बच्चों ने जानी महान चित्रकार सतीश गुजराल की व्यथा
चाईबासा : पाठक मंच का साप्ताहिक कार्यक्रम इंद्रधनुष की 391वीं कड़ी दर्शन मेला म्यूजियम के अध्यक्ष चिन्मय दत्ता की अध्यक्षता में आयोजित की गई है। इसमें बच्चों को सफल व्यक्तियों की जानकारी दी गई जो बचपन से ही संघर्षशील रहे है। बच्चों को सतीश गुजराल के विषय में जानकारी दी गई। सतीश गुजराल देश के जाने-माने चित्रकारों में से एक हैं। बचपन में इनका स्वास्थ्य काफी अच्छा था। आठ साल की उम्र में पैर फिसलने के कारण इनकी टांगे टूट गई और सिर में काफी चोट आने के कारण उन्हें कम सुनाई पड़ने लगा। स्वाभाविक है कि जब इन्हें कम सुनाई पड़ता है तो किसी बात का जवाब कैसे देते? परिणाम स्वरूप लोग सतीश को लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे। सतीश चाहकर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। खाली समय बिताने के लिए चित्र बनाने लगे। इनकी भावना प्रधान चित्र देखते ही बनती थी। इनके अक्षर एवं रेखाचित्र दोनों ही खूबसूरत थी। आज के नंबर वन में सूरज कुमार पुरस्कृत हुए। इस मौके पर शिवानी दत्ता, मनीष कुमार, अभिषेक निषाद आदि उपस्थित थे।
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