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वैज्ञानिक बनने के लिए खोजी प्रवृत्ति होना जरूरी : डॉ.सिद्धार्थ

सिमडेगा : ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़े महाप्रयोग में शामिल सिमडेगा के वैज्ञानिक डॉ. सिद्धार्थ

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 11:09 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 11:09 PM (IST)
वैज्ञानिक बनने के लिए खोजी प्रवृत्ति होना जरूरी : डॉ.सिद्धार्थ
वैज्ञानिक बनने के लिए खोजी प्रवृत्ति होना जरूरी : डॉ.सिद्धार्थ

सिमडेगा : ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़े महाप्रयोग में शामिल सिमडेगा के वैज्ञानिक डॉ. सिद्धार्थ प्रसाद ने शनिवार जिला मुख्यालय से मीलों दूर सुदूरवर्ती ग्रामीण एरिया में अवस्थित बासेन विद्यालय पहुंचकर विद्यार्थियों को पढ़ाई के प्रति जागरूक किया। विद्यार्थियों में उनसे मिलने के प्रति काफी उत्सुकता थी। इस दौरान उन्होंने विद्यालय परिसर में पौधरोपण कर पर्यावरण को बचाने का भी संदेश दिया। अवकाश पर अपने गृह जिले में आने पर राजकीयकृत उत्क्रमित मध्य विद्यालय बासेन के प्रधानाचार्य कमलेश्वर मांझी के उन्हें विद्यालय में आने का निमंत्रण दिया था। इसके बाद वे अपने बड़े बड़े भाई सह हॉकी सिमडेगा के महासचिव मनोज कोनबेगी के साथ विद्यालय पहुंचे।

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डॉ. सिद्धार्थ ने विद्यार्थियों को बताया कि विज्ञान क्या है और वे वैज्ञानिक कैसे बन सकते हैं। बच्चों से कहा कि आप किसी भी चीज को पकड़ो और उसके विषय में सर्वप्रथम जानने का प्रयास करो कि ये कहां से बना, कैसे बना, कब बना, क्यों बना, किसने बनाया, किस चीज से बना। अपने अंदर प्रश्नों का विचार कर उसका हल ढूंढने का प्रयास करें। इसी प्रकार सृजनात्मक सोच के साथ निरंतर अध्ययन करने से वैज्ञानिक बनने की ओर अग्रसर होंगे।

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक बनने के लिए अपने अंदर खोजी प्रवृत्ति को विकसित करना होगा। इस दौरान विद्यार्थियों ने भी काफी उत्सुकता के साथ प्रश्न पूछे। उन्होंने सूर्य व पृथ्वी का निर्माण, टेलीफोन सिस्टम आदि से संबंधित सवाल पूछे। डॉ. सिद्धार्थ ने मौके पर उपस्थित विद्यार्थियों को विज्ञान के साथ-साथ पर्यावरण की महत्ता के विषय में भी जानकारी दी।उन्होंने बच्चों को बतलाते हुए कहा कि जीवन को बचाने के लिए सांस लेना आवश्यक है और सांस लेने के लिए पर्यावरण को बचाकर रखना अति आवश्यक है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमे पेड़-पौधों को बचाना होगा और लगाना होगा। स्कूल के शिक्षक राधा बड़ाइक ने डॉ. सिद्धार्थ काआभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने जिला मुख्यालय से इतना सुदूर ग्रामीण एरिया में अवस्थित विद्यालय तक आए। यह उनका ग्रामीण एरिया के छिपे हुए प्रतिभाशाली बच्चों के प्रति समर्पण को दर्शाता है।


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