रंगीन दिखे मिठाई तो न खाएं भाई : जलेबी, लड्डू, बुंदिया व स्ट्रीट फूड में मिलाया जा रहा हानिकारक रंग
अगर मिठाई रंगीन दिखे तो खाने से परहेज करें। जलेबी लड्डू बुंदिया व स्ट्रीट फूड में हानिकारक रंग मिलाया जा रहा है। इससे कैंसर का खतरा हो सकता है।
चाईबासा, सुधीर पांडेय। त्योहारों का मौसम आने वाला है। दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली के मौके पर आपको ललचाने के लिए एक से बढ़कर एक मिठाई और व्यंजन परोसने की तैयारी मिष्ठान भंडार व होटल वाले कर रहे हैं। आपको लुभाने के लिए बाजार में कई तरह की रंगीन मिठाइयां भी सजायी जा रही हैं। ऐसे में आप सावधान हो जाइए।
मिठाई के रंग पर न जाएं। ये रंग आपकी सेहत बिगाड़ सकता है। यहां तक कि ज्यादा सेवन कर लिया तो कैंसर का भी खतरा है। क्योंकि चाईबासा के ज्यादातर छोटे होटलों और ठेले पर बिक रहे जलेबी-लड्डू और बुंदिया में खाने वाले रंग की जगह अौद्योगिक रंग मिलाया जा रहा है, जो लाल-चंपई रंग का होता है। इसका इस्तेमाल कपड़ा डाई करने में किया जाता है मगर ज्यादा मुनाफा की लालच में दुकानदार बेधड़क इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
खासकर पीले रंग की मिठाई से करें पूरा परहेज
कामधेनू सहित कई तरह के रंग बाजार में खुलेआम मिल रहे हैं। पुड़िया वाला पीला या गंधक रंग अखाद्य रंग है। इसे मेटानिल येलो भी कहा जाता है। यह रंग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। शहर भर के ठेले सहित होटलों में बिकनेवाले लड्डू, जलेबी, बुंदिया, मंचूरियन व चाट में यह रंग धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। रंग युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन में पर्याप्त सावधानी जरूरी है। खास कर पीले रंग से तैयार खाद्य पदार्थ से परहेज किया जाये।
मुनाफा के चक्कर में सेहत से खिलवाड़
चाईबासा के खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी संगीत घोष कहते हैं कि मेटानिल येलो का खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल पर बैन लगाया गया है। इसके अधिक इस्तेमाल से कैंसर का खतरा रहता है।बाजार में फूड कलर करीब 50 रुपये का मिलता है। वहीं कामधेनु रंग 10 से 12 रुपये में मिल जाता है। दोनों के दाम में 30-40 रुपये का अंतर है। दुकानदार मुनाफा कमाने के लिए इसका बेधड़क इस्तेमाल कर रहे हैं। हम लोगों ने बड़ीबाजार के एक होटल से नमूना संग्रह कर रांची भेजा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद होटल संचालक को कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा।