Move to Jagran APP

जानिए, कैसे फंसे विधायक एनोस एक्का; हो सकती है आजीवन कारावास की सजा

बातचीत के टेप से मिलान के लिए विधायक एनोस एक्का ने न सिर्फ पुलिस जांच में वॉयस सैंपल देने से इन्कार किया, बल्कि कोर्ट के आदेश के बावजूद वॉयस सैंपल नहीं दिया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 01 Jul 2018 11:49 AM (IST)Updated: Sun, 01 Jul 2018 01:23 PM (IST)
जानिए, कैसे फंसे विधायक एनोस एक्का; हो सकती है आजीवन कारावास की सजा
जानिए, कैसे फंसे विधायक एनोस एक्का; हो सकती है आजीवन कारावास की सजा

जागरण संवाददाता, सिमडेगा। एडीजे (अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश) नीरज कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने पारा शिक्षक मनोज कुमार की हत्या के मामले में पूर्व मंत्री व कोलेबिरा (झारखंड) के विधायक एनोस एक्का को दोषी करार दिया है। उन्हें हत्या करने, साक्ष्य छुपाने, हत्या के उद्देश्य से अपहरण करने तथा चुनाव अवधि में राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपराध करने के साथ-साथ 27 आ‌र्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया गया। कोर्ट ने उपरोक्त मामले में सजा के लिए तीन जुलाई की तारीख मुकर्रर की है।

loksabha election banner

2014 में 26 नवंबर को पारा शिक्षक मनोज कुमार को उनके स्कूल से अगवा कर लिया गया था। बाद में दूसरे दिन उनका शव स्कूल के पास से बरामद हुआ था। पुलिस ने इस मामले में कोलेबिरा के विधायक एनोस एक्का को उनके ठाकुरटोली आवास से गिरफ्तार किया था।

उग्रवादी से बातचीत कर फंसे थे एनोस
इस मामले में झारखंड पार्टी के विधायक एनोस के पुलिस गिरफ्त में आने की कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल, पुलिस ने पूर्व से ही पीएलएफआइ (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) उग्रवादी विक्रम उर्फ बारूद गोप के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर रखा था। पुलिस के अनुसार, घटना वाले दिन भी विधायक एनोस एक्का ने मोबाइल से विक्रम गोप से बात कर उससे पारा शिक्षक की हत्या की जिम्मेदारी लेने को कहा था। पुलिस ने इसी बातचीत को आधार मानकर विधायक को गिरफ्तार किया था। बातचीत के टेप को पुलिस ने कोर्ट में भी मजबूत साक्ष्य के रूप में पेश किया था।

अदालत के निर्देश के बाद भी नहीं दिया था वॉयस सैंपल
बातचीत के टेप से मिलान करने के लिए विधायक ने न सिर्फ पुलिस जांच में वॉयस सैंपल देने से इन्कार किया, बल्कि न्यायालय के आदेश के बावजूद उन्होंने वॉयस सैंपल नहीं दिया। इसके बाद पुलिस गिरफ्त में आए विक्रम गोप ने सरकारी गवाह बनने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। बाद में विधायक एनोस एक्का के वकील ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। हालांकि हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा विक्रम को सरकारी गवाह बनाए जाने के निर्णय को सही ठहराया।

सरकारी गवाह बनने के बाद भी मुकर गया विक्रम गोप
इस मामले में पांच जून को विक्रम गोप का बयान होटवार जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से दर्ज कराया गया। हालांकि सरकारी गवाह बनने के बाद भी उसने घटना के प्रति अनभिज्ञता जाहिर की। अब उसके विरुद्ध भी विधिवत ट्रायल चलेगा। इसके बाद कोर्ट ने अन्य साक्ष्य एवं गवाहों के आधार पर विधायक एनोस एक्का को दोषी करार दिया। इस दौरान विधायक को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होटवार जेल से पेश किया गया।

हो सकती है आजीवन कारावास की सजा
जानकारों की मानें तो उपरोक्त मामले में विधायक को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। अगर उन्हें दो वर्ष से अधिक की सजा होती है तो उनकी विधायकी छिन जाएगी।

43 महीने से जेल में बंद हैं एनोस एक्का
पारा शिक्षक मनोज कुमार हत्याकांड मामले में विधायक एनोस एक्का वर्ष 2014 के नवंबर से ही जेल में बंद है। उन्होंने जेल में रहकर ही गत विधान सभा चुनाव में कोलेबिरा सीट से जीत हासिल की थी। इस दौरान उन्होंने भाजपा नेता मनोज नागेशिया को चुनावी मैदान में शिकस्त दी थी। इसके पहले वह 2009 में भाजपा के महेन्द्र भगत तथा 2005 में कांग्रेस के थियोडोर किड़ो को हराकर विधायक बने थे। परंतु गत विधानसभा चुनाव के ठीक पहले वे पारा शिक्षक की हत्या मामले में गिरफ्तार कर लिए गए और करीब 43 महीने से जेल में बंद हैं। फिलहाल वे रांची के होटवार जेल में बंद हैं। इधर, एडीजे की कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए 3 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है। सजायाफ्ता होने के बाद उन्हें होटवार जेल में ही रखा जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.