मुख्यमंत्री के दरबार पहुंचा 17 करोड़ की नहर के पानी में बहने का मामला
पश्चिमी सिंहभूम जिला के मझगांव व कुमारडुंगी के किसानों के लिए बन रही 17 करोड़ की नहर के पानी में बह जाने का मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दरबार पहुंच गया है।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिला के मझगांव व कुमारडुंगी के किसानों के लिए बन रही 17 करोड़ की नहर के पानी में बह जाने का मामला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दरबार पहुंच गया है। सोमवार को सांसद गीता कोड़ा ने स्वयं रांची में मुख्यमंत्री से मिलकर
कुशमुंडा से खैरपाल सिचाई नहर निर्माण परियोजना में बरती गई अनियमितता के संबंध में शिकायत की। सांसद ने कहा कि हाटगम्हरिया प्रखंड अंतर्गत किसानों को सिंचाई पक्की नहर निर्माण परियोजना निर्माण की स्वीकृति दी गई है। उक्त सिचाई परियोजना से हाटगम्हरिया प्रखंड के लगभग 15 गांव के कई हजार एकड़ जमीन सिचाई किए जाने का लक्ष्य निर्धारित था। पूर्व में यह सिचाई परियोजना कच्ची नहर के रूप में अवस्थित थी, इस नहर को 2019 में सरकार द्वारा पक्कीकरण करने की योजना बनाई और 16 किलोमीटर की नहर के पक्कीकरण हेतु 17.60 करोड़ राशि स्वीकृत कर टेंडर के माध्यम से कार्ययोजना ठेकेदार को आवंटित किया गया। यह नहर परियोजना इस क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों के लिए संजीवनी के रूप में साबित होती, परंतु घटिया निर्माण की वजह से उक्त नहर यास तूफान के कारण हुई बारिश के पानी में बह गया। ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण को छुपाने के लिए नहर में अनेकों जगह ढलाई स्लैब एवं दरारों की मरम्मत की गई थी। इसकी सूचना मिलने पर जांच की गई तो शिकायत को सही पाया गया। उसके बाद ढलाई स्लैब की गुणवत्ता जांचने के लिए हथौड़े से हल्का चोट देने पर हथौड़ा ढलाई स्लैब में धंसा जा रहा था और इस प्रकार की कई और बात सामने आई है। ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की हानि हुई है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने योजना की जांच कराने का आश्वासन सांसद को दिया है।
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यास से पीड़ितों के लिए सांसद ने सीएम से मांगा आर्थिक पैकेज
सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से तूफान यास से सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में हुई बर्बादी एवं तबाही से आम जनजीवन के सुदृढ़ीकरण के लिए विशेष आर्थिक राहत पैकेज देने की मांग की है। गीता कोड़ा ने कहा कि संसदीय क्षेत्र सिंहभूम में चक्रवात तूफान यास से जानमाल का नुकसान तो हुआ ही है। साथ ही बुनियादी ढांचों को भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया। सिंहभूम की बहुतायत आबादी कृषि कार्य पर ही निर्भर है, लेकिन यास तूफान ने सिचाई नहर, पेयजल, कुआं एवं किसानों की फसल मसलन साग-सब्जी, रबी आदि फसलों को बर्बाद कर उन्हें भुखमरी के कगार पर ला खड़ा कर दिया है। यास चक्रवाती तूफान ने संसदीय क्षेत्र सिंहभूम में कई जगहों पर आधारभूत संरचनाओं से जुड़े पुल, पुलिया व सड़क आदि को भी बहुत अधिक क्षतिग्रस्त कर दिया है। सिंहभूम के विभिन्न इलाकों में रहने वाले लोगों का कच्चा, पक्का मकान ध्वस्त हो गया है। इससे मजबूरन वे लोग इधर -उधर रहने को विवश हैं। ऐसे लोगों को आंबेडकर आवास दिया जाए।