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ऊषा मार्टिन ग्रामीणों की दबा रही आवाज : दोंगाई चंपिया

संवाद सूत्र, गुवा : बोकना गांव में ग्राम सुरक्षा समिति अध्यक्ष दोंगाई चंपिया के नेतृत्व में बोकना गांव के ग्रामीणों ने एकजुट हो ऊषा मार्टिन द्वारा जमीन अधिग्रहण के विरोध में बैठक की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 11:44 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:44 PM (IST)
ऊषा मार्टिन ग्रामीणों की दबा रही आवाज : दोंगाई चंपिया
ऊषा मार्टिन ग्रामीणों की दबा रही आवाज : दोंगाई चंपिया

संवाद सूत्र, गुवा : बोकना गांव में ग्राम सुरक्षा समिति अध्यक्ष दोंगाई चंपिया के नेतृत्व में बोकना गांव के ग्रामीणों ने एकजुट हो ऊषा मार्टिन द्वारा जमीन अधिग्रहण के विरोध में बैठक की। ग्रामीणों ने कहा कि गांव स्थित सीमावर्ती कारो नदी तट पर 135 एकड़ जमीन सागडबुरु-चातोंबासाई की नापी करा ऊषा मार्टिन कंपनी टाटा स्टील कंपनी को गुमराह कर रही है। इसी प्रकरण के तहत आदिवासियों की आवाज को दबाने के लिए गांव के 12 महिला एवं पुरुषों समेत कई पर केस दर्ज किया गया है। उपायुक्त के आदेशानुसार गांव में अंचल पदाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के गांव में आना एवं एसडीओ स्मृता कुमारी के दिशा निर्देशन पर ग्रामीणों के विरोध में टाटा कंपनी के आने के पूर्व ग्रामीणों के प्रति दमनात्मक नीति उत्पन्न करना इस बात का संकेत है कि कंपनी ग्रामीणों की आवाज को दबा रही है। बोकना ग्राम विकास समिति के संतोष चंपिया ने कहा कि ग्रामीण भय में और असहाय महसूस कर रहे हैं। गांव के राइतो चुमरू चंपिया जॉइन चंपिया, ¨सघा चंपिया, गुरा चंपिया, नागु चंपिया, रामू चंपिया, मोसो चंपिया, मागिया चंपिया, जय¨सह चंपिया, अर्जुन चंपिया, गागू चंपिया ने अपनी जमीन की नापी फिर से कराए जाने की मांग की है।

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12 पर दर्ज किए गए मामले को ले कंपनी की कार्यवाही के प्रति विरोध जताया है। कहा कि गांव के मुंडा एवं जमीन से सटे रैयतों को नोटिस निश्चित रूप से जारी की जानी चाहिए थी। ग्रामीणों के अनुसार उस जमीन पर स्वाभाविक रूप से कुछ घरों का निर्माण कर ह रहे हैं तथा वहां उनका पूजा स्थल है। इस जमीन पर स्थानीय जानवरों में हाथी, भालू, बाघ, सियार और हिरण स्वाभाविक रूप से देखे जाते हैं। जानवरों का निवास एवं ग्रामीणों के घर निर्मित किए जाने की स्थिति में कंपनी द्वारा इसे अधिग्रहण किया जाना नाइंसाफी होगी। बैठक में कहा गया कि एसडीओ कोर्ट जगन्नाथपुर में ग्रामीणों में सुखराम सोरेन,दुंडिया चंपिया, सिद्धू बांद्रा, सोनाराम बानरा, घनश्याम सोरेन, पत्तोंर चंपिया, गड़े चंपिया,गुरा चंपिया, संतोष चंपिया और ब्रज मोहन मिश्रा को बंधक बनाना ग्रामीण आदिवासियों की आवाज बंद करना है।


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