खत्म नहीं हुआ विवाद तो लटक जाएगा एसीसी सीमेंट कंपनी में ताला
पश्चिमी सिंहभूम के झींकपानी स्थित एसीसी सीमेंट कंपनी में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अगर मजदूर यूनियन और कंपनी प्रबंधन के बीच सहमति नहीं बनी तो आने वाले दिनों में यह सीमेंट कंपनी बंद हो सकती है।
जागरण संवाददाता, चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम के झींकपानी स्थित एसीसी सीमेंट कंपनी में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अगर मजदूर यूनियन और कंपनी प्रबंधन के बीच सहमति नहीं बनी तो आने वाले दिनों में यह सीमेंट कंपनी बंद हो सकती है। इसकी गंभीरता को देखते हुए सदर अनुमंडल कार्यालय में सोमवार को एसीसी सीमेंट प्रबंधन चाईबासा वर्क्स झींकपानी व कामगार श्रमिक संघ की त्रिपक्षीय वार्ता झारखंड जेनरल कामगार यूनियन की बैठक एसडीओ शशींद्र बड़ाईक की अध्यक्षता में हुई। इसमें मुख्य रूप से सदर एसडीपीओ अमर कुमार पांडेय व एसीसी प्रबंधन की ओर से पदाधिकारी उपस्थित थे। त्रिपक्षीय वार्ता में मजदूरों व एसीसी कंपनी प्रबंधन की बातों को सुनने के बाद कुछ बिंदुओं पर सहमति बनी और कुछ बिदुओं पर मंगलवार को वार्ता रखी गई है। एसीसी प्रबंधन की ओर से सदर एसडीओ को अवगत कराया गया कि कंपनी हमेशा मजदूरों के साथ है। क्योंकि बिना मजदूरों के कंपनी चलाना बहुत ही मुश्किल है। साथ ही कामगार श्रमिक संघ अपना अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस ले लें, ताकि मजदूर कंपनी में मजदूरी कर सकें। मजदूरों की हड़ताल की वजह से एसीसी कंपनी में काम पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। श्रमिकों की ओर से झारखंड जेनरल कामगार यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष जॉन मिरन मुंडा ने लाकडाउन एवं कोरोनाकाल में प्रधानमंत्री के अपील के अनुसार किसी भी मजदूर को काम से नहीं बैठाना था और काम नहीं रहने के बावजूद भी उन्हें आर्थिक सहायता देना था, परंतु आपके करीब 800 ठेका मजदूरों को बिना प्राकृतिक न्याय दिए काम से बाहर किया है जो गलत है। एसीसी प्रबंधन झींकपानी में मजदूरों के मजदूरी में काफी असमानता है। लोडिग 777 रुपये व अनलोडिग 617 रुपये एवं ठेका मजदूर 250 रुपये से 500 रुपये तक है। जबकि समान काम के लिए समान वेतन एवं सुविधा के साथ-साथ उत्पादन और स्थाई कार्य में लगे मजदूरों को स्थाई मजदूरों की तरह सुविधा देना है। एसीसी प्रबंधन झींकपानी में मजदूरों के पहचान पत्र में पद स्पष्ट नहीं रहता है। ट्रेनी एवं मजदूर का पद और नियुक्ति तिथि को भी स्पष्ट करें। आपके यहां काम के दौरान दुर्घटना में मृत्यु होने पर मजदूर के आश्रित को उचित मुआवजा और नौकरी नहीं दे रहे हैं। त्रिपक्षीय वार्ता में बड़ी संख्या में मजदूर सदर अनुमंडल कार्यालय पहुंचे हुए थे।