पश्चिम सिंहभूम जिले में टास्क फोर्स निष्क्रिय, तस्कर कर रहे धड़ल्ले से खनन
पश्चिम सिंहभूम जिले में जिला प्रशासन की गठित टास्क फोर्स पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई है। इसके कारण पश्चिम सिंहभूम जिले की नदियों से बेरोक टोक बालू का उठाव तस्कर कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिम सिंहभूम जिले में जिला प्रशासन की गठित टास्क फोर्स पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई है। इसके कारण पश्चिम सिंहभूम जिले की नदियों से बेरोक टोक बालू का उठाव तस्कर कर रहे हैं। इसके अलावा नोवामुंडी प्रखंड के बड़ाजामदा क्षेत्र में आयरन ओर अवैध तरीके से चोरी करने की घटना आए दिन सामने आती रहती है। जब जिला प्रशासन टास्क फोर्स की बैठक करती थी, तो उसी में अधिकारियों से लेकर पदाधिकारियों को कई दिशा-निर्देश जारी किए जाते थे। अभी तो टास्क फोर्स की बैठक सिर्फ खानापूर्ति के लिए रह गई है। जबकि टास्क फोर्स में उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, जिला खनन पदाधिकारी, डीएफओ, एसडीओ, एसडीपीओ व अंचलाधिकारी आते हैं। इन लोगों की ओर से लंबे समय से पूरी तरह से खनन माफियाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया है, जिसके कारण आज झारखंड सरकार को लाखों रुपये का चूना लग चुका है। उदाहरण के तौर पर सदर प्रखंड से निकलने वाली कुजू नदी के आयता, कुर्सी, मौदी, बड़ाजयपुर, बरकुंडिया बालू घाट है। इन घाटों से रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर बालू लेकर दिन-रात तस्करी कर रहे हैं। यहां तक कि कुजू नदी से राजनगर पुलिस की सांठ-गांठ से रोजाना खुलेआम तस्कर बालू का उठाव कर रहे हैं। इसके लिए ट्रैक्टर चालक विधिवत बालू के एवज में नजराना पेश करते हैं। जबकि यह जानकारी सरायकेला-खरसावां व पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन को पूरी तरह से है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जीरो है। ट्रैक्टर चालक भी इतने होशियार हो गए है कि जिस ओर छापेमारी होती है तो उधर का एरिया छोड़ दूसरे एरिया में अपना काम शुरू कर देते हैं। कुल मिलाकर इनको अवैध खनन करना है चाहे प्रशासन रोके या पुलिस, इनकी सेहत पर कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है। क्योंकि ट्रैक्टर की किस्त तो भी देनी है। जिसके लिए इन्होंने बैंक से लोन लेकर ट्रैक्टर निकालकर कारोबार शुरू किया है।