छात्रवृत्ति कै पैसे से खरीदी बकरी, बने आत्मनिर्भर
संसार में कोई में काम छोटा नहीं होता। किसी भी कार्य को पूरी लगन व शिद्द
संवाद सूत्र, बानो : संसार में कोई में काम छोटा नहीं होता। किसी भी कार्य को पूरी लगन व शिद्दत के साथ किया जाए, तो सफलता भी निश्चित रूप से मिलती है। कुछ ऐसी ही पढ़े-लिखे पशुपालक हैं 50 वर्षीय सुदर्शन मुंडू। प्रखंड के ग्राम चडोरदा निवासी सुदर्शन मुंडू जब 5 वीं कक्षा में थे, तब वे छात्रवृत्ति में मिले रुपये से बकरी खरीदी थी। आज उनके पास देश नस्ल की 25 बकरियां हैं। जिससे उनका व उनके परिवार का अच्छे ढंग से भरण-पोषण हो रहा है। सुदर्शन मुंडू ने बताया कि जब वें 5वीं कक्षा के छात्र थे तो छात्रवृत्ति मिली थी। उसी पैसे से एक बकरी बाजार से लाया। उसे रोज स्कूल जाने के पहले पास जंगलों में चराने ले जाता था। समय के साथ हम बड़े हो गए। आज घर मे कृषि कार्य के साथ साथ बैल बकरी भी है। प्रति वर्ष बकरियों को बेच कर अपनी जरूरत के सामान लेता हूं। उन्होंने ने बताया कि उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। बकरियों के इलाज के लिए भी खुद से दवाई खरीदकर लाते हैं। उन्होंने ने कहा अगर मेरे जैसा और लोग किसान छोटे ,दुकानदार, काम के साथ साथ बकरी पालन करे तो जीवन स्तर में सुधार अवश्य होगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा जिम्मेवारियों के कारण वे उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकें। जिसका उन्हें अभी भी मलाल है। उन्होंने कहा कि सरकार आज कई योजनाएं चला रही है, जिसका लाभ उठाकर बच्चों को खूब मन लगाकर पढ़ाई करनी चाहिए।