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जिले में 24 घंटे में 50 एमएम बारिश, उफनाई नदियां

जिले में दो दिनों की बारिश से नदी-नाले उफना गए हैं। गत 24 घंटे में 50.3एमए

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 08:23 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 08:23 PM (IST)
जिले में 24 घंटे में 50 एमएम बारिश, उफनाई नदियां
जिले में 24 घंटे में 50 एमएम बारिश, उफनाई नदियां

जासं,सिमडेगा : जिले में दो दिनों की बारिश से नदी-नाले उफना गए हैं। गत 24 घंटे में 50.3एमएम से अधिक वर्षा हुई है। बारिश के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है। लगातार बारिश से खेतों में भी पानी भर गए हैं। बुधवार को भी जिले भर में रुक-रुक कर बारिश होती रही। चक्रवातीय बारिश से जहां एक ओर उरद, मूंग, लता वाली सब्जी, मक्का आदि की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ है तो दूसरी ओर धान एवं अरहर की फसल को फायदा हुआ है। विदित हो कि जिले में दो दिनों से अच्छी वर्षा

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हुई है। लगभग दो दिनों से जिले में 80 एमएम वर्षा हुई है। सितंबर माह में 245एमएम औसत बारिश के विरुद्ध अबतक 137एमएम वर्षा हुई है।अच्छी बारिश से किसान हर्षित हैं। दरअसल सिमडेगा के प्रमुख फसलों में धान ही है,जो मूल रूप में बारिश पर भी आधारित हैं। ऐसे में अच्छी बारिश से अच्छी की उपज की संभावना भी बढ़ गई है। इधर बारिश से निचले इलाकों में पानी के भरने से लोगों को परेशानियों को झेलना पड़ा।लगातार बारिश से आवागमन में दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। धूप निकलने पर करें फसलों की कटाई : वैज्ञानिक

सिमडेगा:कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक डा.शंकर कुमार सिंह ने भी

इस बारिश को धान के लिए फायदेमंद बताया है।उन्होंने कहा कि अभी उत्तरा नक्षत्र चल रहा है।अच्छी बारिश धान के लिए फायदेमंद है। इससे फसल भी रोगमुक्त होगी। हालांकि अधिक बारिश से उन दहलनी फसलों को अधिक नुकसान होने की बात कही जिनमें अभी फूल आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उरद, मूंग,मक्का व लता वाली सब्जियों को अधिक बारिश से नुकसान हुआ है।उन्होंने कहा कि बारिश के साथ तेज हवाओं के चलने से फसलें गिरी भी हैं। उन्होंने किसान भाइयों को सुझाव देते हुए कहा कि दलहनी एवं सब्जी के खेतों में पानी नहीं जमा होनें दें। ढलान वाले क्षेत्र में नाली अथवा गड्ढ़ा बनाकर पानी की निकासी करें,जिससे कि फसलों को कम से कम नुकसान उठाना पड़े।उन्होंने यह भी कहा कि ऊपरी हिस्सों में तैयार धान की फसल की कटाई नहीं करें। ऐसा करने से नुकसान होगा। वे धूप निकलने का इंतजार करें। इसके बाद ही वे फसलों की कटाई करें।


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