शक्ति अर्जन की पावन अवधि नवरात्रि: डॉ.पद्मराज
सिमडेगा:शहर के जैन भवन में डॉ.पद्मराज जी महाराज के द्वारा करवाई जा रही ऋद्धि- सिद्धि जा
सिमडेगा:शहर के जैन भवन में डॉ.पद्मराज जी महाराज के द्वारा करवाई जा रही ऋद्धि- सिद्धि जाप साधना के पंचम दिन भी श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति रही। जाप साधना के प्रथम तथा मध्य चरण का समापन अत्यंत भक्तिमय वातावरण में हुआ। विभिन्न प्रकार की जाप साधना करवाते हुए वाणी-भूषण डॉ. पद्मराज जी महाराज ने कहा धर्म आराधना से आप न केवल प्रभुकृपा के हकदार बनते हो, अपितु स्वयं परमात्मा के समान शक्ति सम्पन्न हो जाते हो। नवरात्र के पवित्र समय में साधना के द्वारा शक्ति अर्जन का सतत प्रयास करना चाहिए। माता के 9 रूपों की आराधना 9 प्रकार की शक्ति की आराधना है। इन शक्तियों के स्वामी बनने के बाद आपको कोई भी आधि, व्याधि, उपाधि परेशान नहीं कर सकती। यह पर्व स्वयं को भगवान बनाने का पर्व है। उन्होंने बताया कि 17 तारीख को शाम 5 बजे के बाद तारा डूब जाएगा, अत: उससे पूर्व ही शुभ कार्य कर लेना उचित रहेगा।
स्वामी जी ने बताया मानसिक, दैहिक सुखशांति और आत्मिक विकास के लिए महामन्त्र नवकार की आराधना करनी चाहिए। तीर्थंकर की शक्ति का आह्वान करने हेतु महावीर चालीसा और रोग, दारिर्द्य मुक्ति, धर्म प्राप्ति के लिए कल्पबेल ¨चतामणि स्तोत्र का पाठ किया जाना चाहिए। आरोग्य, बोधि और समाधि के लिए लोगस्स का पाठ तथा उपसर्ग मुक्ति के लिए उपसर्गहर स्तोत्र का पाठ तुरन्त फलदायी है। अपने शरीर की सभी भांति रक्षा के लिए वज्रपंजर स्तोत्र का पारायण लाभदायक है।