मंझधार में देश का भविष्य, चल न पड़ें गलत डगर, शिक्षा से टूटा नाता
एक ऐसा गांव जहां कइयों आदिवासी किशोर-किशोरियों शिक्षा से वंचित हैं। किसी ने पांचवीं तो किसी ने नौवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ी दी। ड्रॉप आउट रोकने के लिए सरकार और एनजीओ कई तरह के अभियान चलाती है करोड़ों खर्च किए जाते हैं।
राहुल हेम्ब्रोम, चक्रधरपुर (प. सिंहभूम) : एक ऐसा गांव, जहां कइयों आदिवासी किशोर-किशोरियों शिक्षा से वंचित हैं। किसी ने पांचवीं तो किसी ने नौवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ी दी। ड्रॉप आउट रोकने के लिए सरकार और एनजीओ कई तरह के अभियान चलाती है, करोड़ों खर्च किए जाते हैं। ऐसे में देश के भविष्य कहे जाने वाले एक ही गांव के इतने सारे बच्चों का पढ़ाई से रिश्ता टूट जाना व्यवस्था के प्रति बड़ा सवाल खड़ा करता है। हम बात कर रहे हैं पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर प्रखंड के बांदोडीह गांव की। यह गांव चक्रधरपुर के जामिद पंचायत में बमुश्किल चक्रधरपुर-सोनुवा मुख्यमार्ग में सिलफोड़ी से आधे किलोमीटर की दूरी पर है। बांदोडीह के नीचे टोला में आदिवासी समुदाय निवास करता है, लेकिन उनके बच्चे शिक्षा के अभाव में कल एक बेहतर इंसान बनने से वंचित रह जाएंगे। ऐसा नहीं कि यहां विद्यालय नहीं है। लेकिन विद्यालय खाली हैं। इससे डर भी है कि यह बच्चे कहीं गलत दिशा न पकड़ लें। किस बच्चे ने कितनी कक्षा में छोड़ी पढ़ाई
विद्यार्थी ड्रापआउट स्कूल
सुखमती बोदरा पहली
पंगेला सवैयां शून्य
सुकुरमुनी बोदरा चौथी
कविता बोदरा पांचवीं
मेचो सवैयां पांचवीं
सुकुरमुनी सवैयां पांचवीं
कुनी जोंको छठवीं
पूजा जोंको पांचवीं
अंजू बोदरा पांचवीं
नंदू बोदरा चौथी
संजय सवैयां छठवीं
राकेश जोंको छठवीं
पासिग सवैयां आठवीं
लखन जोंको आठवीं
सिधु सवैयां सातवीं
साधुचरण सोय चौथी
सुनील बोदरा पांचवीं
अनिल सोय नौवीं बुढ़ीगोड़ा
मनु बोदरा चौथी उप्रावि बान्दोडीह
सचिन सोय तीसरी बुढ़ीगोड़ा
दीपक जोंको छठवीं बुढ़ीगोड़ा
सारजोम सवैयां पांचवीं उप्रावि बान्दोडीह
घनश्याम सोय आठवीं सभी बच्चे उत्क्रमित प्राथमिक विद्यायल बान्दोडीह, बुढ़ीगोड़ा, सुमित्रा देवी शिुश मंदिर, जलवे देवी शिशु मंदिर के विभिन्न कक्षाओं के हैं। आंख में धूल झोंकती बाल पंजी सर्वे
शिक्षा विभाग सभी विद्यालयों के पोषक क्षेत्र में घर-घर बाल पंजी सर्वे कराती है। 6 से 18 आयुवर्ग के ड्राप आउट बच्चों को चिन्हित कर इनका डाटा विभाग के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है और प्रखंड संसाधन केंद्र में जानकारी दी जाती है। यह प्रक्रिया यू-डायस भरने से पहले होती है। तदनुसार इन ड्रापआउट बच्चों के लिए उपयोगी 3 से 9 माह तक का विशेष कोर्स उपलब्ध कराया जाता है। ऐसे में एक ही गांव के इतने सारे बच्चों के बाल पंजी सर्वे में ड्रापआउट होने की जानकारी नहीं होना आंख में धूल झोंकने वाली है। ये बच्चे देश के भविष्य हैं। इन्हें फिर से मुख्यधारा में लाया जाएगा। बच्चों को स्कूलों में दाखिला का हरसंभव प्रयास करेंगे। शिक्षा विभाग, अभिभावकों, अधिकारी सभी से सहयोग की अपेक्षा है।
-भीमा जोंको, ग्राम मुंडा बान्दोडीह। ट्रेस हो नहीं पा रहा है कि बच्चे कहां के हैं। बच्चे ट्रेस हुए तो उन्हें किसी भी रूप में विद्यालय से जोड़ना है। बच्चों का पता चले और मिले भी तो। बांदोडीह में उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय है। बच्चे नामांकित हैं या अनामांकित हैं, बच्चों की लिस्ट की वेरीफाई कराएंगे।
-विजय कुमार, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी चक्रधरपुर।