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आधे अधूरे शौचालय से ग्रामीण पकड़ रहे जंगल की राह

परमानंद गोप नोवामुंडी संपूर्ण प्रखंड को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकाक्षी योजना विभागीय स्तर पर जिस गति से इनका कार्यान्वयन होना चाहिए नहीं हो सका है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Mar 2019 11:56 PM (IST)Updated: Tue, 12 Mar 2019 11:56 PM (IST)
आधे अधूरे शौचालय से ग्रामीण पकड़ रहे जंगल की राह
आधे अधूरे शौचालय से ग्रामीण पकड़ रहे जंगल की राह

परमानंद गोप, नोवामुंडी

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संपूर्ण प्रखंड को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकाक्षी योजना विभागीय स्तर पर जिस गति से इनका कार्यान्वयन होना चाहिए, नहीं हो सका है। शुरुआती दौर में शौचालय निर्माण की जिम्मेवारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को मिली थी। प्रखंड स्तर पर शौचालय निर्माण कार्य देखरेख कर रहे प्रखंड समन्वयक काशीनाथ सोनकर ने युध्द स्तर पर काम कराने की बात कहकर संबंधित पंचायत के मुखिया से मिलकर काम शुरू किया। एक शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपये की योजना राशि स्वीकृति थी। प्रत्येक शौचालय निर्माण में केवल 6 से 7 हजार रुपये खर्च कर आनन-फानन में काम खत्म कर दिया गया। निर्माण कार्य में बंगाल से ठेका बेसिस पर लाए गए दो राज मिस्त्री व दो कुली से जुड़ाई कराई गई। जहा-तहा शौचालयों का निर्माण करवाकर विभागीय दलाल, ठेकेदार और माफिया सरगना मालामाल हो गए हैं।

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प्रखंड के नोवामुंडी बस्ती पंचायत के डूरगु साई, सोसोपी, बड़ाजामदा पंचायत के गाव गुटू, बालीझरन पंचायत के डूकासाई बस्ती में शौचालय निर्माण अधूरे होने का गवाह बने हैं। बताते चलें कि 2006 के दशक में शुरू हुआ संपूर्ण स्वच्छता अभियान सुदूर गावों आज तक धरातल पर नहीं उतर सका है। जबकि सरकार द्वारा कई गावों को निर्मल ग्राम घोषित कर वहा की पंचायत प्रतिनिधियों को पुरष्कृत किया गया है। हाल यह है कि इन पंचायतों में लाखों की राशि खर्च होने के बावजूद आज भी महिला, पुरुष, वृद्ध व बच्चे खुले मैदान में शौच करने को विवश हैं। जबकि इन पंचायतों में इस योजना के तहत पैसा पानी की तरह बहाया गया है। विभाग का दावा है कि मनरेगा योजना के तहत 334 व पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से 8400 शौचालयों का निर्माण हुआ है। फिलहाल चालू वित्तिय वर्ष में औऱ 506 शौचालय निर्माण का लक्ष्य मिला है। प्रखंड क्षेत्र में खुले में शौच मुक्त करने की बात कहकर भले ही नोवामुंडी प्रखंड को ओडीएफ घोषित किए गए हो परंतु हकीकत कुछ और बया कर रही है। पर हाल यह है कि बीपीएल परिवारों के घर में शौचालय नज़र नहीं आ रहा है। कहीं शौचालय दिख भी रहा है तो वह अनुपयोगी ही है। और टूटे और अधूरे हालत में है। यदि नोवामुंडी बाजार क्षेत्र की बात करें तो जिस घर में शौचालय नहीं है सुबह शाम रेलवे पटरी के आसपास झाड़ी समीप लोटे चमकते दीख जाएंगे। ---------

केस स्टडी-1

नोवामुंडी बस्ती पंचायत के डूरगु साई गाव में 90 फीसद आबादी खुले में शौच करने पर विवश है। शौचालय में कहीं दरवाजे नहीं लगे हैं तो कहीं प्लास्टर नहीं है। कहीं शिक फीट तो कहीं पाइप नहीं लगा है। पूड़ी गोप, जेना सुरेन, दामू सुरेन, बुधराम बालमुचू, डिंबा बालमुचू, सनातन सुरेन, बड़ा मंगल सुरेन, शकर सुरेन, गंगाराम सुरेन, दिनेश सुरेन, पड़ासी बालमुचू, काटे सुरेन, सुरजन सुरेनबोती सुरेन का शौचालय अधूरा है। ------केस एस्टडी-2

नोवामुंडी बस्ती पंचायत के सोसोपी में भी शौचालय की कमोवेश यही स्थिति है। रघुनाथ चंपिया का निधन हो गया परंतु शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर सका। इसके आलावा रोयाराम हेम्ब्रम, रेकोंडा सुरेन, डूबराज सुरेन, बुलबुल बारजो, गेड़े बारजो व बुधराम बारजो का नाम शामिल है। बड़ाजामदा पंचायत के गाव गुटू व बालीझरन पंचायत के डूकासाई बस्ती में भी दर्जनों शौचालय अधूरा पड़ा है। ---------क्या कहते हैं लाभुक

दो साल पहले एक ठेकेदार ने दो मिस्त्री व दो मजदूर को लेकर आया हुआ था।साथ में थोड़ा सा बालू व सीमेंट भी लाया था।दो दिन जुड़ाई करने के बाद अधूरा छोड़कर चले गए।जो कभी लौट कर नहीं आया। उसके जाने के बाद से शौचालय अधूरा छोड़ गया।

-----मुनी बालमुचू,डूरगु साई।

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शौचालय में सीट समेत पाइप व दरवाजे नहीं लगे हैं। जिससे परिवार वाले को अच्छे शौचालय का नसीब नहीं हुआ। प्रत्येक दिन सुबह शाम शौच के लिए झाड़ी की ओर लोटा लेकर दौड़ना पड़ता है।

--------पूड़ी गोप, डूरगु साई।

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दो परिवारों के लिए दो शौचालय जरूर बन दिए थे। दीवार पर प्लास्टर नहीं है। सेफ्टी टैंक भी नहीं बना। काफी दिन होने के कारण जुड़ाई भी उखड़ने लगी है। जिससे शौच के लिए जंगल की राह पकड़ना पड़ता है। झाड़ी की ओर जाने के लिए सापों से भी डर लगता है।--------

मंगल सुरेन,डूरगु साई। बस्ती में जितने भी शौचालय बन रहे था उसमें से 90 फीसद अधूरे है। योजना राशि कहा खर्च हुई पता नहीं। शौच के लिए नदी किनारे या तो जंगल की ओर जाना पड़ रहा है।-------बोती सुरेन,डूरगु साई।


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