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कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कियों की संख्या कम : सीमा पालित

पद्मावती जैन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर विद्यालय नोवामुंडी में सोमवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। शिक्षण संस्थान बंद रहने के कारण छात्रों को आनलाइन द्वारा आभासी के माध्यम से जोड़कर बालिकाओं को राष्ट्रीय बालिका दिवस की जानकारी दी गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 07:18 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 07:18 PM (IST)
कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कियों की संख्या कम : सीमा पालित
कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कियों की संख्या कम : सीमा पालित

संवाद सूत्र, नोवामुंडी : पद्मावती जैन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर विद्यालय नोवामुंडी में सोमवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया। शिक्षण संस्थान बंद रहने के कारण छात्रों को आनलाइन द्वारा आभासी के माध्यम से जोड़कर बालिकाओं को राष्ट्रीय बालिका दिवस की जानकारी दी गई। विद्यालय की प्रधानाचार्या सीमा पालित ने बताया कि देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस हरेक साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार ने वर्ष 2008 में की थी। बताया कि 24 जनवरी 1966 में इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसी को लेकर देश में राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत की गई। राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने का उद्देश्य समाज में बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। उनके साथ होने वाले भेदभाव के प्रति भी लोगों को जागरूक करना है। देश में लड़कियों की साक्षरता दर, उनके साथ भेदभाव, कन्या भ्रूण हत्या एक बड़ा उदाहरण बन कर समाज के सामने आया है। कन्या भ्रूण हत्या की वजह से लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम है। समाज में लड़कियों की स्थिति में सुधार के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। शिक्षक लियोनार्ड बोदरा ने बताया कि बेटियों की आज लगभग हर क्षेत्र में हिस्सेदारी है। एक दौर ऐसा भी था जब लोग बेटियों को कोख में ही मार दिया करते थे। बेटियों का जन्म हो भी गया तो बाल विवाह की आग में धकेल दिया जाता था। बेटियों और बेटों में भेदभाव, उनके साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ देश की आजादी के बाद से ही भारत सरकार प्रयास शुरू कर दी थी। बेटियों को देश के प्रथम पायदान पर लाने के लिए कई योजनाएं और कानून लागू किए गए। इन सारे उद्देश्यों को लेकर राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई थी।

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