्रसाद ग्रहण किया।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : चाईबासा समेत पूरे पश्चिम ¨सहभूम में 'नहाय-खाय' के साथ चार दिवसीय लोक आस्था अैर सूर्य उपासना का महापर्व छठ प्रारंभ हो गया। पहले दिन छठ व्रत करने वाले पुरुषों और महिलाओं ने अंत:करण की शुद्धि के लिए नदियों, तालाबों और विभिन्न जलाशयों में स्नान करने के बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी के रूप में प्रसाद ग्रहण किया।
चहुंओर गूंज रहे छठ के गीत
त्योहार को देखते हुए छठ के गीत चहुंओर गूंज रहे हैं। व्रतियों द्वारा गाए जा रहे छठ के गीत से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। चाईबासा की सड़क और बाजार में भी रौनक है। टोकरी, सूप, नारियल, ईख समेत अन्य फलों की बिक्री के लिए दुकानों मे भीड़ लगी है। लोग दुकानों में घी, गुड़, गेहूं और अरवा चावल की खरीदारी कर रहे हैं।
परिवार की समृद्धि और कष्टों के निवारण के लिए इस महापर्व के दूसरे दिन सोमवार को छठ व्रती दिन भर बिना जलग्रहण किए उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर 'खरना' करेंगे। इस दौरान वे भगवान भास्कर की पूजा करेंगे और बाद में दूध और गुड़ से बने खीर का प्रसाद सिर्फ एक बार खाएंगे तथा जबतक चांद नजर आएगा, तबतक ही जल ग्रहण कर सकेंगे और इसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।
पर्व के तीसरे दिन मंगलवार को छठ व्रती शाम को नदी, तालाब सहित विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। पर्व के चौथे और अंतिम दिन बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रतियों का व्रत समाप्त हो जाएगा। इसके बाद वे फिर अन्न-जल ग्रहण करेंगे जिसे 'पारण' कहते हैं।
छठ को लेकर जिले में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि सभी घाटों पर दंडाधिकारी और चिकित्सक तैनात किए गए हैं। छठ घाटों पर छठ व्रतियों की सुविधा के लिए टेंट व अस्थाई शौचालय तैयार कराने का निर्देश नगर पर्षद को दिया गया है।