चाईबासा गोशाला मेले में उत्तर प्रदेश का खाजा बना रहा आकर्षण का केंद्र
श्री चाईबासा गोशाला समिति की ओर से आयोजित दो दिवसीय गोपाष्टमी मेले के दूसरे दिन यानि मंगलवार की देर रात को जमकर भीड़ हुई।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : श्री चाईबासा गोशाला समिति की ओर से आयोजित दो दिवसीय गोपाष्टमी मेले के दूसरे दिन यानि मंगलवार की देर रात को जमकर भीड़ हुई। पश्चिम सिंहभूम जिले का ऐतिहासिक और पारंपरिक गोशाला मेला देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। दो दिन तक लगने वाले इस मेले में घूमने के लिए एक अनुमान के हिसाब से एक से डेढ़ लाख लोगों की भीड़ उमड़ती है। शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के एवं सीमावर्ती राज्य ओडिशा, पश्चिम बंगाल के लोग भी इस मेले में घूमने आते हैं। जिले का यही एक मात्र मेला है, जहां दो दिनों तक लगातार दिन-रात लोगों की आवाजाही बनी रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोग रातभर मेले का आनंद लेते हैं। इस मेले का मुख्य आकर्षण यहां खाने-पीने के सामान, उत्तर प्रदेश का खाजा से लेकर अनेक तरह के पकवान लोगों का आकर्षण का केंद्र रहे। साथ ही मनोरंजन के लिए मेले में ऊंचा-नीचे होने वाला टोरा-टोरा झूला, बिजली झूला, ब्रेक डांस, ड्रैगन, मिक्की माउस एवं बच्चों के छोटे-छोटे झूले में बच्चों एवं महिलाओं की कतार लगी रही।
40 फीट की मौत का कुआं बना आकर्षण का केंद्र
गोशाला मेले में मौत का कुआं मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। 40 फीट की मौत का कुआं में एक साथ तीन बाइक सवार व दो कार सवार स्टंट दिखाकर दर्शकों को हैरत में डाल दिया। ये स्टंटबाज दर्शकों की मांग के अनुसार विभिन्न शो में करतब दिखाया। स्टंट दिखाने वाले रांची जिले के ये करतबबाज हर आधे घंटे बाद शो प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटा।
मेले में लगे लगभग 400 स्टॉल
चाईबासा का प्रसिद्ध मेला गोशाला की करीब 20 एकड़ जमीन के अलावा परिसर के बाहर काफी दूर-दूर तक फैल गया। दूर दराज से आने वाले लोग दो दिनों तक मेले में खूब मस्ती किया। मेला परिसर में करीब 400 स्टॉलनुमा दुकानें लगी थी जहां छोटी-छोटी दुकानें, खोमचा, ठेला, चाय बेचने वाले, साइकिल स्टैंड लगाने वाले लोगों के लिए यह मेला कमाई और खुशी की सौगात था।
मेले में 20 ट्रक से ज्यादा हुई गन्ने की खपत
मेले में हर तरह के सामान की बिक्री होती है। सामान के साथ-साथ यहां हर उम्र के लोगों के मनोरंजन की भी व्यवस्था रहती है। यहां सबसे ज्यादा बिक्री गन्ना की होती है। मेले में 20 ट्रक से ज्यादा गन्ने की खपत होती है। शायद ही कोई ऐसा हो, जो मेले से जाते वक्त गन्ना न ले जाए। मेले से वापस लौटने के दौरान हर लोग अपनी हाथों में गन्ने लेकर जाते नजर आए।