प्रकृति की अनुपम व्यवस्था है चातुर्मास, करें आराधना : डा.पद्मराज
स्थानीय जैन भवन में विराजमान कथावाचक डा. पद्मराज स्वामी जी महाराज के सान्निध्य अ
जासं,सिमडेगा : स्थानीय जैन भवन में विराजमान कथावाचक डा. पद्मराज स्वामी जी महाराज के सान्निध्य और गुरुमां के दिशा निर्देश में चातुर्मास स्थापना एवं गुरु पूर्णिमा पर भक्तिपूर्ण आयोजन किया गया। इस अवसर पर सर्वकल्याण की भावना से मुख्य रूप से स्वस्तिक महाजाप का कार्यक्रम किया गया। सम्पूर्ण आयोजन में कोविड-19 के बाबत सरकार द्वारा जारी सभी सावधानियों के पालन को सुनिश्चित किया गया। पूज्य गुरुदेव जी ने विधि पूर्वक नवकार महामन्त्र के साथ गायत्री मंत्र एवं अन्य मन्त्रों, स्तोत्रों का सामूहिक संकीर्तन करते हुए स्वस्तिक महाजाप सम्पन्न करवाया। इस अवसर पर डा. पद्मराज स्वामी जी महाराज ने कहा चातुर्मास मात्र किसी धर्म परंपरा की मान्यता नहीं है अपितु,यह तो कुदरत की व्यवस्था है। वर्षा के समय को चातुर्मास कहा गया है और 12 महीनों में से यदि वर्षा के 4 महीने निकाल दें तो शेष 8 महीनों का कोई अर्थ नहीं रह जाता। इसी तरह इस काल में अगर जीवन में धर्म की वर्षा नहीं हुई तो शेष जीवन भी व्यर्थ हो जाता है। जैसे वर्षाकाल के पानी से वर्षभर के लिए अनाज पैदा हो जाता है, उसी प्रकार चातुर्मास में की गई धर्म आराधना से हमारा जीवन वर्षभर के लिए सुरक्षित हो जाता है। आगे कहा, स्वस्तिक को अष्ट मंगलों में प्रमुख मड्गल माना गया है।मन में बुराई को आने से रोकना ही स्वस्तिक का उद्देश्य है, इसीलिए प्रत्येक शुभ कार्य में स्वस्तिक अवश्य आलेखित किया जाता है।
गुरुजी ने गुरु पूर्णिमा के बाबत कहा भारतीय धर्म परंपरा में गुरु का सर्वाधिक महत्व है। मौके पर गुरुमां ने गुरु की महिमा का बखान किया। उन्होंने कहा किस्मत वालों को गुरु का दीदार मिलता है। शिष्य चाहे कितनी ही गलतियां करे फिर भी गुरु सदा ही शिष्य का जीवन संवारते रहते हैं। इस मौके पर गुरुमां के साथ रश्मि अग्रवाल एवं नीलम बंसल ने सुमधुर कीर्तन से सबको भाव-विभोर कर दिया। मौके पर सभाध्यक्ष अशोक जैन, ओमप्रकाश अग्रवाल, कौशल रोहिल्ला, रामप्रताप अग्रवाल, योगेंद्र रोहिल्ला, वार्ड पार्षद अशोक जैन, पवन जैन, मनोज जैन,बिमल जैन, गुलाब जैन, कन्हैया अग्रवाल, सुशील जैन सहित मारवाड़ी महिला समिति की महिलाएं उपस्थित थीं। मंगलपाठ, आरती और प्रसाद-वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।