किसान की बेटी सलीमा के नेतृत्व में फ्रांस से भिड़ेगी जूनियर महिला हॉकी टीम
Salima Tete. सलीमा टेटे फ्रांस के खिलाफ राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करेगी। यह प्रतियोगिता 13 फरवरी से शुरू होगी।
वाचस्पति मिश्र, सिमडेगा। अगर किसी में प्रतिभा व जुनून हो तो एकदम पिछड़े इलाके में जन्म लेने के बाद भी अपनी प्रतिभा को लोहा मनवा सकता है। इसका ताजा उदाहरण झारखंड के सिमडेगा जिले के छोटे से गांव बड़कीछापर के किसान परिवार में पली-बढ़ी सलीमा टेटे है। सलीमा अब कप्तान के रूप में भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम का नेतृत्व करेंगी। 13 फरवरी से लखनऊ व गोरखपुर में शुरू होने वाली घरेलू सीरीज में फ्रांस के विरुद्ध भारतीय जूनियर टीम में सलीमा बतौर कप्तान अपना योगदान देंगी। विदित हो कि सलीमा टेटे का चयन पिछले दिनों भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम के लिए चयन हुआ था।
संघर्षपूर्ण रहा है जीवन
काफी कम दिनों में शानदार उपलब्धि हासिल करने वाली सलीमा का खेल जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। किसान परिवार में जन्म लेने के कारण संसाधन भी सीमित थे। परंतु खेल के प्रति बेमिसाल जज्बे ने सलीमा को यहां तक पहुंचाया। सलीमा की मां सुभानी टेटे प्राथमिक विद्यालय बड़कीछापर में बतौर रसोइया का काम करती हैं। वहीं, उसके पिता सुलकसन टेटे एक किसान होने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर एक अच्छे हॉकी खिलाड़ी भी रहे हैं। यहीं से सलीमा को हॉकी का माहौल मिला।
जब बाप और बेटी एकसाथ हुए सम्मानित
सलीमा पिता के साथ हॉकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती रही है। वर्ष 2011 का वाकया भी कम दिलचस्प नहीं जब जिले के सबसे बड़े हॉकी मैच का लट्ठा खम्हन गांव में आयोजन हुआ। यहां पिता-पुत्री को एक साथ बेस्ट खिलाड़ी का अवार्ड मिला था।
और बढ़ती चली गई
वर्ष 2013-14 में सलीमा का नामांकन हॉकी प्रशिक्षण केंद्र सिमडेगा में हुआ। जहां उसने अपने कोच प्रतिमा बरवा से हॉकी की बारीकियां सीखते हुए एस्ट्रोटर्फ पर अभ्यास किया। यहीं से उसे विभिन्न राज्य व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का मौका मिला। अपने शानदार प्रदर्शन के बदौलत वह चयनकर्ताओं की नजर में अपना जगह बनाने में कामयाब हो गई। इसके बाद उसका राष्ट्रीय कैंप में चयन हुआ।
सिर में चोट और जिद खेलने की
सलीमा शुरू से ही हॉकी के प्रति भी काफी जुनूनी रही है। हॉकी सिमडेगा के महासचिव मनोज कोनबेगी की मानें तो 2015 में सबजूनियर नेशनल प्रतियोगिता के दौरान सलीमा को सिर में चोट लग गई थी। इसके बाद भी वह एक ही रट लगा रही थी कि उसे हॉकी खेलनी है। अपने राज्य के लिए कुछ हासिल करना है। वर्ष 2017 में तमिलनाडू में भी उसकी अंगुली फ्रैक्चर हो गई थी। चोटिल होने के बावजूद हॉकी से जुड़ाव सलीमा का बढ़ता ही चला गया और उसने अपनीप्रतिभा को साबित करवाकर ही दम लिया। आज सिमडेगा जिला के साथ-साथ झारखंड को भी अपनी बेटी पर गर्व है।
पीएम व सीएम कर चुके हैं सम्मानित
सलीमा का अस्थायी रूप से 2015 में एक बार आस्ट्रेलिया दौरे के लिए चयन हुआ था। कुछ माह पूर्व अर्जेंटीना में आयोजित तीसरे यूथ ओलम्पिक गेम्स में रजत पदक लेकर लौटी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सलीमा टेटे को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मानित किया था। मुख्यमंत्री रघुवर दास भी सलीमा को सम्मानित कर चुके हैं।
सिमडेगा में अपने घर के बाहर मां के साथ सलीमा।