कपड़ों के होते थे बैनर, सुरक्षा भी सामान्य
सिमडेगा बदलते वक्त के साथ चुनावी कार्यक्रमों एवं प्रचार-प्रसार के तौर-तरीके में भी काफी ब
सिमडेगा : बदलते वक्त के साथ चुनावी कार्यक्रमों एवं प्रचार-प्रसार के तौर-तरीके में भी काफी बदलाव आया है। इस संबंध में गांधीवादी विचारधारा से संवाहक सह पूर्व स्वतंत्रता सेनानी स्व. गंगा विष्णु रोहिल्ला के पुत्र रामनारायण सिंह रोहिल्ला कहते हैं कि पहले सुरक्षा के नाम पर इतने लाव-लश्कर नहीं होते थे। मंत्री भी मात्र एक सुरक्षा गार्ड लेकर क्षेत्र में जाते थे, लेकिन अब एक विधायक पूरे लाव-लश्कर के साथ ही क्षेत्र भ्रमण के लिए निकलते हैं। दशक पूर्व चुनावों में कपड़े के बैनर बनते थे। दीवार लेखन की जाती थी। इश्तेहार छपवाए जाते थे। प्रत्याशी कभी साइकिल तो कभी मोटरसाइकिल से ही प्रचार के लिए जाते थे। तब खर्च भी मामूली हुआ करता था। इन सबके विपरीत आज के चुनावों में भारी-भरकम राशि खर्च कर लोग माहौल तो बनाए हैं, परंतु इस आपाधापी के दौड़ में जनता के असली मुद्दे जरूर छूट जाते हैं। जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की दृष्टिकोण से अच्छा नहीं माना जा सकता।