अच्छी बारिश के लिए जंगल के देवता को चढ़ाई बलि
कोल्हान में जंगल के देवता को खुश करने के लिए आदिवासी रीती-रिवाजों से धन-संपत्ति सुख-समृद्धि के देवता जानताड़ा की पूजा की जाती है।
संवाद सूत्र, कुमारडुंगी : कोल्हान में जंगल के देवता को खुश करने के लिए आदिवासी रीती-रिवाजों से धन-संपत्ति, सुख-समृद्धि के देवता जानताड़ा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जानताड़ा पूजा के उपरांत ही कोल्हान क्षेत्र में सही बरसात होती है। उसके बाद ही खेतों में रोपाई का काम आरंभ होता है। शुक्रवार के दिन कुमारडुंगी के खंडकोरी पंचायत में जानताड़ा भगवान की पूजा-अर्चना की गई। इस पूजा में खंडकोरी गांव के बुरुसुबा जंगल में पत्थरों के नीचे गुफा में मिट्टी से बने पूर्वकालीन जंगल के जानवर की मूर्तियों की पूजा की जाती है। खंडकोरी एवं आसपास के गांव वालों का मानना है की मिट्टी से बने जंगल के जानवरों की पूजा करने पर जंगल के देवता खुश होते हैं। क्षेत्र में बारिश के साथ-साथ गांव में सुख-समृद्धि लेकर आते हैं।
20 फिट ऊपर चट्टान पर की जाती है पूजा
खंडकोरी गांव के दिउरी मथुरा सिकु बताते हैं की जानताड़ा भगवन की पूजा करने के लिए पुजारी को विशेष रुप से तैयार होना पड़ता है। एक मुख्य पुजारी के साथ तीन चेला सुबह से ही अन्न व जल त्यागकर गांव के दिउरी के घर पूजा-पाठ करते हैं। दूसरी घड़ी में पूजा स्थल बुरुशुबा जंगल में पूजा-अर्चना करने जाते हैं। वहां गुफा के अंदर पूजा-पाठ करने के बाद 20 फिट ऊपर चट्टान में पूजा की जाती है। वहां भगवन को खुश करने के लिए बकरे की बलि दी जाती है। उसके साथ ही बत्तख, मुर्गा व कबूतर की भी बलि दी जाती है। वहां से बलि दिया गया खून पूरी चट्टान में फैल जाता है। इसकी भी एक अलग ही मान्यता है। जो व्यक्ति उस खून से भरी चट्टान में माथा सटाकर अपनी इच्छा व्यक्त करेगा उसकी मान्यता पूरी होगी।
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खंडकोरी गांव के मानकी सनातन सिकु ने बताया की जानताड़ा भगवन की पूजा के अवसर पर एक दिवसीय फुटबॉल खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन गांव के राजाबासा फुटबॉल मैदान में किया गया था।