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टाटा स्टील जीएम व सीएमओ के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस

टाटा स्टील कर्मचारी कांगो मल्लिक ने टाटा स्टील महाप्रबंधक व चीफ मेडिकल ऑफीसर के खिलाफ इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उसने जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में इलाज के दौरान खर्च हुई राशि को दिलाने के लिए चाईबासा के उपभोक्ता फोरम में हाल में याचिका दायर की है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 07:27 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 07:27 PM (IST)
टाटा स्टील जीएम व सीएमओ के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस
टाटा स्टील जीएम व सीएमओ के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस

जासं, चाईबासा : टाटा स्टील कर्मचारी कांगो मल्लिक ने टाटा स्टील महाप्रबंधक व चीफ मेडिकल ऑफीसर के खिलाफ इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उसने जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में इलाज के दौरान खर्च हुई राशि को दिलाने के लिए चाईबासा के उपभोक्ता फोरम में हाल में याचिका दायर की है। कांगो मल्लिक की शिकायत पर सोमवार को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गई थी परंतु कंपनी की ओर से उपभोक्ता अदालत में आवेदन देकर साक्ष्य जुटाने व अपना पक्ष रखने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा गया है। कांगो की ओर से उपभोक्ता अदालत में दिए गए आवेदन में बताया गया कि वह काटामाटी खदान में सीनियर ऑपरेटर पद पर कार्यरत था। 27 अक्टूबर 2015 की रात लगभग 11 बजे उसकी छाती में अचानक दर्द उठा। इस कारण ड्यूटी से अवकाश लेकर कंपनी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा। उस समय रात्रि ड्यूटी पर डॉ. चौधरी तैनात थे। उन्होंने उसे भर्ती कर लिया। सुबह होने के बाद फिजीशियन डॉ. दिनेश कुमार के अधीन इलाज के लिए लिख दिया। डॉ. दिनेश कुमार ने उसे जांच किए बिना लौटा दिया। बाद में टिस्कोकर्मी ने चैंबर जाकर अपने बात को रखा परंतु उन्हें इलाज नहीं कर महिला डॉक्टर नेहा से दिखाने के लिए रेफर कर दिया गया। महिला डॉक्टर ने एक्स-रे के बाद शरीर में किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होने की बात कहकर लौटा दिया। चिकित्सकों की कार्यशैली से परेशान टिस्कोकर्मी ने जमशेदपुर एमजीएम में जांच कराई तो हृदय रोग की पुष्टि हुई। इस दौरान कांगो के एंजियोप्लास्टी में लगभग 2 लाख 41 हजार 541 रुपये खर्च हुए। 30 सितंबर 2017 को वो कंपनी से सेवानिवृत्त हो गया। कंपनी अस्पताल द्वारा समय पर इलाज नहीं करने व एमजीएम अस्पताल में इलाज के दौरान खर्च हुई राशि की भरपाई की मांग को लेकर उपभोक्ता फोरम की शरण ली है। पैसे दिलाने के लिए वह तत्कालीन महाप्रबंधक व नोवामुंडी माइंस मजदूर यूनियन को मौखिक रूप से शिकायत कर चुका है।

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