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तालाबों का अस्तित्व हो रहा खत्म, प्रशासन मौन

सिमडेगा जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे तालाब हैं जिसका अस्तित्व खत्म होने के

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 09:38 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 09:38 PM (IST)
तालाबों का अस्तित्व हो रहा खत्म, प्रशासन मौन
तालाबों का अस्तित्व हो रहा खत्म, प्रशासन मौन

सिमडेगा: जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे तालाब हैं, जिसका अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है, लेकिन पूरा सिस्टम मौन दर्शक बना हुआ है। जिसके कारण पेयजल संकट की समस्या सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है। स्थिति यह है कि गर्मी का मौसम ठीक से आया भी नहीं और जलसंकट का दौर शुरू हो गया। हैंडपंप हांफने लगे हैं। मोटर केवल चल रहे हैं, परंतु पानी का स्तर काफी नीचे चले जाने के कारण लोगों को जल समस्या से प्रतिदिन दो-चार होना पड़ता है। विदित हो कि प्राचीन काल से ही यह माना जाता जाता रहा है कि तालाब, झील ऐसे जलस्त्रोत हैं कि वे अपने आस-पास के क्षेत्र के लिए न सिर्फ सीधे तौर पर जल की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं, बल्कि उनसे भूमिगत जल भी रिचार्ज होता है। जो गर्मी के दिनों के लिए भी काफी सहायक सिद्ध होता है। लेकिन सिमडेगा शहर की बात करें तो यह तालाब व झील के मामलों में थोड़ा पीछे है। शहर के डिप्टीटोली स्थिति मूर्ति विसर्जन तालाब एवं मत्स्य विभाग का तालाब में गर्मी के आते-आते पानी पूरी तरह सूख जाता है। अभी भी मूर्ति विसर्जन तालाब में केवल तल में पानी बचा हुआ है। शहर के पॉश इलाके में बने तालाब में साफ-सफाई का भी अभाव दिखाई पड़ता है। इसी तरह गुलजार गली का निजी तालाब का भी अब अस्तित्व समाप्त हो चुका है। इसके अलावा शहर से सटे खूंटीटोली में तालाब पूरी तरह से मृतप्राय हो गए हैं। ये स्थितियों कोई सामान्य स्थितियां नहीं है। बल्कि यह भविष्य की भयंकर पेयजल संकट की ओर संकेत देते हैं। अगर हम जल संचयन की दिशा में यूं ही तटस्थ रहें तो आने वाला समय हमें ही कोसेगा। विदित हो कि शहरीकरण के दौड़ में शहर में तेजी से पक्के मकान तो बन रहे हैं, लेकिन जब पानी ही नहीं होगा, तो बड़े घरों, फ्लैट का भी कोई अस्तित्व नहीं होगा। ऐसे में लोगों को विचार करना होगा कि जीवन के लिए जल इतना महत्वपूर्ण है, तो इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए भी मिलजुलकर पहल करनी होगी। खास तौर पर वर्षा जल का संचय करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक को अपनाना होगा। इसके साथ वर्तमान में मौजूद तालाबों व अन्य जलस्त्रोतों को भी संरक्षित व संवर्धित करना होगा।

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