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पुत्र की दीर्घायु के लिए आज निर्जला व्रत रखेंगी स्त्रियां

संवाद सहयोगी, चाईबासा : जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत दो अक्तूबर को मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 12:24 AM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 12:24 AM (IST)
पुत्र की दीर्घायु के लिए आज निर्जला व्रत रखेंगी स्त्रियां
पुत्र की दीर्घायु के लिए आज निर्जला व्रत रखेंगी स्त्रियां

संवाद सहयोगी, चाईबासा : जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत दो अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रख कर बेटों की लंबी उम्र की कामना करेंगी। इससे एक दिन पूर्व सोमवार को महिलाओं ने सप्तमी तिथि पर नहाय खाय का व्रत किया। अष्टमी के अगले दिन नवमी पर बुधवार को जिउतिया व्रत का पारण किया जाएगा। महिलाओं ने नहाय खाय के दिन भात, सुतपुतिया का साग, मड़ुवा की रोटी सबसे पहले भोजन के रूप में ग्रहण की। पर्व के दिन महिलाएं जल भी ग्रहण नहीं करेंगी। माना जाता है जो महिलाएं जीमूतवाहन की पूरे श्रद्धा व विश्वास के साथ पूजा करती हैं, उनके पुत्र को लंबी आयु व सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

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जितिया व्रत के दिन पूजन के लिए जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित किया जाता है और फिर पूजा करती है। साथ ही मिट्टी व गाय के गोबर से चील व सियारिन की प्रतिमा बनाई जाती है, जिसके माथे पर लाल ¨सदूर का टीका लगाया जाता है। पूजन समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। पुत्र की लंबी आयु, आरोग्य व कल्याण की कामना से स्त्रियां इस व्रत को करती हैं। कहते हैं जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से निष्ठापूर्वक कथा सुनकर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देती हैं, उन्हें पुत्र सुख व उनकी समृद्धि प्राप्त होती है।

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जितिया व्रत बच्चों की लम्बी आयु के लिए रखा जाता है। यह निर्जला व्रत है। यहां तक कि जितिया के दिन सुबह मुंह में अंगुली डालकर कुल्ला किया जाता है। दातून तक इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

फोटो -4- उर्मिला पांडेय।

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जितिया से पहले नहाय-खाय के दिन सतपुतिया की सब्जी, नोनी साग, मडुआ की रोटी खाया है। रात में ठेकुवा 12 बजे के पहले खाया। वही ठेकुवा चील-सियार को देने के बाद बेटों को अमर रहने के लिए खिलाया जाता है।

फोटो -5- निर्मला देवी।

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जितिया पर्व पर सूर्य भगवान को अ‌र्घ्य दिया जाता है लेकिन यह अ‌र्घ्य कोई नदी व तालाब में नहीं बल्कि अपने-अपने घरों की छतों से दिया जाता है। बच्चों को धागा व कोई सोना का जितिया बनाकर पहनाया जाता है। प्याज-लहसुन तक नहीं खाया जाता है।

फोटो -6- रामो देवी।

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खीरे में जितिया लपेट कर पूजा की जाती है और दूसरे दिन महिलाएं अपने पुत्र के बाह पर जितिया बांधती है एवं अपने गले में पहनती है। यह पर्व पूरी तरह से निर्जला है। मिहलाएं पूरे विधिविधान के साथ जितिया पूजा करती है।

फोटो -7- मिली गुप्ता।

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यह पर्व बेटे की लंबी आयु के लिए किया जाता है। इसमें माएं अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए जितवहान देवता की पूजा करती है। सोमवार रात 12 बजे के बाद खीरा, चीनी व नींबू डालकर महिलाएं शर्बत पीती है, ताकि जितिया के दिन प्यास न लगे।

फोटो -8- सुचिता।

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जितिया पर्व की शुरुआत सोमवार को नहाय-खाय से शुरू हो गई। नोनी साग, पोयखरा, पेक्ची और मडुआ की रोटी खाया जाता है। इसके बाद रात 12 बजे कुछ खाने के बाद पूरी तरह से बिना पानी के उपवास रखा जाता है।

फोटो -9- रेखा।

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जितिया पर्व कई सालों से करती आ रही हूं। इससे पहले मेरी मां करती थी तो हम लोग उनको पूजा-पाठ की तैयारी कराने के अलावा उनके आसपास रहती थी। आज जब स्वयं कर रही हूं तो थोड़ी दिक्कत होती है लेकिन अच्छा लगता है।

फोटो -10- पूजा।


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