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जेल की दीवारें बनेंगी कैनवास, बंदूक थामने वाले हाथ कूंची से बिखेरेंगे रंग

जो हाथ कल तक बंदूक थामे रहते थे वही हाथ आने वाले दिनों में जेल की दीवारों को कैनवास बनाकर कूची से रंग बिखेरेंगे

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 08:08 PM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 08:08 PM (IST)
जेल की दीवारें बनेंगी कैनवास, बंदूक थामने वाले हाथ कूंची से बिखेरेंगे रंग
जेल की दीवारें बनेंगी कैनवास, बंदूक थामने वाले हाथ कूंची से बिखेरेंगे रंग

सुधीर पांडेय, चाईबासा : जो हाथ कल तक बंदूक थामे रहते थे, वही हाथ आने वाले दिनों में जेल की दीवारों को कैनवास बनाकर कूची से रंग बिखेरेंगे। चाईबासा जेल में इस दिशा में पहल की जा रही है। नक्सल कांड और अन्य आपराधिक मामलों में जेल में बंद बंदियों को जेल प्रशासन की ओर से पेटिग बनाना सिखाया जा रहा है। कई बंदियों ने तो पेटिग सीख भी ली है। फिलहाल वो कागज पर अपनी कल्पना को उकेर रहे हैं। ये पेंटिग इतनी खूबसूरत है कि एक बारगी तो यह विश्वास भी नहीं होगा कि जेल की चारदीवारी के बीच बंदियों में इस तरह का कलात्मक विकास हुआ है। आने वाले दिनों में इन्हीं बंदियों से जेल की दीवारों पर भी पेटिग बनवाई जाएगी।

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307 के मामले में बंद मंटू पेंटर सीखा रहा पेटिग

चाईबासा मंडलकारा के कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार बताते हैं कि वो एक साल से भी ज्यादा समय से यह प्रयास कर रहे थे कि बंदियों का कलात्मक विकास किया जाए। छह माह पहले 307 के एक मामले में गिरफ्तार हुआ चाईबासा का ही एक पेंटर मंटू जेल भेजा गया। हम लोगों को जब यह पता चला कि मंटू बढि़या पेंटर है तब यह ख्याल आया कि क्यों न बंदियों को पेंटिग बनाना सिखाया जाए। बंदियों की लगातार काउंसलिंग की गई तो कई लोग पेटिग सीखने को तैयार हो गए। हम लोगों ने जेल परिसर में ही पतंजलि भवन में पेटिग की कक्षाएं चालू की हैं।

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बंदियों की बनाई 100 पेटिग की लगेगी प्रदर्शनी

जून माह से बंदियों को पेटिग सिखाई जा रही है। करीब 15 बंदी इस कला में काफी निपूर्ण हो चुके हैं। अब दूसरे बैच को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पेंटिग सीखने वालों में 17 सीएल एक्ट में जेल में बंद नक्सली बंदी रांदो गागराई समेत अन्य बंदी भी शामिल हैं। हमारी कोशिश है कि जब भी ये लोग जेल से बाहर निकलें तो आर्थिक उपार्जन के लिए इन्हें कोई परेशानी न हो। बंदियों की कला को बाहरी दुनिया के सामने लाने के लिए हम लोग एक प्रदर्शनी भी लगाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रदर्शनी में कम से कम 100 पेटिग लगाई जाएगी।

अभी ये बंदी कर रहे पेटिग - विजय बोबोंगा, मदन केराई, राजाराम मुंडा, सनातन संवैया, मो. मिटू, इंदु तियु, जगन्नाथ खंडाईत, मंगल सिह पिगुवा, डेविड पुरती, बुधराम मुंडा, पातु सिद्धू, गुड़ा चांपिया, बिजय पुरती, रांदो गागराई।

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चाईबासा जेल में लगे हैंडलूम में बनते हैं बंदियों के कपड़े

चाईबासा जेल में करीब 937 बंदी अलग-अलग अपराध में बंद हैं। बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जेल में ही प्रशिक्षित किया जा रहा है। जेल में छह हैंडलूम लगाए गए हैं। जेल के बंदी ही यह हैंडलूम चलाते हैं। यहां बंदियों के कपड़े मसलन कुर्ता, पायजामा, गमछा व चादर बनाते हैं। चाईबासा जेल के अलावा सरायकेला जेल में भी इन हैंडलूम में तैयार कपड़ों की आपूर्ति की जाती है। चाईबासा जेल के अलावा झारखंड में बोकारो व धनबाद की भी जेल में हैंडलूम लगी है।

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कागज का ठोंगा बना रहीं महिला बंदी

चाईबासा जेल में बंद महिला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कागज का लिफाफा बनाना भी सिखाया जाता है। वर्तमान में 10 महिला बंदियों का समूह मिलकर कागज का लिफाफा बनाकर जेल की कैंटीन में आपूर्ति कर रहा है। जेल परिसर में ही दो एकड़ जमीन पर बागवानी भी की जा रही है। बंदियों द्वारा अभी मशरूम, गोभी व पालक उगाया गया है। सब्जी की आपूर्ति भी जेल में बनने वाले भोजन के लिए की जाती है।


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