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बोकना के प्लॉट को लेकर टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के साथ ग्रामीणों की जिच जारी

पश्चिमी सिंहभूम के नोवामुंडी स्थित टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के बोकना लौह अयस्क भंडारण वाले विवादित प्लॉट का मामला तूल पकड़ने लगा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jun 2020 05:48 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jun 2020 05:48 PM (IST)
बोकना के प्लॉट को लेकर टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के साथ ग्रामीणों की जिच जारी
बोकना के प्लॉट को लेकर टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के साथ ग्रामीणों की जिच जारी

संवाद सूत्र, नोवामुंडी : पश्चिमी सिंहभूम के नोवामुंडी स्थित टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के बोकना लौह अयस्क भंडारण वाले विवादित प्लॉट का मामला तूल पकड़ने लगा है। इस विषय को लेकर ग्रामीणों ने सोमवार को बैठक कर आगे की रणनीति तैयार की। बैठक में उपस्थित संबंधित जमीन मालिकों में पुरिया पुरती, जोनेया पुरती, दंगो पुरती, गंगाराम पुरती, चोकरो पुरती, चूड़ी पुरती, सागर पुरती, सीताराम पुरती ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। मौके पर ग्रामीणों ने पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, झामुमो केंद्रीय सदस्य इजहार राही, पवन सिंह को भी बुला लिया था। पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने बताया कि उषा मार्टिन कंपनी ने घाटकुड़ी बिजय दो खदान को टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट लिमिटेड कंपनी के पास बेच दिया है। कंपनी में उषा मार्टिन के अधिकारी अपने-अपने पद पर बरकरार हैं। पुरानी बोतल में केवल नए लेबल चस्पा दिया गया है। बताया गया कि रांची के रहने वाले उषा मार्टिन कंपनी अधिकारी नंदकिशोर पटोदिया ने बोकना गांव समीप उद्योग स्थापित करने के लिए आदिवासियों की जमीन को वर्ष 2004-05 में पांच साल के लिए 4.62 एकड़ जमीन रजिस्ट्री कराई है। जबकि कृष्णा चंपिया, चुन्नीलाल चंपिया, मुकुंद चंपिया और गंगुराम चंपिया की 3.32 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा किया है। इतना ही नहीं झारखंड सरकार के अनाबाद चार एकड़ जमीन भी कंपनी के कब्जे में है। मुंडा बिक्रम चंपिया ने बताया कि जिस समय जमीन लेनदेन की बात चल रही थी। उस समय जमीन मालिकों को नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया गया था। 15 साल गुजर गए पर आजतक उन्हें नौकरी नहीं मिली। रैयत कंट्रेक्टर लेबल में रोजगार करके परिवार चला रहे हैं। इसी को लेकर 19 जुलाई 2019 को पश्चिमी सिंहभूम और उप विकास आयुक्त को आवेदन सौंपकर अवगत कराया जा चुका है।

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बोकना के रैयत जमीन वापसी पर हैं अड़े

बोकना गांव के रैयत लौह अयस्क भंडारण कार्य बंद कराकर जमीन लौटने की मांग पर अड़े हैं। दूसरी ओर ग्रामीण कंपनी दोबारा एग्रीमेंट करती है तो उन्हें स्थायी नौकरी, पेयजल सुविधा देने, एक स्कूल बस उपलब्ध कराने की आशा लेकर चल रहे हैं। कंपनी अधिकारी भी रैयतों से होशियारी के मामले में दो कदम आगे चल रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि कंपनी हर हाल में पुराने एग्रीमेंट को बरकरार रखकर रैयतों को स्थाई नौकरी का आश्वासन देकर किसी तरह से काम निकालने कीफिराक में हैं।


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