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संक्रमण के बाद फेफड़ा कमजोर कर रहा कोरोना वायरस

अस्पताल से घर वापस आने के बाद ठीक होने वाले कोविड-19 मरीजों में संक्रमण के बाद के स्वास्थ्य के मुद्दों पर लड़ाई जारी रहती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 07:39 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 07:39 PM (IST)
संक्रमण के बाद फेफड़ा कमजोर कर रहा कोरोना वायरस
संक्रमण के बाद फेफड़ा कमजोर कर रहा कोरोना वायरस

जासं, चाईबासा : अस्पताल से घर वापस आने के बाद ठीक होने वाले कोविड-19 मरीजों में संक्रमण के बाद के स्वास्थ्य के मुद्दों पर लड़ाई जारी रहती है। रविवार को रोट्रेक्ट क्लब ऑफ चाईबासा ने विशेषज्ञों के एक समूह ने साथ 50 ऐसे रोगियों की जांच की, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, कमजोरी और शरीर में दर्द जैसी कई स्थितियों की शिकायत की। यह झारखंड में इस तरह का पहला कोविड केयर शिविर था जिसका आयोजन रविवार को रूंगटा मैरेज हाउस चाईबासा में किया गया। शिविर में डा. श्रीकांत अग्रवाल, फीजियोथैरिपिस्ट मीनाक्षी मुंधड़ा द्वारा जांच की गई। इस दौरान मरीजों में पाये जाने वाले कुछ लक्षणों जैसे की तेज धड़कन चलना, जल्द थकना, बार-बार बलगम आना, सर-छाती व मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी लंबे समय से होना, सांस फूलने की शिकायत की जांच कर उन्हें चिकित्सा संबंधित दवाइयां दी एवं फिजियोथेरेपिस्ट मीनाक्षी मुंधड़ा ने सांस की एक्सरसाइज एवं अन्य शारीरिक एक्सरसाइज द्वारा किस तरह उसमें सुधार किया जा सकता है उसके बारे में बताया। पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) से निकली रिपोर्ट से ज्यादातर मरीजों के फेफड़े से संबंधित कमजोरी के लक्षण पाए गए। सिप्ला कंपनी के सौजन्य से यह टेस्ट जो की महंगा होता हैं मुफ्त में कराया गया। बहुत से मरीजों के छाती का एक्सरे रिपोर्ट भी मांगी गई जिसको देखकर डॉक्टरों ने उनको व्यायाम, दवा और खानपान से संबंधित जानकारी दी।

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कोविड-19 से लड़ने में मानसिक मजबूती भी जरूरी : डॉ. श्रीकांत

डा. श्रीकांत अग्रवाल ने बताया कि हम अभी भी नॉवेल कोरोना वायरस के कई पहलुओं को सीख रहे हैं। मरीजों को विशेष रूप से जो उपचार के दौरान लंबे समय तक ऑक्सीजन थेरेपी पर रहे हैं, वे फेफड़ों और कमजोरी जैसे स्वास्थ्य मुद्दों को विकसित करते हैं। रोगियों के एक हिस्से को ठीक होने के दो महीने के भीतर फेफड़े, दिल, सामान्य कमजोरी और पेट जैसे मुद्दों का विकास होगा लेकिन भयभीत न हो। गंभीर संक्रमित रोगियों में फेफड़े की भागीदारी 60 से 70 हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अवशिष्ट प्रभाव फेफड़ों की फाइब्रोसिस के कारण संक्रमण से उबरने के बाद भी सांस लेने की समस्या का कारण बनता है। डॉक्टरों को पता चला कि कुछ मरीज जो शिविर में आए थे ठीक होने के बाद भी चिता और घबराहट के मुद्दों से ग्रस्त थे। विशेषज्ञों ने उन्हें मानसिक मजबूती बनाये रखने की सलाह दी।

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शिविर में कई मरीजों ने प्लाज्मा दान करने की जताई इच्छा

मरीजों में से कई ने भी प्लाज्मा दान करने की इच्छा व्यक्त की। रोट्रैक्ट क्लब ऐसे संभावित दाताओं की सूची तैयार करने की योजना बना रहा है, जो अपने प्लाज्मा को सरकारी प्लाज्मा बैंक या किसी अन्य निजी बैंक में दान कर सकते हैं। यह कैंप दिसंबर माह में पुन: आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में अध्यक्ष राहुल सराफ, सचिव निशांत कुमार, कार्यक्रम संयोजक अक्षय कुमार गुप्ता, विकास गुप्ता, राहुल कर्मकार, नेहा गुप्ता, हर्षित मुंधड़ा, अक्षय चौबे आदि उपस्थित थे।

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पीएफटी टेस्ट क्या है

पीएफटी यानी पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट फेफड़े और सांस से संबंधी कई बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसे स्पाइरोमेट्री टेस्ट भी कहते हैं। स्पाइरोमीटर मशीन की मदद यह टेस्ट किया जाता है। मशीन से जुड़े माउथपीस को मरीज के मुंह में लगाकर सांस तेजी से खींचने और छोडऩे के लिए कहा जाता है। पल्मोनरी फंक्शन परीक्षण में व्यक्ति कितनी अच्छी तरह से सांस ले रहा है और शरीर के बाकी हिस्सों में फेफड़ों का ऑक्सीजन कितना प्रभावी होने का जांच करता है। वायु प्रवाह के अलावा, ये परीक्षण फेफड़ों और फेफड़ों के प्रसार के आकार और मात्रा को मापते हैं।

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पश्चिमी सिंहभूम में कोरोना वायरस की स्थिति एक नजर में

कोरोना संभावित मरीजों की संख्या - 1,71,963

अब तक हुए कोरोना परीक्षण की कुल संख्या - 169189

कुल पॉजिटिव केस - 4567

कुल नेगेटिव केस - 1,64,613

कुल मौत - 37

कोरोना से ठीक हुए लोगों की संख्या - 4504

वर्तमान में मौजूद सक्रिय केस - 35

पश्चिमी सिंहभूम का रिकवरी रेट - 98.4 फीसद


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