Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019 : मुद्दों पर बात चली तो लोगों के चहेरे पर छलक आई पीड़ा

Lok Sabha Election 2019. बजरंग मिश्र कहते हैं कि देश भविष्य को देखते हुए ईमानदार नेता चुनेंगे। जनप्रतिनिधि ऐसा हो जो हमारे बारे में सोचे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 01:36 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 01:36 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 : मुद्दों पर बात चली तो लोगों के चहेरे पर छलक आई पीड़ा
Lok Sabha Election 2019 : मुद्दों पर बात चली तो लोगों के चहेरे पर छलक आई पीड़ा

चाईबासा, सुधीर पांडेय। दोपहर 12 बज रहे थे। जैसे-जैसे पारा चढ़ रहा था, बहस भी परवान चढ़ रही थी। यहां हर कोई मुद्दों से लैस था। मुद्दे जब प्याज की तरह परत दर परत खुलने लगे तो हर चेहरे पर पीड़ा छलक आई। झींकपानी जोड़ापोखर बाजार सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में पड़ता है। दैनिक जागरण ने यहीं चुनावी चौपाल का आयोजन कर रखा था।

loksabha election banner

यह इलाका एसीसी सीमेंट कारखाने से सटे होने के कारण सिंहभूम क्षेत्र के अन्य गांवों से थोड़ा अलग है। इसलिए लोगों के विचार भी थोड़े भिन्न हैं। बजरंग मिश्र कहते हैं कि देश भविष्य को देखते हुए ईमानदार नेता चुनेंगे। जनप्रतिनिधि ऐसा हो जो हमारे बारे में सोचे। गांव को देखे और इसके विकास पर ध्यान दे। यहां स्थिति यह है कि सरकार ने पीएम आवास के लिए पैसा तो दे दिया, मगर ठेकेदार के लिए यह कमाई का जरिया बन गया। प्रधानमंत्री आवास, शौचालय, आयुष्यमान जैसी योजनाएं अच्छी हैं, मगर सही ढंग से लाभ नहीं मिल रहा। मिश्र बात पूरी करते, तभी जोड़ापोखर पंचायत के पूर्व मुखिया गार्दी मुंडा कहने लगे कि गरीबी यहां बड़ा मुद्दा है, लेकिन इसके लिए दोषी हम भी हैं। एक गरीब परिवार में 10 बच्चे हो जाते हैं। हम जब उन्हें सही से पाल नहीं सकते तो पैदा क्यों करते हैं? जनसंख्या ज्यादा होने से योजनाओं को धरातल पर उतारना मुश्किल हो जाता है। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, हमें स्वयं भी आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेनी होगी। 

गांव के ही एक युवा दीनदयाल मेसपाल सरकारी स्कूलों के विलय को नुकसानदायक बताते हुए कहा कि विलय के कारण स्कूल दूर हो गए हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ रही है। शिक्षक पर्याप्त नहीं हैं। एक तरह से पूरी शिक्षा व्यवस्था यहां चौपट है। जोड़ापोखर के लोग सांसद गिलुवा से नाराज भी दिखे। मिथुन गोप ने कहा कि सांसद ने यहां कोई काम नहीं किया। सांसद यहां आए भी नहीं हैं। सरकार ने कुछ लोगों को शौचालय दिए हैं मगर वो अनुपयोगी हैं। सरकार को चाहिए था कि अगर शौचालय बनवा रही है तो अच्छा बनवाती ताकि सालों-साल उसका प्रयोग किया जा सके। 

गांव की एक बुजुर्ग महिला चांदकुई बुड़उली जोकि आíथक रूप से काफी तंग हैं, के पास न प्रधानमंत्री आवास है और न ही शौचालय। बुड़उली कहती हैं कि उनके पास जीवन-यापन का कोई बड़ा साधन नहीं है। इसके बावजूद न तो पीएम आवास और न ही शौचालय के लाभुकों की सूची में उसका नाम शामिल किया गया। दोष किसका है? नहीं पता। जोड़ापोखर हाट बाजार में टमाटर बेचकर चौपाल में पहुंचते ही गुरुवारी लुगुन बोल उठीं- बाबू, मैं टमाटर बेचकर किसी तरह अपना घर चलाती हूं। इतना पैसा नहीं कि अपना पक्का घर बना सकूं। मोदी सरकार में सभी को प्रधानमंत्री आवास देने की बात सुनी थी मगर मुङो तो अब तक कोई आवास स्वीकृत नहीं हुआ है। काफी समय से मात्र 600 रुपये वृद्धा पेंशन मिल रही है। इससे चलाने लायक जुगाड़ हो जाता है। 

गुरुवारी की तरह ही जेमा मुंडा ने कहा कि चाईबासा बाजार से करीब 15 किलोमीटर दूर से जोड़ापोखर आकर सब्जी बेचती हूं। मां के नाम से पहले ही आवास बन चुका है। शौचालय के लिए आवेदन किया है मगर लाभ अभी तक नहीं मिला। उम्मीद है कि अगली सरकार में मुङो भी केंद्रीय योजनाओं का पूरा लाभ मिल जाएगा। झींकपानी के सुशांत कुमार ने चौपाल खत्म होते-होते सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जता दी। कहा कि गिलुवा को जिस उम्मीद के साथ यहां का सांसद बनाया था, वो उम्मीद अधूरी रह गयी। सांसद निधि से पानी की समस्या दूर कर सकते थे मगर कुछ लोगों को ही लाभ दे दिया गया। इतना कहने के बाद ग्रामीण आपस में चुनाव के माहौल पर चर्चा करते हुए अपने-अपने घर की ओर निकल गए।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.