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पश्चिम ¨सहभूम में 60 साल में 3.67 फीसद बढ़ी जनजातीय आबादी

संवाद सहयोगी, चाईबासा : पश्चिम ¨सहभूम जिले में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1951 से 2011 तक 60 साल

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Oct 2018 08:12 PM (IST)Updated: Fri, 05 Oct 2018 08:12 PM (IST)
पश्चिम ¨सहभूम में 60 साल में 3.67 फीसद बढ़ी जनजातीय आबादी
पश्चिम ¨सहभूम में 60 साल में 3.67 फीसद बढ़ी जनजातीय आबादी

संवाद सहयोगी, चाईबासा : पश्चिम ¨सहभूम जिले में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1951 से 2011 तक 60 साल में मात्र 3.67 फीसद बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं झारखंड के अन्य जिलों में अनुसूचित जनजाति के लोगों की जनसंख्या में मामूली बढ़त दर्ज की गई है। शुक्रवार को जनजातीय परामर्श दातृ उपसमिति की बैठक झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री नीलकंठ ¨सह मुंडा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में बताया गया कि पश्चिम ¨सहभूम जिले में 1951 से 2011 तक की जनगणना में जनजातियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 1951 की जनगणना में जनजातीय आबादी 63.64 फीसद थी जबकि 2011 की जनगणना में 67.31 फीसद हो गई। जिसमें 3.67 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इस पर मंत्री ने कहा कि जनगणना में छूटे हुए लोगों को जोड़ने तथा उनकी समस्याओं के समाधान पर विचार किया जाएगा। बताया गया कि जिले में वृहत खनन पट्टा किसी भी जनजातीय व्यक्ति को नहीं मिला है। जबकि वृहत खनन पट्टा 13156 हेक्टेयर रकवा दी गई है। जिसमें वनभूमि 10046 हेक्टेयर, 138 हेक्टेयर रैयती शेष सरकारी गैर मजरुआ भूमि है। मंत्री ने बैठक में 138 हेक्टेयर जमीन किन-किन रैयतों की जमीन है, उन्हें मुआवजा मिला की नहीं। इसमें सिर्फ जमीन का अधिग्रहण हुआ कि मकान भी इन सभी बातों की रिर्पोट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। बताया गया कि लद्यु खनन पट्टा जिले में 25 दिए गए हैं। जिले में सड़क निर्माण से संबंधित भू-अर्जन की भी जानकारी ली गई। वहीं वनाधिकार के तहत 6200 भूमि पट्टा उपलब्ध कराए गए हैं। खाद्य सुरक्षा के तहत आदिम जनजातियों को आच्छादित किया गया है। जिसमें 219 परिवार लाभान्वित हुए हैं। उन्हें डाकिया योजना के तहत 35 किलो अनाज खाद्य आपूर्ति की जाती है। मंत्री ने कहा कि कितने एसटी एवं एससी को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इसकी सूची उन्हें उपलब्ध कराई जाए। जिले में जनजातियों के पलायन, मानव तस्करी एवं जिले से बाहर मजदूरी करने वाले लोगों की गणना भी शुरू की जाए। जिससे पता चल सके कि पश्चिम ¨सहभूम के कितने जनजाति परिवार दूसरे राज्य में रह रहे हैं। मंत्री ने जन्म-मृत्यु दर का तुलनात्मक आंकड़ा तैयार करने का निर्देश भी दिया। उन्होंने कहा कि आदिम जनजाति के लोग खाद्य सुरक्षा से वंचित ना रहें तथा उनकी बीमारी आदि से सुरक्षा होनी चाहिए। जनजातियों की जनसंख्या में कमी का कारण पलायन, बीमारी से मृत्यु तथा दूषित पेयजल हो सकता है। इस पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। बैठक में विधायक गंगोत्री कुजूर, विधायक शिवशंकर उरांव, विधायक दीपक बिरूवा, विधायक निरल पुरती, उपायुक्त अरवा राजकमल, उप विकास आयुक्त आदित रंजन, डीएफओ सारंडा, डीएफओ कोल्हान, आइटीडीए निदेशक सलन भूईयां, नप उपाध्यक्ष डोमा ¨मज, बीस सूत्री उपाध्यक्ष संजय पांडे, सांख्यिकी पदाधिकारी, अपर आयुक्त जय किशोर प्रसाद, एक्स प्रोफेसर सुनिता टोपनो, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, भूमि सुधार उपसमाहर्ता विनय मनीष लकड़ा समेत अन्य मौजूद थे।

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